हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Comedy Fantasy Inspirational

सच्चाई की डगर

सच्चाई की डगर

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वो कहते हैं कि वे सच्चाई की राह पर चलते हैं और आगे भी चलते रहेंगे। भई, बहुत अच्छी बात है। इससे बढ़िया और कोई राह है भी नहीं। पर एक बात बताइए कि जब आप सच्चाई की राह पर चलते हैं तो फिर किसी आयकर विभाग की छापेमारी से क्यों डरते हैं ? आप तो सच्चे आदमी हैं। सच्चाई पसंद इंसान हैं। सच्चाई ही लिखते हैं , सच्चाई ही पढ़ाते हैं और सच्चाई ही बयां करते हैं। मगर छापेमारी से आप इस कदर भयभीत हो गये हैं कि आपने तो इस छापेमारी को ही अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार दे दिया ? मीडिया को डराने-धमकाने, कुचलने वाला कदम बता दिया। 

हमने तो सुना है कि जो ईमानदार और सच्चे आदमी होते हैं वे किसी भी छापेमारी से नहीं डरते हैं। जब उन्होंने कुछ ग़लत काम किया ही नहीं तो फिर किसी से क्या डरना ? आयकर विभाग हो या प्रवर्तन निदेशालय ! या फिर पुलिस ही क्यों ना हो ? फिर आयकर विभाग की छापेमारी से तो बिल्कुल नहीं डरना। क्योंकि भारत में आयकर की चोरी कोई ऐसा अपराध नहीं है जिसके लिए जेल जाना पड़े। यहां तो मुख्तयार अंसारी , अतीक अहमद , आजम खान जैसे नामी गिरामी अपराधी सत्ता में बैठकर पुलिस को लतियाते हैं और तुम केवल एक आयकर विभाग की छापेमारी से तिलमिला गये। गजब बात है। छापेमारी से वो शख्स डरता है जिसने चोरी की हो। आप तो कोई चोर हैं नहीं। आप तो सच्चे और ईमानदार हैं तो ये छापेमारी आपका क्या बिगाड़ लेंगी ? 

आप कहते हैं कि आप एक मीडिया हाउस हैं और किसी मीडिया हाउस पर कोई छापेमारी नहीं होनी चाहिए। पर आप ये तो बताइए कि ऐसा कौन सा कानून है जिसमें ऐसा लिखा है ? क्या मीडिया हाउस संविधान और देश के कानून से ऊपर हैं ? क्या किसी भी मीडिया हाउस को कुछ भी करने की आजादी होनी चाहिए ? 

थोड़े दिन पहले एक न्यूज चैनल के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस ने एक झूठा केस बनाकर उसके मालिक को जेल में डाल दिया था और उच्च न्यायालय से भी ज़मानत नहीं होने दी। तब तो आप अपने मुंह में दही जमाकर बैठे रहे। तब आपको वह कार्यवाही गैर कानूनी नहीं लगी ? तब तो आप महाराष्ट्र पुलिस की कार्यवाही को एकदम जायज बता रहे थे। आपकी तो गिरफ्तारी भी नहीं हुई अभी। फिर भी इतना स्यापा ? भई हमें तो दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली लग रही है। क्यों सही कहा है ना ?

जब भी किसी नेता या अफसर पर कोई आरोप लगता है तब आप अपने संपादकीय में लिखते हैं कि जांच तो होनी ही चाहिए। जांच होने में क्या हर्ज है ? पर यही फॉर्मूला आप खुद पर लागू नहीं करना चाहते हैं। क्यों ? ये दोगलापन किसलिए ? आप के विरुद्ध कोई शिकायत हुई और आयकर विभाग ने छापेमारी कर दी तो आप एक बिगड़ैल सांड की तरह बिफर पड़े। गजब की बेशर्मी है भई ! कहां से लाते हो इतनी निर्लज्जता ? 

एक न्यूज चैनल है जो सबसे तेज होने का दावा करता है और नंबर एक होने का भी दावा करता है। एक शिकायत उस चैनल के विरुद्ध हुई कि वह चैनल रिश्वत देकर टी आर पी बढ़वाता है। मजे की बात देखिए कि वह मीडिया हाउस भी आपका ही भाई बंधु है यानी वह भी खैराती श्रेणी का ही है। उस चैनल के खिलाफ जांच करने के बजाय उसके विरोधी चैनल को उस टी आर पी केस में झूठे तरीके से फंसाने की कोशिश महाराष्ट्र पुलिस ने की थी। मगर आपने एक बार भी महाराष्ट्र पुलिस पर प्रश्न नहीं उठाया। बल्कि अपने "एजेंडे वाले" मीडिया हाउस के विपरीत मीडिया हाउस के ऊपर ही आरोप लगाते रहे। 

आप तो कहते हो कि आप केवल और केवल सच लिखते हैं, सच दिखाते हैं। मगर सच बात तो ये है कि आप सरासर झूठ और फरेब परोसते हैं और अपने आप को ईमानदार कहते हैं। जरा भी लाज नहीं आती इतनी मक्कारी करते हुए ? या पैदाइशी धूर्त हो ? 

हम तो आपको तबसे जानते हैं जब आपने हिंदू त्यौहारों के विरुद्ध अपना एजेंडा चलाना शुरू किया था। होली मत खेलो , पानी बचाओ। दीवाली मत मनाओ , पटाखे मत चलाओ प्रदूषण मिठाई मत खाओ क्योंकि वो मिलावटी होती हैं। मगर आपने कभी दूसरे धर्मों के त्यौहारों पर कोई ज्ञान नहीं बांटा कि बेजुबान जानवरों को मत काटो ? 

आप तो पैसों की खातिर मल्टी नेशनल कंपनियों की गोदी में बैठकर चॉकलेट वगैरह के विज्ञापन छाप रहे थे। लोगों से अपील कर रहे थे कि कैडबरी की चाकलेट खाओ। क्योंकि उस कंपनी ने विज्ञापन के रूप में आपके मुंह में पैसा भर दिया था। आपने केवल अपने स्वार्थों को साधा। आप तो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। आपकी पत्रकारिता निष्पक्ष नहीं होकर एजेंडा वाली रही है। 

सारा देश जानता है और आंकड़े गवाह हैं कि जबसे कोरोना भारत में आया तबसे किस राज्य में सबसे अधिक कोरोना मरीज पाये गये ? किस राज्य में सबसे अधिक कोरोना से मौतें हुई ? लेकिन आपने उस राज्य पर उसकी सरकार के कुप्रबंधन पर कभी कोई प्रश्न नहीं पूछा। क्यों ? क्योंकि वे आपके मालिक हैं ? आज संसद से सड़क तक आपके पक्ष में कौन चिल्ला रहे हैं ? आपके मालिक ना ? वे चिल्लाएंगे क्यों नहीं ? आखिर उनके खैराती मीडिया पर छापेमारी जो हुई है। 

केरल एक छोटा सा राज्य है जहां पर महाराष्ट्र के बाद सबसे अधिक कोरोना केस हुए। लेकिन आपने वहां की वामपंथी सरकार की प्रशंसा में अखबार रंग डाला और उत्तर प्रदेश में जहां प्रति हजार जनसंख्या पर सबसे कम केस थे , आपने हमेशा उसे कटघरे में खड़ा किया। इससे साफ है कि आप कोई मीडिया हाउस नहीं हो आप कुछ राजनीतिक दलों के एजेंट हो और उन राजनीतिक दलों के प्रवक्ता की तरह कार्य कर रहे हो। अब आप पूरी तरह नंगे हो चुके हो इसलिए ये सच्चाई और ईमानदारी का ढोंग करना बंद कर दो। ये पब्लिक है ये सब जानती है। वो जमाना गया जब आप जैसे खैराती लोग जो चाहे दिखाते थे और वही समाचार माना जाता था। अब सोशल मीडिया का जमाना है। आप सबकी बखिया उधेड़ने वाला है यह सोशल मीडिया का दौर। 

आप अब केवल मीडिया नहीं हो। आप रीयल एस्टेट में भी व्यवसाय कर रहे हो तथा अन्य क्षेत्रों जैसे सोलर एनर्जी में भी व्यवसाय कर रहे हो। जब आप एक व्यवसायी हो तो अन्य व्यवसायियों की तरह ही व्यवहार करो। व्यवसायियों पर तो छापे रोज ही पड़ते हैं तब तो आपने ये मुद्दा कभी नहीं उठाया। मगर जैसे ही आपके ऊपर छापा पड़ा मीडिया और लोकतंत्र दोनों खतरे में आ गए। 

एक बात कान खोल कर सुन लीजिए कि जो सच्चे होते हैं वे किसी से नहीं डरते हैं। लेकिन बेईमान ? उन्हें तो डरना भी चाहिए। आप अगर सच्चे हैं तो मस्त रहिए और इस केस के बारे में रोज रोज खबर देकर अपनी सत्यता जनता के समक्ष प्रस्तुत करते रहिए। इससे आपकी सच्चाई सबके सामने आती रहेगी। 

किसी ने सच कहा है कि 

सच्चाई को काट सके जो ऐसी कोई तलवार नहीं 

ईमानदारी मिटा सके जो ऐसी कोई सरकार नहीं। 

इसलिए आप मस्त रहिए। आप तो सच्चे हैं। आपका क्या बिगड़ेगा ? आप जरूर लोगों का, सरकारों का कुछ बिगाड़ सकते हैं। मगर आप तो एकदम "निष्पक्ष" हैं इसलिए आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। चिल मारिए। 


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