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Shailaja Bhattad

Drama

3  

Shailaja Bhattad

Drama

शादी का घर

शादी का घर

2 mins
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"शादी का खर्च तो बजट से बाहर जा रहा है । शायद लोन लेना पड़ सकता है।"

रोहन एक कोने में खड़ा अपने माता-पिता की ये बातें सुन रहा था।

 घर में रोहन छोटा जरूर था लेकिन उतना ही समझदार भी था। शादी की खुशी में विघ्न डाल रहे इस तनाव को शांत करने का रोहन ने जल्द ही उपाय भी सोच लिया और एक बार पुनः सबका मन जीत लिया ।

रोहन के सुझाव अनुसार शादी की सारी तैयारियां शुरू हुई । सभी को ई-कार्ड्स भेजे गए। शादी किसी शानदार होटल में नहीं बल्कि प्रकृति के गोद में खुले आसमान के नीचे घर के ही बड़े आंगन में संपन्न हुई । घर को ही होटल की तरह चमकाया व सजाया गया । घर के आग्नेय कोने में रसोइयों से बहुत ही लाजवाब व पौष्टिक पकवान बनवाए गए। यानी गुणवत्ता के साथ कोई समझौता न करते हुए शादी शानदार भी हुई और जानदार भी। हर आया मेहमान इस कम बजट की शालीनता व संस्कारों से भरी शादी देखकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। सबके मुख्र पर एक ही वाक्य था -शादी हो तो ऐसी, इसे कहते हैं ग्रीन शादी ।

हर रस्म को पूर्णतया निभाया गया साथ ही पूरी शादी के दौरान भोजन के एक दाने का भी नुकसान नहीं हुआ और ना ही प्लास्टिक का इस्तेमाल हुआ । घर का हर कोना फूलों की खुशबू से महक रहा था। इस तरह पूरी शादी में न सिर्फ मेहमानों की आवभगत की गई बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाया गया। साथ ही घर में भी एक नई जान आ गई जो कई महीनों तक शादी का घर होने का एहसास कराती रही।


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