सौतन
सौतन
नीला दौड़ कर सीढ़ियाँ चढ़ती हुई, बेडरूम में पहुँची, और किसी कटे पेड़ की तरह धड़ाम से बिस्तर पर गिर गई। आज लग रहा था कि उसके आँसू पूरे संसार को डूबो देंगे, जिंदगी बेकार लगने लगी उसे। रोते रोते बेसुध हो गई।
जब होश आया तो देखा शाम के सात बज रहे थे। आज उसे नलिन का इंतज़ार नहीं था। उसकी बेवफाई से नीला का रोम रोम जल रहा था, अंदर, बाहर हाहाकार मचा था होंठ खामोश और आँखें रो रहीं थी, क्या करे वह किससे कहे। उसे बेइंतहा प्यार करनेवाला नलिन किसी और से भी प्यार करता है।
आज बाजार से लौटते वक्त उसने नलिन को एक लड़की के साथ कैफे में घुलते मिलते देख लिया था। उसको कुछ अजीब लगा, क्योंकि नलिन औरतों से ज्यादा बात नहीं करते थे, वह कैफे में जाकर उनके सामने खड़ी हो गई। नलिन इस अप्रत्यशित घटना से स्तब्ध रह गये। नीला को सामने देख वह घबराए पर फिर संभलते हुए बोले नीला ये मेरी पत्नी चारू है। नीला तो जैसे आसमान से गिरी, बस एक सवाल पूछा उसने? तो फिर मुझसे शादी क्यों करी।
नलिन ने बताया उसने चारू से पाँच साल पहले मंदिर में शादी की थी। मगर कोई संतान नहीं हुई, इसलिए उन्होने उससे शादी की। नीला के पैरों तले मानो ज़मीन धंसने लगी। मतलब तुमने मुझे इस्तेमाल किया !
नीला ने अब तक सौत के बारे में सुना था, आज सौतन के रूप में चारू को देखकर उसकी दुनिया ही उजड़ गई।
उसने तुरंत अपने पापा के पास जाने का फैसला ले लिया, हमेशा के लिए। नीला ने सौतन के साथ रहने से अच्छा अकेले रहने का निर्णय ले लिया।