Janhavi Mistry

Romance

4.8  

Janhavi Mistry

Romance

रूह से चाहने वाले आशिक़

रूह से चाहने वाले आशिक़

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अमावस्या की काली अंधियारी रात है। चारों ओर बस अंधेरा ही अंधेरा है। इस काली अंधियारी रात के अंधेरे को चीरती हुई एक डैशिंग ब्लेक Ford Ecosport कार जा रही है। उस बेहद खूबसूरत सी कार को नेवी ब्लू शर्ट और ऑफ़ व्हॉइट पेन्ट से सजा हुआ और चेहरे पे थोड़ी सी बियर्ड वाला एक हैण्डसम और डैशिंग नौजवाँ चला रहा था। उस नौजवाँ का नाम निशिथ था। गाड़ी में गाना गुनगुनाते हुए निशिथ जा रहा था, " एक अजनबी हसीना से यूँ मुलाक़ात हो गई। " ये " गईं " बोलते शब्द दो - दो बार दोहराया और अचानक से उसने ब्रेक लगाई। 


सुनसान से रास्ते पे दाईं ओर एक क्यूट red hundai eon कार के साथ एक क्यूट सी लड़की खड़ी थी। लड़की दिखने में बेहद खूबसूरत थी। ऐसी क्यूट और चार्मिंग लड़की शायद ही हो इस दुनिया में। लेकिन, ये लड़की थोड़ी परेशान सी लग रही थी। निशिथ ने गाड़ी वहाँ रखी और उस लड़की से पूछा, " एक्स्क्यूज़ मी, मे आई हेल्प यू ? क्या हुआ ? गाड़ी बिगड़ गयी है? उस लड़की ने सर को हिलाते हुए कहा, " रास्ते में गाड़ी अचानक से बंद हो गई। " 

निशिथ उदास होकर बोला,"और यहाँ आसपास में कोई गराज भी नहीं है, आप एक काम कीजिए। आप मेरी गाड़ी में बैठ जाइए, मैं आपको आपके घर तक छोड़ दूँगा।" लड़की थोड़ा हिचकिचा रही थी। निशिथ ने कहा, "भरोसा रखिए मेरे पे, यह रास्ता ठीक नहीं है, आप मेरे साथ चलिए। निशित की बात सुन के वो लड़की उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गयी।

निशिथ ने लड़की से पूछा ," आपका नाम? "

लड़की ने कहा, "सौम्या"

निशिथ ने कहा, "सौम्या जी आप इस सुनसान रास्ते से कहाँ जा रही थी?

सौम्या ने कहा, "जी मेरी एक पुरानी दोस्त की बर्थडे पार्टी थ , वहां से आ रही थी। फ़िर अचानक गाड़ी बंद हो गई। 

निशिथ ने कहा, "अच्छा, टेन्शन मत लीजिए , मैं आपको सही सलामत घर छोड़ दूँगा।"

सौम्या ने कहा, "थैंक यू वेरी much . बाई द वे , वाट्स योर नेम ? "

निशिथ ने मुस्कुराते हुए कहा, "जी मेरा नाम निशिथ है। इससे ज़्यादा कोई बात नहीं हुई। थोड़ी देर के बाद सौम्या ने निशिथ से कहा, "बस, यहाँ से राईट लीजिए ,सामने ही मेरा घर आ जाएगा। 


निशिथ ने सौम्या ने जहाँ कहा वहाँ गाड़ी रोकी। सौम्य गाड़ी से उतरी और निशिथ की कहा, "थैंक यू अगेन , निशिथ। नाइस टू मीट यू." सौम्या को छोड़ के निशिथ वापस अपनी राह पे चल दिया।

निशिथ M.sc कर रहा था। दूसरे दिन वो कॉलेज जाने के लिए निकला। आज M.sc के दूसरे सेमेस्टर का दूसरा दिन था, वो पहले दिन कॉलेज नहीं गया था। वो कॉलेज जाके हमेशा की तरह पहली बेन्च पे अकेला बैठ गया। निशिथ कॉलेज का सबसे शांत लड़का था। कॉलेज बाक़ी लड़के अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बैठते थे। उसकी कोई गिरलफ़्रेंड नहीं थी, और न ही वो बनाना चाहता था। उसको B.sc करते वक्त कड़वा अनुभव हुआ था।

वो यूँही बैठा हुआ था, उतने में क्लास में उसने एक लड़की को आते हुए देखा। वो लड़की और कोई नहीं, सौम्या थी। निशिथ बोला," सौम्या ! आप यहाँ? , पहला दिन है आपका?"   

सौम्या ने कहा, "हाँ, क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ?" 

निशिथ ने कहा, "ऑफ़ कोर्स, व्हाई नॉट "

जी, आपका क्लास में इंट्रोडक्शन हो गया?

सौम्या ने कहा, "हाँ, लेकिन आप मुझे आप मत बुलाइए।" 

निशिथ ने कहा, "आप भी हमें तुम बुला सकती हो, अगर दोस्त मानती हो तो।"

सौम्या ने मुस्कुराके कहा, " ओके" 


इतने में प्रोफेसर आ गए। क्लास ख़तम होने के बाद दोनों केन्टीन में गए। वहाँ ढ़ेर सारी बातें की। थोड़े ही दिनों में दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। क्लास में तो बात करने का मौका ही नहीं मिलता था। इसलिए केन्टीन में ही दोनों बातें करते थे। एक दिन सौम्या ने पूछा," निशिथ, यहाँ सबकी गर्लफ्रेंड है, तुम्हारी कोई नहीं बनी अब तक?" निशिथ मायूस होके बोला, " थी, लेकिन वो मुझसे ज़्यादा मेरे पैसों से प्यार करती थी। मेरे पापा बहुत बड़े बिज़नेसमैन थे। इसलिए मेरे साथ रहती थी।"

सौम्या बोली, "पाप थे मतलब? अब कहाँ हैं?"

निशिथ ने कहा, एक एक्सीडेंट में मेरे मम्मी - पापा दोनों की मौत हो गई, अब अकेला हूँ इस दुनिया में।"

सौम्या निशिथ का हाथ पकड़ते हुए, "मैं हूँ ना" 

निशिथ बोला, "हाँ, तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ "

दोनों मुस्कुराने लगे। 


दिन बीतते गए और ये दोस्ती प्यार में कब बदल गईं दोनों को पता ही नही चला। कॉलेज के दूसरे स्टूडेंट के साथ दोनों बात ही नहीं करते थे। बस , एक दूसरे में और पढ़ाई में खोए रहते थे। देखते देखते साल ख़तम हो गया। जब रिज़ल्ट का दिन था, तब सौम्या कॉलेज नहीं आयी थी। निशिथ ने सोचा कि चलो, कुछ नहीं वो खुद ही सौम्या का रिज़ल्ट देख लेगा।  निशिथ पूरे क्लास में फर्स्ट आया। लेक़िन रिज़ल्ट की लिस्ट में कहीं पे भी सौम्या का नाम नहीं था। वो एक दम हैरान हो गया कि ऐसा क्यों हुआ? वहीं थोड़ी देर में क्लास का C.R. आया। उसने निशिथ को पूछा, "क्या हुआ निशिथ, तुमने तो क्लास में टॉप किया है, फ़िर इतने परेशान क्यों हो?" 

निशिथ ने कहा, "यहाँ सौम्या का नाम कहाँ है? "

उसने कहा, "कौन सौम्या? किसकी बात कर रहे हो तुम ?"

निशिथ ने कहा, "सौम्या, जो हमारे क्लास में बैठती है और केन्टीन में भी मेरे साथ ही होती है।"

C.R. ने कहा, "तुम्हें क्या हो गया है? कितने दिनों से अजीब सा वर्ताव कर रहे हो !! अकेले अकेले हँसते हो, बातें करते हो। क्या हो क्या गया है तुम्हें??

निशिथ उसकी बातें सुनकर हैरान सा हो गया, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वो भाग के गया अपनी गाड़ी के पास और सौम्या के घर की और चल दिया।


सौम्या के घर जाके उसने सौम्या से पूछा, "सौम्या , ये हमारे क्लास का C.R पागल हो गया है। वो कह रहा था कि क्लास में सौम्या नाम की कोई लड़की है ही नहीं!!!, तुम अभी चलो मेरे साथ मैं उसको दिखता हूँ कि सौम्या कौन है। चलो जल्दी।

सौम्या ने कहा, "रूको निशिथ, ग़लती उसकी नहीं मेरी है। मैं उसके सामने जाऊँगी तो भी वो मुझे नहीं देख पाएगा।

निशिथ ने कहा, " ये .. ये तुम क्या कह रही हो, कुछ समझ में नहीं आ रहा है ????

सौम्या ने कहा, निशिथ, मुझे माफ़ कर दो। मैंने तुमसे एक बात छुपाई है। निशिथ, मैं कोई इंसान नहीं हूँ, मैं एक आत्मा हूँ। मेरी मौत 20 साल पहले हो चुकी है। मैं 20 साल से उसी जंगल में भटकती थी। मेरी कुदरती मौत नहीं थी। इसलिए मेरी आत्मा भटकती रहती है। मैंने कभी किसी को डराया नहीं है और नहीं परेशान किया है। इस वजह से मुझे वरदान मिला था कि, कोई एक व्यक्ति जो मुझे अच्छा लगे, उसी को मैं दिखाई दूँगी। निशिथ जब उस दिन मुझे मिलने से पहले, उस ढाबे पे अनाथ बच्चों के साथ खेल रहे थे और बातें कर रहे थे, तब से ही मुझे तुमसे प्यार हो गया था। आई ऍम सॉरी, मैंने तुमसे ये सब छुपाया, लेकिन मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती थी।


सौम्या की सारी बातें सुनकर निशिथ एक दम चुप सा हो गया और बाद में बोला,

"सौम्या, पहली ही नज़र में मुझे भी तुमसे प्यार हो गया था, तुम ज़िंदा न हो तो क्या हुआ? मैं अभी भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले करता था और करता रहूँगा मारते दम तक....

ये सुनकर सौम्या बोली, "लेकिन, निशिथ कोई एक आत्मा से कैसे प्यार कर सकता है? अब तो तुम मुझे छू भी नहीं सकोगे।

निशिथ ने कहा, "क्यों ?"

सौम्या ने कहा,"अगर, मुझे देखने वाला इंसान मेरी सच्चाई जान ले तो, तब से वो मुझे सिर्फ देख ही सकता है, छू नहीं सकता।" 

उसकी ये बात सुनकर निशिथ बोला, "मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है, तुम्हारे जिस्म से नहीं। और हाँ, 'रूह से चाहने वाले आशिक़, बातें जिस्मों की करते नहीं।"

सौम्या ने कहा," तुम्हारे जैसी सोच रखने वाले बहुत कम होते है। गर्व है मुझे, की मैंने ऐसी सोच वाले इंसान से प्यार किया।

निशिथ मुस्कुराते हुए सिर्फ इतना बोलता है,

"तुम्हें छू ना पाऊँ अगर, तो न कोई मुझे शिकायत है, 

  तुम्हें देख पा रहा हूँ ऐसे, ख़ुदा की ये इनायत है। " 

सौम्या क्या बोलती ? बस प्यार भरी नज़रों से निशिथ को देखती रही।


काश!!! निशिथ की तरह ही सब प्यार का सच्चा मतलब समझ पाते। 


                 



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