सारथी
सारथी
तीनों ओर से घिर चुकी थी "क्या एक माँ होना उसकी गलती थी पर अम्मा भी तो माँ हैं बेटी तो नासमझ है पर अम्मा वो तो जीवन निभा चुकी हैं। वे तो इस राह से ,पर दोनों मुझे ही परेशान ... ।" उसकी मां उसे हमेशा सही राह दिखाती मगर ये मन डगमगा जाता ।चिन्तित रहने की वजह से शरीर का घोड़ा भी कमजोर पड़ने लगा पति स्थिति भांप रहा था "सुनो कल आहना से कह कर सुदीप के घरवालों को बुलवा लो अम्मा को मैं समझा दूंगा ,अर्न्तजातिय विवाह अब आम बात है अम्मा बूढ़ी हैं बदलाव हम ही ..."
"दो पीढ़ियों के बीच पिसना अब शायद ...मेरा सारथी मुझे राह दिखायेगा ।"