STORYMIRROR

सहज .

Romance Classics

4.5  

सहज .

Romance Classics

रंगत

रंगत

2 mins
14

इस खून की रंगत तेरे प्यार में फीकी न पड़ सकी

पड़ गया खून फीका मेरा इस रंगत के पीछे।

कुछ सही सही याद नहीं पर इतना याद है की जब तुमने पहली बार मुझसे दूर जाने का फैसला किया था तब मैने एक बार तुम्हारा नाम अपने खून से कागज़ पर लिखा था, जब तक तुम साथ थे तब उसका रंग दिन प्रतिदिन चमक रहा था और जब तुम दूर चले गए तो एक दिन तुम्हारा नाम जब मेरे सामने आया था और गंगाजी में सब बहा आया तो देखा था की नाम अब भी था तो पर फीका था।

आज अजय की सोच में यही घूम रहा था पर शायद वो नाम अब नहीं मेरे पास और न ही लिखा हुआ वो कागज़ जो तुम ले गई अपने साथ, अब पता नी की वो है भी तुम्हारे पास या.....!

शायद इस बार भी वो फीका पड़ गया होना, वो तो अब तुम ही जानती हो, की क्या है, और कैसे है, हां आने वाले कुछ दिन बाद एक बार फिर देखूंगा की क्या और कैसे होगा।

क्या मेरा प्यार इस बार रंगत के पीछे फीका पड़ जाना या फिर खून ।

क्या सोच रखा है विधाता ने , उसे तो वोही जानें, जिन्होंने मुझे जिंदगी के इस पड़ाव पर फिर से मिलाया, क्या मंशा थी इस के पीछे विधाता तेरी, ना इस सवाल का जवाब मिलता है, और न उसकी सदा, सब धुंधला हुआ जा रहा है।

आंखों की रोशनी भी और........!


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance