सासू भक्ति
सासू भक्ति
रिशा लंच करके अपना पसंदीदा सीरियल "तू तू मैं मैं" देखने बैठी ही थी कि उसकी पड़ोसन रिद्धिमा आ गई । दोनों औरतें पड़ोसन होने के साथ साथ अच्छी सहेलियां भी हैं । दोनों में पटती भी खूब है । बुराई भलाई करने भें दोनों का मन खूब लगता है । देखते देखते दोनों में चटर पटर शुरू हो गई ।
रिद्धिमा कहने लगी "दी, आजकल तो आप चैन से रह रहीं होंगी" ?
रिशा चौंकते हुए बोली "ऐसा क्या हुआ ? मैं तो पहले भी चैन से ही रह रही थी और अब भी चैन से ही रह रही हूं" ।
"नहीं , मेरा मतलब है कि पहले तो आपकी सास जिंदा थी ना । इसलिए हरदम उनकी टोका-टाकी लगी रहती होगी न ? लेकिन कोरोना देवता की कृपा से जबसे उन्हें स्वर्ग में सिंहासन मिला है तो अब बेबात की टोकाटाकी से तो चैन तो मिला होगा ना आपको" ?
"अरे बहन, अपनी किस्मत में चैन कहां ? मुझे तो हर वक्त सासू मां का ही खयाल आता रहता है । सोते जागते हरदम उनका ही स्मरण करती रहती हूं " । रिशा का चेहरा लटक गया था और आंखॆं भी नम हो गई थी ।
"अच्छा ! यह बात है । मुझे तो पता ही नहीं था कि आप इतनी बड़ी सासू भक्त हैं ? सच में दी, आप जैसी बहू और कहां होगी पूरे देश में ? आप तो "कहानी घर घर की" धारावाहिक की बहू मिसेज अग्रवाल और "क्योंकि सास भी कभी बहू थी" धारावाहिक की सबकी चहेती बहू "स्मृति ईरानी" से भी दो कदम आगे निकलीं" , रिद्धिमा रिशा की प्रशंसा करने लगी ।
रिशा कहने लगी "क्या बताऊं रिद्धिमा , मैं कितना याद करती हूं उनको ? सोते जागते बस उन्हीं का नाम होठों पर और तस्वीर आंखों में रहती है" ।
"हां , जानती हूं दी । वो तो आपकी सासू मां जब कोरोना से बीमार हुई थी तभी आपने उन्हें तुरंत अस्पताल भिजवा दिया था । घर में रखने पर घर में कोरोना का संक्रमण फैलनै का खतरा जो था । हालांकि आप उन्हें देखने , संभालने एक बार भी अस्पताल नहीं गई थीं, लेकिन दोनों समय का खाना आपने , अपने घर से ही भिजवाया था । अस्पताल का खाना खाने से प्राण संकट में पड़ सकते थे । अस्पतालों में खाना कौन बनाता है ? इसका पता ही नही चल पाता है ।
आजकल "थूकचंद" बहुत पैदा हो गये हैं । इन थूकचंदों को अपने थूक से बहुत अधिक स्नेह है । जब से कोरोना हुआ है और इन थूकचंदों को यह पता चला है कि "थूक" से कोरोना फैलता है । बस, तभी से इन थूकचंदों ने अपने थूक को एक हथियार बनाकर फलों, सब्जियों , रोटियों व अन्य खाने की वस्तुओं में प्रयोग करना शुरु कर दिया है । इसलिए अब किसी होटल , रेस्टोरेंट या ढाबे में खाना खाने से डर लगने लगा है कि कहीं कोई थूकचंद अपने थूक का करिश्मा नहीं दिखा दे ? लोगों ने तो जोमेटो और स्विगी" से भी खाना मंगवाना बंद कर दिया है । क्या पता कोई डिलीवरी ब्वाय अपने थूक की शक्ति दिखाने को लालायित हो ? एक प्रसिद्ध हेयर स्टाइलिस्ट तो कह रहा था कि उसके थूक में बहुत ताकत है और उसने एक महिला के बालों में थूककर अपनी ताकत दिखाई भी थी । इसलिए अब डर लगता है कि अस्पताल में भी कोई थूकचंद अपना कमाल ना दिखा दे ?
रिद्धमा बोली " दीदी , आपकी सासू भक्ति तो तीनों लोकों से न्यारी है । लोग माता सीता और उर्मिला का उदाहरण देते हैं सासू भक्ति के लिए । पर मेरी नजर में आपकी सासू भक्ति उन से भी 21 है । आपकी सासू मां का शव लेकर जब एम्बुलेंस आपके घर आई थी तब आपने एम्बुलेंस में शव के दर्शन करने के बजाय घर में रखे चित्र के ही दर्शन करके उन्हें अंतिम विदाई दे दी थी । ये क्या कम बात है ? कौन करता है आजकल इतना ? अब तो घरों में सासू मां का कोई फोटो क्या कुछ भी सामान नहीं मिलता है । आपने कम से कम फोटो पर फूल माला तो चढा दी थी । भाईसाहब कितने अच्छे हैं , वे तो श्मशान घाट जा भी रहे थे मगर आपने उन्हें कोरोना का वास्ता देकर रोक लिया था । कितना महान कार्य किया था आपने ? आपका यह बलिदान याद रखेगा यह देश सदा सदा के लिए । इतिहास में ऐसे बलिदान कहां मिलेंगे भला " ? रिद्धिमा की आंखों से झर झर आंसू गिरने लगे ।
रिशा ने रिद्धिमा को ढांढस बंधाते हुए कहा "हां रिद्धिमा , तुम सही कहती हो । मैं कितना खयाल रखती थी उनका । अब बड़ी समस्या हो गई है उनके ना रहने से " !
रिद्धिमा चौंकी "क्या हो गया दी ? कैसी समस्या उत्पन्न हो गई है " ?
रिशा के मुंह से दुखों के सागर में गोता लगाकर एक आह निकली । वह आह एक दुष्कर्म पीड़िता की तरह लुटी पिटी नजर आ रही थी । वह बोली "पूछो ही मत बहन । आजकल सुबह-सुबह ही मेरा दिमाग खराब हो जाता है जब मैं रात की बची हुई रोटी और सब्जी देखती हूं । जब तक सासू मां थीं , मुझे यह समस्या लगी ही नहीं । वे अपने आप ही खा लेतीं थीं वे बची हुईं रोटियां । मगर अब तो वो नहीं है ना । उन बची हुई रोटियों का क्या करूं मैं ? मेरे लिए यह बहुत बड़ी समस्या है । जब कामवाली बाई को उन बासी रोटी सब्जी को देती हूं तो वह बहुत नाक भौं सिकोडती है । और कभी कभी तो वह लेकर भी नहीं जाती है कलमुंही । मजबूरन मुझे डस्टबिन में डालनी पड़ती हैं । वो कचरे वाला भी दो दिन में आता है तब तक घर में सडांध उठने लगती है । जब जब भी मुझे बदबू आती है , सच में सासू मां बहुत याद आती हैं" ।
"हां दी , अब तो दरवाजा खोलने भी आपको ही आना पड़ता होगा ना " रिद्धिमा ने बात आगे बढ़ाई।
"अरे रिद्धिमा , जब भी घंटी बजती है , सासू मां बहुत याद आती हैं । पहले ऐसा होता था कि घंटी बजने पर सासू मां अपने कमरे से निकल कर चली जाती थी और आधे लोगों को तो बाहर से ही निपटा देती थी । मगर अब सब कुछ मुझे ही देखना पड़ता है न । इसलिए जब जब डोरबेल बजती है , सच में सासू मां बहुत याद आती है" ।
"दी, आजकल आप इतने व्यस्त रहते हो कि अपने कपड़े भी नहीं उठाते हो । ऊपर छत पर ही टंगे रहते हैं दिन भर" ।
रिशा के चेहरे पर बहुत तीखे भाव आए । बोली "कपड़ों की तो पूछो ही मत रिद्धिमा ! इन मुए कपड़ों ने तो मेरे पैर ही जला दिए हैं"
वह अपने पैर रिद्धिमा को दिखाते हुए बोली " आजकल गर्मी कितनी पड़ रही है । 47 डिग्री हो रहा है तापमान । पहले तो सासू मां दोपहर में बारह एक बजे ही ले आती थी कपड़ों को ऊपर छत से और उनकी अच्छी तरह से तह बनाकर रख देती थीं । एक दिन मैं दोपहर के चार पांच बजे कपड़े लेने चली गई तो मेरे पैर जल गए धूप से । फफोले पड़ गए इनमें । अगर सासू मां होतीं तो मेरे पैरों का यह हाल तो ना होता कम से कम । मैं जब जब भी अपने फफोले वाले पैर देखती हूं, तब सासू मां बहुत याद आती हैं " । रिशा की आंखें फिर से छलछला आईं । रिद्धिमा रिशा की यह हालत देख नहीं पा रही थी और बार बार उसके आंसू पोंछ रही थी ।
रिद्धिमा ने कहा "आजकल बच्चे नहीं आते खेलने के लिए गली में ? बहुत दिनों से हमारी खिड़की का कोई ग्लास नहीं टूटा है ना " ।
"अरे रिद्धिमा , बच्चों की तो पूछो ही मत ! जब तक सासू मां थीं तब तक तो ये बच्चे उनके साथ ही सोते थे । वे भांति-भांति की कहानियां सुनातीं थीं । अब इनको वैसी वाली देसी कहानियों का चस्का लग गया । अब मैं कहां से लाऊं वैसी कहानियां ? तुम तो जानती ही हो कि मैं तो कॉन्वेंट की पढी लिखी हूं । वहां तो हैरी पॉटर जैसी कहानियां बताते हैं । इन बच्चों को भगवान राम , हनुमान, गणेश जी की कहानियां चाहिए । पहले सासू मां ये सब कर,लेती थी और बच्चे कहानियां सुनकर सो जाते थे मगर अब ? ना तो कहानियां हैं और ना ही नींद । इसलिए बच्चे बहुत लेट सोते हैं और नींद पूरी नहीं होती है इसलिए दोपहर में भी खेलने नहीं जाते । जब खेलने ही नहीं जाते तब तुम्हारी खिड़कियों के शीशे कैसे टूटेंगे ? इसलिए मैं जब जब भी इन बच्चों को घर में देखती हूं तब तब सासू मां बहुत याद आतीं हैं " ।
वे दोनों बातें कर ही रहीं थीं कि बाहर से किसी औरत के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी । रिद्धिमा ने हैरानी से पूछा " ये कौन चिल्ला रही है आपके घर के सामने" ?
"अरे वो मिसेज चौधरी हैं । इनको रोज रोज लड़ाई चाहिए । जब तक ये लड़ नहीं लेतीं , ना तो भूख लगती है और ना ही प्यास । और तो और इनको तो रात में नींद भी नहीं आती है । इनका खाना भी लड़ाई करने से ही पचता है । इसलिए वे बात बेबात पर झगड़ा करतीं रहतीं हैं । जब तक सासू मां थीं , वे इनसे दो दो हाथ कर लेतीं थीं । मगर जबसे वो स्वर्ग सिधारीं हैं ये मेरे गले पड़ जातीं हैं । मेरे तो सिर में दर्द हो जाता है फिर बर्फ रखनी पड़ती है सिर पर" । रिशा ने अपना दुखड़ा सुनाया ।
रिशा की सासू भक्ति देखकर रिद्धिमा ने उसके चरण पकड़ लिए और कहने लगी "दी , कितनी सेवा कर रही हो आप अपनी सासू मां की ! आजकल के जमाने में कौन है जो सासू मां को पांच मिनट भी याद करे ? और एक आप हैं जो चौबीसों घंटे सासू मां की रट लगाये रहते हो । इतना तो कोई भगवान को भी याद नहीं करता है जितना आप अपनी सासू मां को याद करते हो । वाह , वाह । कमाल है आपकी सासू भक्ति । आप एक आदर्श बहू हैं और आपसे अच्छी बहू इस दुनिया में और कहां मिलेगी ? सच में आप बेमिसाल हैं दी " । यह कहकर दोनों सहेलियां गले लग गई ।