रोबोट फेक्ट्री
रोबोट फेक्ट्री




"ओहहो, सभी स्कूलों में ऑनलाइन स्टडी शुरू हो चुके हैं, इनके स्कूल में कब होगी" मिसेज कुशवाह बोलीं।
"सब लोग मिलकर स्कूल एडमिन से बात करतें हैं, तब शायद वे लोग जागें, इतने दिन बीत गए हैं बच्चों की पढ़ाई कितनी खराब हो रही हैं, कितने पिछड़ जाएंगे ये लोग " मिसेस गुप्ता ने भी सुर मे सुर मिलाया।
"कल ही हम सब कॉंटेक्ट करते हैं, ये कोई बात नही है, जब सब स्कूल ऑनलाइन पढा रहे हैं तो इनका स्कूल क्यों देर लगा रहा है" एक ने और वॉट्सऐप मैसेज किया।
"कल तो बात करके ही रहेंगे, बच्चे फालतू बैठे हैं" फोन बंद करके शालिनी बड़बडाई।
"किस से बात करना है बहू" तभी ससुर जी ने शालिनी से पूछा।
"अमोल के स्कूल में, सब जगह ऑनलाइन स्टडी शुरू हो गई है, एक इनका स्कूल ही चुप बैठा है" शालिनी ने चिढचिढाते हुए कहा।
"बेटा, परेशान क्यों होती हो, तुम पढ़ा दिया करो, वैसे भी डेढ महिने से बच्चे जैसे जेल मे बंद हैं, उनकी मानसिक स्थिति अभी कैसी होगी, इसकी कभी कल्पना भी की है तुमने, पढ़ना तो उन्हें सारी ज़िंदगी है, लेकिन ऐसे समय मे वे जब घरों में बंद रहकर तुम्हारा सहयोग कर रहे हैं तो क्यों अनावश्यक रूप से ये ऑनलाइन पढ़ाई का बोझ डाला जाए।उन्हें अच्छे संस्कार सिखाओ, मंत्र आदि कंठस्थ करवाओ, जो कि स्कूल के चलते समय की कमी के कारण वे नही सीख पाते।मोबाइल और कंप्यूटर आधुनिकता के अंधानुकरण हैं, इनसे बच्चे चाहे न चाहे दो चार होना ही पड़ेगा, लेकिन अभी जब सारी दुनिया इस वैश्विक महामारी के मुश्किल दौर से गुज़र रही है तो धैर्य से काम लो, बच्चों को भी हल्के फुल्के वातावरण का एहसास दो, बेटा मयूर पंख से पलाश के रंग में डुबो कर जब कलम चलती है तो महान ग्रंथों का निर्माण होता है, और जब रोबोट की कलम चलती है तो विनाश होता है, क्योंकि मानव ने अपनी सुविधाओं के लिए रोबोट तो बना लिए लेकिन उनमें भावनाऐं नही डाल पाए।वे पराजित करने के तमाम दांव पेंच तो बता सकते हैं लेकिन समर्पण से जीतना नहीं सिखा सकते।
"मानव को मानव ही रहने दो, रोबोट बनकर वायरस ही पैदा करेंगे।"