सैम अंकल

सैम अंकल

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मोहित सोशल वर्क में मास्टर्स कर रहा था। पहले साल के आखिरी में कुछ छात्रों को एक प्रोजेक्ट के लिए चुना गया। उन्हें अलग अलग टास्क मिले थे। मोहित को शहर के बाहर स्थित एक वृद्धाश्रम में जाकर एक बुजुर्ग के साथ पूरा दिन बिताना था।

मोहित यह सोच कर आया था कि जिसके साथ उसे पूरा दिन बिताना है वह जीवन से हारा हुआ कोई दुखी वृद्ध होगा। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह उनके साथ वक्त कैसे बिताएगा। उनसे क्या बात करेगा ?

मोहित जब वृद्धाश्रम पहुँचा तो ‌उसे एक‌ बुजुर्ग शख्स से मिलवाया गया। उनका नाम सोमेश था पर वह सैम अंकल के नाम से प्रसिद्ध थे।

सैम अंकल उसकी सोच से एकदम विपरीत थे। उन्होंने एक मुस्कुराहट के साथ उसका स्वागत किया। एक साफ आइरन की गई शर्ट पैंट में ‌वह बहुत स्मार्ट लग रहे थे। सौम अंकल की उम्र पछत्तर साल थी पर वह एकदम तन कर चल रहे थे। 

मोहित के कुछ बोलने से पहले ही वह बोले। 

"मोहित आज हम दोनों को पूरा दिन एकसाथ बिताना है। हम दोनों ही एक दूसरे के लिए अजनबी हैं। पर आज एक दूसरे को जानने की कोशिश करेंगे।"

सैम अंकल के इस व्यवहार से मोहित का संकोच खत्म हो गया। सैम अंकल उसे वृद्धाश्रम दिखाने ले गए। सभी बुजुर्ग अपनी अपनी क्षमता के अनुसार कुछ ना कुछ काम कर रहे थे। जो बुजुर्ग कुछ भी करने में असमर्थ थे वो धूप में आराम कर रहे थे। वहाँ का माहौल बिल्कुल भी वैसा नहीं था जैसा वह सोच कर आया था। 

जब वृद्धाश्रम का चक्कर लगाने के बाद मोहित सैम अंकल के साथ कॉमन रूम में जाकर बैठा तो उन्होंने उससे पूँछा।

"तुम्हें हमारा यह घर कैसा लगा ?"

मोहित को उनका वृद्धाश्रम को हमारा घर कहना कुछ अजीब लगा। उसने कहा।

"अंकल आप इसे अपना घर कहते हैं।"

"बिल्कुल....हम यहाँ रहते हैं। यहीं हमारे अपने हैं। तो यही हम सबका घर हुआ।"

"पर आपको कभी अपने परिवार व घर की याद नहीं आती है ?"

सैम अंकल कुछ देर शांत रहे फिर बोले।

"बेटा जीवन आगे बढ़ने के लिए है। जो आपको जीवन में आगे ना बढ़ने दे। जो आपको अतीत में जकड़ ले उसे भूल जाना ही अच्छा है।"

सैम अंकल रुके फिर कुछ सोंच कर बोले।

"शुरुआत के दो साल मैंने अतीत से जकड़े हुए काटे। तब मैं जीवन के प्रति उदासीन हो गया था। हर समय मृत्यु की गुहार करता था। पर मृत्यु नहीं आई। फिर एक दिन समझ आया कि मृत्यु की गुहार लगाने से अच्छा जीने का प्रयास करूँ।"

मोहित को उनकी बात सुनकर अच्छा लग रहा था। सैम अंकल ने आगे कहा।

"बस मैंने जीना शुरू कर दिया। सबसे पहले पुराने जीवन से बाहर निकलने का प्रयास किया। वर्तमान में जीने लगा। शरीर‌ को स्वस्थ रखने के लिए उससे उसकी सामर्थ्य भर काम लेता हूँ। हमेशा खुश रहता हूँ और सबको खुश रखने का प्रयास करता हूँ। मुझे देख कर मेरे साथियों को भी प्रेरणा मिली। अब वो सब भी इसे ही अपना घर मानते हैं।"

कुछ देर बाद सभी कॉमन रूम में आ गए। कुछ लोग आपस में हंसी मज़ाक कर रहे थे। कुछ वर्तमान मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। कुछ लोग अपनी पसंद की किताब लेकर बैठे थे। 

दोपहर को खाने के बाद सैम अंकल और मोहित आपस में बात करने लगे। सैम अंकल ने उसे बताया कि उनका व्यापार था। जिस पर उनके बेटों ने कब्ज़ा कर उन्हें घर से निकाल दिया। वह विक्षिप्त अवस्था में सड़क पर भटक रहे थे जब कोई उन्हें यहाँ छोड़ दिया। 

पहले वह जीवन से हताश मौत की राह देख रहे थे। पर बाद में उन्होंने जीवन को गले लगा लिया। 

सैम अंकल के साथ दिन बिताने के बाद जब वापस जा रहा था तब एक महत्वपूर्ण सबक उसके साथ था। 

जीवन हर हाल में जीने योग्य है।


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