साहस
साहस
जबतक सहती है वो अबला है, बोली तो सबला बन जाती है।
औरत के साहस को देखकर हर इक की रूह काँप जाती है।
प्यार से सब करती है, सबकी हां में हां मिलाती है,
जिसदिन टूटा सब्र वही खतरे की घंटी बन जाती है।
अपनों के लिये जज़्बाती है, प्यार से थोड़ी हारी है।
इसीलिये अपनी बेकद्री भी हंसते हँसते सह जाती है।
पर देती जिसदिन परिचय अपने साहस का,
अपनें भी डरजाते है, सास, ननद,पति,देवर, ससुर
कमरों में छुप जाते हैं।
इसीलिये कहती हूँ, मत छेड़ो औरत के जज़्बातों को,
प्यारी है वो, प्यार से जीतो उसके मनोभावों को।
