सबसे गुणी व्यक्ति
सबसे गुणी व्यक्ति
"बीरबल आज अंधेर नगरी में आये हमें तीन दिन से ज्यादा हो गए लेकिन तुम एक भी गुणवान व्यक्ति तलाश नहीं कर सके हो......." बादशाह अकबर विनोदपूर्ण लहजे में बोले।
"महाराज तलाश जारी है.......वैसे ये राज्य अगर आपके अधीन न होता और चौपट राजा आपका गुलाम न होता तो अब तक हमारी तलाश कब की समाप्त हो जाती ......." बीरबल बोला।
"अच्छा वो कैसे?" बादशाह अकबर ने पूछा।
"महाराज यह अंधेर नगरी है, यहाँ कब किसको फाँसी चढ़ा दी जाए पता नहीं लगता, अबतक हमे गुनहगार सिद्ध करके ये लोग हमें फाँसी चढ़ा कर हमारी खोज न जाने कबकी समाप्त कर देते।" बीरबल बोला।
"वही तो बात है बीरबल.......यहाँ हम इसीलिए तो आए है कि जान सके ऐसा गुणी व्यक्ति कौन है जो इस अंधेर नगरी में ज्यादा दिन जीवित रह सके।" बादशाह अकबर विचारपूर्ण मुद्रा में बोले।
तभी उनके मार्ग में तीन घुड़सवार आये, उनमे से एक के कंधे पर धनुष लटका था, दूसरे के हाथ में तलवार थी और तीसरे के हाथ में एक विशाल भाला था। उनके पीछे-पीछे एक लंबा तगड़ा व्यक्ति उन तीनो का साजो-सामान लिए चल रहा था। घुड़सवारों ने राहगीरों से राजा के दरबार का रास्ता पूछा और राजा के दरबार की और चले गए।
"चलो बीरबल तुम्हारी तलाश थोड़ी सीमित कर देते है.......बोलो इन चारों में सबसे गुणी व्यक्ति कौन है?" बादशाह अकबर ने पूछा।
"महाराज वो जो इन तीनों का सामान उठाकर चल रहा है......."
"बीरबल तुम कुछ भी बोल देते हो, ये बोझा उठाने वाला मजदूर इन योद्धाओं से गुनी कैसे हो सकता है?" बादशाह अकबर ने चिढ़े हुए लहजे में कहा।
"महाराज लगता है, आपके सवाल का जवाब देने का समय आ गया है, आइये राजा चौपट के दरबार में चलते है।" कहकर बीरबल ने रथवान को रथ चौपट राजा के अतिथि गृह जहाँ वो दोनों ठहरे थे, की तरफ ले चलने को कहा।
"अतिथि गृह क्यों......सीधे दरबार में चलते है।" बादशाह अकबर ने कहा।
"नहीं महाराज हमे अपना वेश बदल कर चौपट नगरी के अखाड़े की तरफ चलना चाहिए, वही आपको आपके सवाल का जवाब मिल सकेगा।
दो घंटे बाद वो चौपट नगरी के अखाड़े में थे जहाँ लोगों का हुजूम इकट्ठा था और वो तीनों घुड़सवार अपनी हथियारों के साथ मौजूद थे। तभी चौपट राजा और उसका मंत्री अखाड़े में आये और मंत्री ने बोलना शुरू किया, "ये तीन वीर और इनका सेवक सुदूर देवदुर्ग राज्य से पधारे है और हमारे राजा से युद्ध करना चाहते है, महाराज युद्ध करेंगे लेकिन पहले इन्हें सिद्ध करना होगा कि ये हमारे राजा से युद्ध के लायक है इस काम के लिए इन्हे हमारे राज्य के शाही शेर के ऊपर के जबड़े के दाँत गिनने होंगे; लेकिन उससे पहले हमारे महाराज हमारे राज्य के शाही शेर के नीचे के जबड़े के दाँत गिन कर दिखाएंगे।"
थोड़ी देर बाद अखाड़े में एक विशाल शेर लाया गया और चौपट राजा ने उसका मुंह खोलकर उसके नीचे के दाँत गिने और अपने सिंहासन पर जा बैठा। अब उन तीनों की बारी थी तीनों ने जैसे ही शेर के नजदीक जाने की कोशिश की तो शेर उनपर गुर्राया और एक ही छलांग में तीनों को दबोच लिया और उन्हें मार डाला।
"ये तो शेर के दाँत न गिन सके, अब इनके नौकर की बारी है......." मंत्री उत्साह के साथ बोला।
"महाराज मै मजदूर आदमी हूँ मै क्या जानू महाराज से मुकाबला और शेर के दांत गिनना......" उन तीनो का सेवक हाथ जोड़कर बोला।
चौपट राजा कुछ देर सोचता रहा और फिर बोला, "वो तीनो तो मेरी तरह शेर थे, इसलिए उनसे शेर के दाँत गिनवाए गए और ये उनका समान उठाने वाला गधा है इसलिए इससे एक गधे के दाँत गिनवाए जाएं।"
थोड़ी देर बाद उस कद्दावर व्यक्ति ने आसानी से एक गधे के दाँत गिने और चौपट राजा को प्रणाम करके चला गया।
"अब कहिये महाराज गुणी व्यक्ति कौन था, वो जो मिथ्या वीरता दिखा कर मारे गए या ये जो गधा बनकर गधे के दाँत गिनकर यहाँ से जिन्दा वापिस चला गया?" बीरबल ने हँस कर पूछा।
"तुम सही थे बीरबल यही व्यक्ति गुणी था जो परिस्थतियों को भांप गया और अपनी जान बचा ली, वो तीनो मुर्ख थे चौपट राजा के पाले हुए शेर ने उसे कुछ न कहा क्योकि चौपट राजा अक्सर ऐसा करता रहा होगा, जबकि वो तीनों मुर्ख बिना मतलब शेर से भिड़कर अपनी जान दे बैठे।" बादशाह अकबर खड़े होते हुए बोले।
