रंगों का त्योहार
रंगों का त्योहार
चला जाता हूॅं किसी की धुन में ......
धड़कते दिल के तराने लिए ......
गाड़ी चला रहे नितिन के होठ गाड़ी में चल रहे संगीत के साथ - साथ यह गीत गुनगुना रहे थे । आज वह बहुत खुश था । पत्नी के लिए हीरे की अंगूठी .. बेटी और बेटे के लिए महंगे कपड़े .. विडियो गेम्स .... बहुत सारे पटाखे और मिठाईयां लेकर वह घर जा रहा था । कल दीपावली है बच्चें यें उपहार देखकर बहुत खुश होंगे .. यही सोचता नितिन गुनगुनाते हुए अपने घर पहुॅंचा ।
नितिन को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उसका नौ वर्षीय बेटा नयन बाहर बरामदे में उदास बैठा हुआ था । नितिन को लगा कि मुझे घर आने में देरी हो गई शायद इसी वजह से नयन बाहर ही बैठकर मेरा इंतजार कर रहा है । नितिन ने मन ही मन सोचा कि हर साल की तरह इस बार भी नयन जैसे ही वीडियो गेम्स .. पटाखे और कपड़े देखेगा वह खुशी से उछल पड़ेगा । वह अपने हाथों में थैले लेकर अपने बेटे नयन के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया ।
नयन के सामने नितिन ने वीडियो गेम्स रखा और अपने बेटे की प्रतिक्रिया जानने के लिए मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखने लगा लेकिन यह क्या ? नयन मैं तो कोई प्रतिक्रिया दे ही नहीं । वह तो खुश हुआ ही नहीं । वह यूं ही पूर्ववत बैठा रहा । नितिन को नयन के व्यवहार में आए परिवर्तन को देखकर आश्चर्य हो रहा था । उसे वह दिन याद आ रहे थे जब पिछले साल इन उपहारों को पाकर नयन कितना खुश था । अपने पापा और मम्मी के चारों तरफ मुस्कुराते हुए दौड़ - दौड़ दौड़ कर अपनी खुशी का इजहार कर रहा था लेकिन आज ऐसा क्या हुआ कि इस तरह यह गुमसुम और चुपचाप बैठा है ? यह सवाल नितिन को परेशान कर रहे थे ।
बेटा मम्मी ने आपको डांटा या दीदी से आपकी लड़ाई हुई है ? नितिन ने नयन की तरफ देखते हुए उससे प्यार से पूछा ।
नयन चुप ही रहा है । वह कुछ बोल नहीं रहा था । नयन की चुप्पी नितिन को बेचैन कर रही थी। स्वाभाविक ही है एक पिता अपने बेटे को ऐसी हालत में कभी भी देखना नहीं चाहता है । नितिन ने अपने बेटे के हाथों को अपने हाथ में लिया और कहा कि बेटा ! जो भी बात है मुझे सच सच बताओ । मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूॅं । तुम्हें जिस किसी ने भी कुछ कहा है या सताया है मैं उसे छोडूंगा नहीं ।
नहीं पापा ! मुझे किसी ने कुछ नहीं कहा है और ना ही किसी ने मुझे सताया ही है । आज मैंने एक बच्चे को देखा । वह मेरी ही उम्र का था । उसकी प्लास्टिक की बॉल हमारे बगीचे में आ गई थी तो वह लड़का उसी को लेने आया था । ऐसे तो मैं उस बच्चे को रोज देखता था लेकिन आज मैंने उससे बात की । बात करने के बाद मुझे पता चला कि उसकी मम्मी मेरे दोस्त बंटी के यहां काम करती है ।
कौन बंटी हमारे पड़ोस में रहने वाले वर्मा जी का बेटा जो तुम्हारी ही क्लास में पढ़ता है ? नितिन ने नयन से पूछा ।
हाॅं पापा ! वही बंटी । उस लड़के का नाम मोनू है । उसकी मां के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह उसको पढ़ा सके इसलिए वह स्कूल भी नहीं जाता । अपनी माॅं के साथ रोज बंटी के घर आता है और बाहर बैठकर अपनी प्लास्टिक की बॉल से खेलता रहता है । उसकी वह बाॅल भी एक तरफ से चिपटी हुई है ।
उसने मुझसे आज एक बात कही उसी को सोच कर मेरा मन उदास हो रहा है ।
कौन सी बात कही उसने ? नितिन ने नयन की तरफ देखते हुए उससे पूछा ।
पापा ! जब मैंने उससे पूछा कि कल दीपावली है और कल के दिन तुम कौन से पटाखे जलाओगे ? उसने मुझसे कहा कि हम पिछले दो साल से पटाखे नहीं जलाते । मैंने पूछा कि क्यों नहीं जलाते तो उसने कहा कि मेरी माॅं कहती है कि उनकी जिंदगी से रंगों का त्योहार खत्म हो चुका है । जब से उसके पिता की मृत्यु हुई है तब से उसकी माॅं सफेद साड़ी ही पहनती है । वह कह रहा था कि मुझे अपनी मां को सफेद साड़ी में देखना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता । मैंने अपनी मम्मी की फोटो देखी है रंग - बिरंगी साड़ी में वह कितनी सुंदर लगती थी लेकिन अब उन पर सफेद रंग नहीं जचता है मैंने उनसे कितनी बार कहा कि वें रंग - बिरंगी साड़ियां ही पहना करें लेकिन वह मानती ही नहीं कहती हैं समाज के लोग कहते हैं कि तुम्हारे पति के साथ - साथ ही तुम्हारा सारा साज - सिंगार और रंग भी चला गया हैं और विधवाओं के लिए एक नियम है जो तुम्हें निभाने ही होंगे । मेरी मां काम करके हम दोनों भाइयों को पाल रही है । हमारे पास इतने पैसे भी नहीं है कि हम पटाखे खरीद सके इसीलिए हम सब एक दीया जला कर ही दीपावली मनाते हैं ।
पापा ! विधवाओं को सफेद साड़ी ही क्यों पहननी पड़ती है उन्हें कोई साज - सिंगार क्यों नहीं करना पड़ता है ? मुझे उस मोनू की बातें सुनकर बहुत बुरा लग रहा है । वें लोग इतने गरीब है कि पटाखे तक नहीं खरीद सकते अपने घर में दीया भी नहीं जला सकते ? नयन ने अपने पिता से कहा ।
बेटा ! हमारे समाज द्वारा कुछ नियम बनाए गए हैं जिस नियम के अनुसार विधवाओं को यें सारी चीजें माननी पड़ती है । तुम इन बातों को छोड़ो हम मोनू को पटाखे देंगे और साथ में मिठाइयां भी देंगे अब तो तुम खुश हो जाओ । नितिन ने बेटे की तरह मुस्कुरा कर देखते हुए कहा ।
पापा ! मोनू कह रहा था कि वह पढ़ना चाहता है और पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बनना चाहता है ताकि उसकी मां को ऐसी जिंदगी ना जीनी पड़े । उनके जीवन में भी रंगों का त्योहार आएं । उसकी मम्मी भी रंग - बिरंगी साड़ियां पहने ... साथ - श्रृंगार करें इसलिए वह अपनी मम्मी की शादी करवाना चाहता है । उसके एक दूर के चाचा हैं जो कभी कभी आकर उसकी मदद कर दिया करते हैं । वे चाहते हैं कि वह उन सभी को अपनाएं लेकिन उसकी मम्मी इस बात के लिए राजी नहीं है । वह कहती हैं कि वह शादी नहीं करेंगी क्योंकि यह पाप है । नयन ने अपने पिता की तरफ देखते हुए कहा ।
बेटा ! मैं एक ऐसी संस्था को जानता हूॅं जो विधवाओं का पुनर्विवाह कराती है । विधवाओं का पुनर्विवाह कोई पाप नहीं है । हमारे समाज में पुनर्विवाह हो रहे हैं और यह एक सकारात्मक कदम है। बहुत लोग खुद आगे बढ़कर यह काम करवा रहे हैं । अपने दोस्त से कहना कि उसकी सोच में हम सब उसके साथ हैं और एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब उसकी सोच को रंग मिलेंगे । नितिन ने अपने बेटे नयन का हाथ पकड़ कर कहा ।
सच पापा ! वह दिन आएगा तो मोनू कितना खुश होगा उसके जीवन से जो रंगों का त्योहार चला गया है वह वापस लौट कर आ जाएगा और हाॅं एक बात और कल मैं चाहता हूॅं कि मेरे दोस्त की दीपावली भी रंगों वाले त्योहार की तरह बीते इसलिए हम सब कल उसके घर जाकर उसे कपड़े पटाखे और मिठाइयां देकर आएंगे । कल की दीपावली का त्योहार मेरे दोस्त और उसके परिवार के लिए रंगों वाली हों । नयन ने चहकते हुए कहा ।
हाॅं बेटा ! मैंने कहा ना कि तुम्हारे दोस्त मोनू और उसके परिवार की जिंदगी में त्योहार रंगों वाली आकर ही रहेगी । हम सब मिलकर ऐसा जरूर करेंगे और यह मेरा अपने बेटे से वादा है । अब तुम भी मुस्कुरा दो और देखो मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या लाया हूं ? नितिन ने मुस्कुराते हुए नयन के आगे थैलों को रखते हुए कहा ।
नितिन और नयन मिलकर थैले में से सामान निकाल - निकाल कर देखने लगे । वहीं पास में खड़ी नितिन की पत्नी और नयन की माॅं उन दोनों की बातें सुनकर सोच रही थी कि चलो ! इन बच्चों की सोच की बदौलत ही सही किसी विधवा की जिंदगी में रंगों का त्योहार वापस तो आएगा । उसकी जिंदगी भी रंगों से भर उठेगी और फिर आगे से कोई भी उसे एक ही रंग पहनने के लिए बाध्य नहीं करेगा ।