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सहज .

Others

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सहज .

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सारांश

सारांश

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कुछ अनकहे सवाल और उनके उनके जवाब, पता नहीं पर लगता है कि जैसे उनके भीगे हुए बालों से निकलती हुई भीनी सी खुशबू, आज भी मेरे मन को हिला देती है। बहुत जल्दी नहीं थी मुझे । बस उनको अकेले में रखना जैसे एक बहुत बुरे स्वप्न सा प्रतीत हो रहा था, मन अपनी उधेड़बुन में लगा हुआ था कैसे रोकूँ उनको अपने पास, कुछ सवाल जो शायद उनके मन में भी थे। पर मैं समझ न पाया। आज 20 साल की मेरी तपस्या पूरी होकर भी अधूरी रह गयी। थक गया मैं खुद को ढोते हुए। और छोड़ आया उसे फिर वहीं ,वो जा चुकी थी बिना पीछे मुड़े हुए और मैं ...


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