Sangeeta Agarwal

Comedy

3.7  

Sangeeta Agarwal

Comedy

श...कोई है...

श...कोई है...

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रजत,शिवम और अंकुर तीनो कितने पक्के दोस्त थे,शुरू से ही संग पढ़े,अलग अलग जगह जॉब लग गई तो बहुत समय आपस मे मिले नहीं,आज कितने लंबे समय बाद तीनों फिर इकठ्ठा हुए थे,उनकी खुशी का कोई ठिकाना न था,मन कर रहा था,कुछ घण्टों की इस मुलाकात में पूरी जिंदगी फिर से जी लें।

अंकुर-अरे रजत तुझे ध्यान है जब हम छोटे थे,कितनी आवारागर्दी करते थे,मम्मी कितनी देर आवाजे लगातीं थीं,तब जाकर घर आते थे कहीं...

शिवम-और मेरी तो पिटाई भी हुई थी एक बार देर से घर आने पर,तीनो हँसने लगते हैं।

आज का क्या प्रोग्राम है,रजत ने कहा तो दोनों सोचने लगे गए,अचानक आसमान में बदल मंडराने लगे,हल्की हवा चल गई और तीनों के दिल खिल गए।

"अंकुर,तुझे नहीं लगता,मौसन कुछ बेईमान हो रहा है,रजत हंसा,क्यों न लांग ड्राइव पर चलते हैं,फिर मूवी देखेंगे..."

अभी वो बात ही कर रहे थे कि हल्की बूंदाबांदी शुरू हो गई,इतने दिनों की उमस कम हुई तो तीनों ही मुस्करा उठे।

"चलो यार,आज तो पार्टी करते हैं..पास ही एक बीयर शॉप से उन्होंने खाने पीने का सब समान खरीदा,कुछ बोतलें,नमकीन ,काजू,स्नैक्स,सिगरेट वगैरह वगैरह..."

तेज धुन में म्यूजिक चला कर हंसते खिलखिलाते वो गाड़ी दौड़ाते चल दिये शहर के आउटर की तरफ।काफी सुनसान रास्ते पर अब उनकी गाड़ी दौड़ रही थी,तीनों को हल्का सुरूर छाने लगा था।जब गाड़ी जंगल मे पहुंची,उन्होंने गाड़ी को कच्चे रास्ते पर रोक कर खड़ा किया और पेड़ों की तरफ बढ़ गए,वहां का प्यारा मौसम उन्हें मदमस्त कर रहा था।काफी देर मस्ती करते रहे कि अचानक बारिश बहुत तेज़ हो गई,शरीर का भीगना अब उन्हें डराने लगा कि कहीं बीमार न पड़ जाएं।दौड़कर अपनी गाड़ी में आये और चैन की सांस ली,चलो भीगने से तो बचेंगे।

"यार,अब लौटना चाहिए,कहीं बारिश ज्यादा तेज न हो जाये और हम यहां कच्चे रास्तों में न फंस जाएं",शिवम दोनों से बोला।

रजत ने झट स्टेरियिंग सम्भाला और 80 कि स्पीड पर गाड़ी चला दी...

"अंकुर-यार,बरसात में सड़क पर फिसलन हो जाती है,धीरे चला,वो झूम रहा था बोलते हुए।"

रजत-"अरे तू फिक्र न कर,मैं चेम्पियन रह चुका हूं।"

इतने में ही,बाहर शीशे पर किसीने दस्तक दी,चौंक के देखा तो एक बहुत बूढ़ा आदमी,कुछ डरावना सा,उनसे मदद मांग रहा था। अंकुर ने डरते हुए पूछा उससे,"क्या चाहिए आपको?"

"एक सिगरेट मिलेगी?"अजीब ठंडी आवाज़ में वो बोला।अंकुर ने झट एक सिगरेट बाहर की तरफ उछाल दी।रजत ने गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी,वो तीनो डरने लगे थे कि पता नहीं ये बूढ़ा कौन है,चलती गाड़ी में ये खिड़की तक कैसे पहुंचा?शिवम डर गया,स्पीडोमीटर 100 की स्पीड दिखा रहा था,यार सम्भल के चला,कहीं एक्सीडेंट न हो जाये।

"अरे इतनी बारिश में कौन आएगा यहां",रजत बोला।

"वो बूढ़ा भी तो आया ही न"..अंकुर कांपती आवाज़ में बोला।

उसका वाक्य पूरा भी न हुआ था कि खिड़की पर फिर खटखटाहट हुई...

तीनों ने देखा,वो बूढ़ा फिर था..."लाइटर मिलेगा क्या?"

बड़ी तेजी से शिवम ने लाइटर बाहर फेंक दिया और शीशा चढ़ा दिया।

ये बूढ़ा कितनी बार आएगा,वो तीनों पूरी तरह डर चुके थे,स्पीड बढ़ाये जा रहे थे,आपस में डर से सिमटे जा रहे थे।बारिश अपनी पूरी रवानी में थी, सड़क के दोनों और बड़े बड़े पेड़ थे,उनसे गिरती पानी की धार चौड़ी होती जा रही थीं,बादल और गहरा रहे थे,दिन के वक्त ही मानो रात हो गई हो।पानी की तड़तड़ और बिजली की चमक वातावरण को डरावना बना रही थी।

इस बार वो तीनों मूर्छित होते बचे जब खिड़की के दरवाजे पर फिर आहट हुई...खटखट...

उन्होंने लरजती निगाहों से उधर देखा,वो बूढ़ा फिर वहां था.. "अब क्या चाहिए",वो कमजोर आवाज में बोले,

"आपकी गाड़ी गड्ढे में फंसी है,कुछ मदद चाहिए क्या आपको",वो बूढ़ा बोला।बेचारा बहुत देर से उन तीनों को देख रहा था,वो स्पीड दिए जा रहे थे गाड़ी को,और वो वहीं घुर्र घुर्र कर रही थी....



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