रुक्मणी का श्राद्ध

रुक्मणी का श्राद्ध

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बैंक की शाखा में दूर - अंचल से खाता खोलने आये ''रंगैया'' ने भी कुछ ऐसी छाप छोड़ी.......


''रंगैया'' जब खाता खोलने आया तो बैंकवाले ने पूछा - ''रंगैया'' खाता क्यों खुलवा रहे हो ?


''रंगैया'' ने बताया, “साब दस कोस दूर बियाबान जंगल के बीच हमरो गाँव है घास -फूस की टपरिया और घर मे दो-दो बेटियां... घर की परछी में एक रात परिवार के साथ सो रहे थे तो कालो नाग आयके घरवाली रुक्मणी को डस लियो, रात भर तड़प-तडप कर बेचारी रुक्मणी मर गई.... मरते दम तक भूखी प्यासी, दोनों बेटियों की चिंता करती रही...... सांप के काटने से घरवाली मरी तो सरकार ने ये पचास हजार रूपये का चेक दिया है... तह्सीलवाला बाबू बोलो कि बैंक में खाता खोलकर चेक जमा कर देना रूपये मिल जायेंगे ... सो खाता की जरूरत आन पडी साब !....”


बैंक वाले ने पूछा, “सांप ने काटा तो शहर ले जाकर इलाज क्यों नहीं कराया ?”

''रंगैया'' बोला, “कहाँ साब ! गरीबी में आटा गीला.... शहर के डॉक्टर तो गरीब की गरीबी से भी सौदा कर लेते है, वो तो भला हो सांप का... कि उसने हमारी गरीबी की परवाह की और रुक्मणी पर दया करके चुपके से काट दियो, तभी तो जे पचास हजार मिले है खाता न खुलेगा...... तो जे भी गए......... अब जे पचास हजार मिले है तो कम से कम रुक्मिणी का श्राद्ध भी अच्छे से हो जाएगा, और दोनों बेटियों की शादी हो जाएगी और घर को छप्पर भी सुधर जाहे... जे पचास हजार में से तहसील के बाबू को भी पांच हजार देने है, बेचारे ने इसी शर्त पर जे चेक दियो है ।”


तभी किसी ने कहा, “यदि नहीं दोगे तो?...........”


रंगैया तुरंत बोला, “नहीं साब... हम गरीब लोग है प्राण जाय पर वचन न जाही...साब, यदि नहीं दूंगा तो मुझे पाप लगेगा... उस से वायदा किया हूँ झूठा साबित हो जाऊँगा.... अपने आप की नजर में गिर जाऊँगा..... गरीब तो हूँ और गरीब हो जाऊँगा..... और फिर दूसरी बात जे भी है कि जब किसी गरीब को सांप कटेगा, तो ये तहसील बाबू उसके घर वाले को फिर चेक नहीं देगा...?फिर किसी मरे हुए का क्रिया कर्म और श्राद्ध रुक जाएगा........”


रंगैया को बैंक वाले ने बताया कि, “जब तक तुम आधार कार्ड और बिजली का बिल नहीं लायेगा तब तक तुम्हारा खाता नहीं खुल पाएगा।”

 

रंगैया के काटो तो खून नहीं ! 

रंगैया के पास न तो आधार कार्ड था और न ही बिजली बिल..........


उसने बैंक वाले से अनुनय-विनय किया कि घरवाली सांप के काटने से मर गई है उसका श्राद्ध करना जरूरी है नहीं तो वह प्रेत बनकर गांव भर को परेशान करेगी। रंगैया ने बहुत हाथ पांव जोड़े पर बैंक वाले नहीं माने तब रंगैया ने ये सब बातें तहसीलदार को बतायीं।


तहसीलदार ने रंगैया को बोला कि, “जाकर बैंक वालों से पूछो कि हीरे के व्यापारी को ग्यारह हजार करोड़ रुपये दिए थे तो क्या आधार कार्ड लिया था।”


रंगैया ने अभी तक ग्यारह रुपये तक ही सुना था... तो बैंक वाले से जाकर बोला कि, “तहसीलदार साहब पूछ रहे हैं कि हीरे वाले को जब ग्यारह रुपये पीएनबी ने दिये थे तो आधार कार्ड लिया था क्या ?”


बैंक वाले ने ऊंगली दिखा दी थी कि जाकर शाखा प्रबंधक से पूछो....


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