रोमांचकारी ट्रैकिंग - समिट पीक, हिमालय
रोमांचकारी ट्रैकिंग - समिट पीक, हिमालय


अनीश और तेजस्विनी जुपल्ली हमारी सोसाइटी (A Gated Community) में निवास करते हैं। बीते दिसंबर में केदारकांठा ट्रैकिंग करने के विचार ने इस युगल को आकर्षित किया था। अपने इकलौते बेटे चार वर्षीय ईशान को उसके दादा-दादी के साथ रहने के लिए छोड़कर, लगभग महीने भर पूर्व प्लान की गई ट्रिप के अंतर्गत, दोनों 17 दिसंबर को हैदराबाद से देहरादून पहुँचे थे।
देहरादून से केदारकांठा ट्रैकिंग तक आगे की समस्त व्यवस्था टूर प्लानर ने की थी। अनीश और तेजस्विनी को अगले दिन देहरादून से साँकरी (Sankri) तक उनके द्वारा ही ले जाया गया था। देहरादून से साँकरी की दूरी 200 किमी है। टैक्सी में 8 घंटे की यात्रा के बाद दोनों साँकरी पहुँचे थे। साँकरी छोटा सा पहाड़ी गाँव है, जिसमें लगभग 300 पहाड़ी नर-नारी एवं बच्चे निवास करते हैं। 18 दिसंबर की संध्या एवं रात्रि तेजस्विनी और अनीश ने बेस कैंप (टेंट) में बिताई थी। रात्रि का तापमान शून्य से 2 डिग्री सेल्सियस कम था। हैदराबाद में रहने वाले अनीश और तेजस्विनी के लिए टेंट में रहने के साथ ही इतना कम तापमान, ट्रिप का पहला रोमांचक अनुभव था।
मुझसे केदारकांठा ट्रैकिंग के अनुभव, तेजस्विनी ने सांझा किए हैं। तेजस्विनी ने बताया - साँकरी गाँव उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 1920 मीटर की ऊँचाई पर बसा ग्राम है।
पूरी ट्रैकिंग ट्रिप में चाय नाश्ता, खाने की व्यवस्था ट्रैकिंग एजेंसी द्वारा ही की गई थी। तेजस्विनी ने बताया - यह नाश्ता-खाना शाकाहारी था। तथापि ट्रैकर्स द्वारा चाहे जाने पर नाश्ते और खाने में अंडा भी मिल जाता था।
साँकरी कैंप से अगले दिन तेजस्विनी को अपने पतिदेव के साथ जिस ग्रुप में ट्रैकिंग करनी थी, उसमें कुल 20 सदस्य थे। कुल 6 मेंबर्स तेजस्विनी की तरह लड़की/युवतियाँ थीं। अधिकांश ये अपने पति के साथ थीं। एक सिंगल युवती भी थी। ट्रैकिंग में इस ग्रुप के साथ तीन ट्रैक लीडर्स थे। ग्रुप में अधिकांश सदस्य हिंदी भाषी थे। हालांकि तेजस्विनी तेलुगु भाषी हैं मगर वे इंग्लिश एवं हिंदी भाषा भी अच्छा अधिकार रखती हैं। इसलिए भाषा इशू नहीं थी।
19 दिसंबर को चाय नाश्ते के बाद साँकरी से ‘जुड़ा का तालाब’ कैंप तक की ट्रैकिंग आरंभ हुई थी। 20 मेंबर के दल के साथ एक ट्रैक लीडर आगे, एक मध्य में और एक सबसे पीछे चल रहा था।
तेजस्विनी ने उदास होकर बताया - ट्रैकिंग के दौरान हमें कहीं भी बर्फ़ बारी (Snow fall) नहीं मिली थी। यद्यपि पहाड़ के दृश्य मनमोहक थे फिर भी बर्फ़ से ढके पहाड़ देखने का अवसर हमें नहीं मिला था। वहाँ (-)7-8 के तापमान में स्नो फॉल होने पर पहाड़ बर्फ़ की चादर ओढ़ते हैं।
साँकरी से 4 किमी की ट्रैकिंग के पश्चात तेजस्विनी का ग्रुप 3000 फ़ीट अधिक ऊँचाई पर आ गया था। जुड़ा का तालाब 2786 मीटर ऐल्टिटूड पर स्थित है। यहाँ इस ग्रुप ने दूसरी शाम एवं रात्रि के दौरान, कैंप किया था।
20 दिसंबर को पुनः 4 किमी की ट्रैकिंग के पश्चात यह ग्रुप केदारकांठा बेस कैंप आ गया था। केदारकांठा 10900 फ़ीट (3330 मीटर) पर स्थित है। यहाँ रात्रि का तापमान (-) 3 डिग्री था।
21 दिसंबर को ट्रैकिंग का सबसे डिफिकल्ट पार्ट था। रात्रि में तेजस्विनी, अनीस के साथ इस कठिन चढ़ाई के लिए मानसिक रूप से तैयार हो रहीं थीं। इस ट्रैकिंग में उनके लिए यह अभूतपूर्व रोमांच और जुड़ने वाला था, ट्रैकिंग रात्रि 2.30 बजे आरंभ होनी थी ताकि सूर्योदय के दर्शन, वे सभी केदारकांठा समिट पर से कर सकें। हिमालय पर स्थित केदारकांठा समिट पीक 12500 फ़ीट (3825 मीटर) ऊँचाई पर स्थित है।
ट्रैक लीडर्स के निर्देशन में, रात्रि के घुप्प अन्धकार में, ट्रैकिंग ग्रुप ने हेडगियर में लगे टार्च की रोशनी में ट्रैकिंग आरंभ की थी। समिट तक की सबसे डिफिकल्ट ट्रैकिंग जिसमें 75-80 डिग्री की सीधी चढ़ाई (Steep) भी आती है, के बीच में एक पॉइंट आता है, जिसमें ट्रैकिंग से घबरा रहे व्यक्ति को ऊपर की ट्रैकिंग करनी है या नहीं, यह विकल्प दिया जाता है। इस पॉइंट को वहाँ मैजिक पॉइंट कहा जाता है। आगे ट्रैकिंग नहीं करने के इच्छुक व्यक्ति को मैजिक पॉइंट में रुकने की व्यवस्था प्रदान की जाती है।
तेजस्विनी के ग्रुप के अधिकांश सदस्य की तरह अनीश एवं तेजस्विनी ने ट्रैकिंग जारी रखने का साहस बनाए रखा था। यद्यपि बीच में दो अवसर यह भी आए थे जब तेजस्विनी को यह भय हुआ था कि वे अब गिरने ही वाली हैं।
उनकी बात को बीच में ही रोककर मैंने उनसे पूछा - जब आपको यह भय लगा कि आप गिर जाएंगी तब आपको किसका स्मरण आया था?
तेजस्विनी ने हँसते हुए बताया - किसी और अवसर की ही तरह जब भी मुझे लगा कि मैं बचूँगी या नहीं, मुझे अपने बेटे ईशान का स्मरण आता है, वहाँ भी मुझे ईशान ही याद आया था। मैं उन डरावने पलों में सोच रही थी, मेरे पीछे मेरे बेटे का क्या होगा!
यह स्पष्ट है, तेजस्विनी के साथ बुरा कुछ नहीं हुआ था। अंततः 6 किमी की ट्रैकिंग के बाद उनका ग्रुप, सूर्योदय के समय सुरक्षित रूप से समिट (Altitude - 12500 Feet) पर पहुँच गया था। अन्धकार में की गई खतरनाक ट्रैकिंग के तेजस्विनी के सभी भय एवं थकान को वहाँ से दिख रहे सूर्योदय ने विस्मृत कर दिया था।
तेजस्विनी प्रफुल्लित होकर मुझे आज यह बता रहीं थीं - सर, मैं फिर एक बार और बार बार, उस सूर्योदय के दर्शन के लिए जाना चाहती हूँ।
इससे ही पाठक समझ सकते हैं, वह सूर्योदय का दृश्य कितना नयनाभिराम रहा होगा जो तेजस्विनी के बचने ना बचने के भय को भी मिटा देता है। तेजस्विनी के लिए ट्रैकिंग का यह प्रथम अनुभव कल्पनातीत था।
समिट पर चढ़कर तेजस्विनी के लिए एक सुखद अनुभव वहाँ पर बैठकर चाय नाश्ता करना भी था।
तेजस्विनी हँसते हुए मुझे यह भी बता रहीं थीं - सर, यह अनुभव हमारी धारणा से विपरीत था, वास्तव में मेरे लिए ट्रैकिंग करते हुए चढ़ने से वापस उतरना अधिक कठिन था।
उसी दिन हमने उतरते हुए 11 किमी की ट्रैकिंग की थी। साँकरी बेस कैंप में आकर हमने रात्रि विश्राम किया था।
तेजस्विनी ने आखिरकार मुझसे कहा कि - ट्रैकिंग करते समय हमें अपना ध्यान, अगले कदम पर केंद्रित करना होता है। ध्यान चूकने पर नीचे या पीछे देखने से गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
तेजस्विनी इस रोमांचकारी, हृदय की धड़कनें बड़ा देने वाली और कई अवसरों पर भय से रोंगटे खड़े हो जाने वाली यात्रा के बाद हिमालय पर पुनः जाने की महत्वाकांक्षा रखती हैं। वे वहाँ अगली ट्रैकिंग उस समय करना चाहती हैं जब स्नो फॉल हो रहा हो।