गुॅंजन कमल

Others

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गुॅंजन कमल

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सिफारिश वाली बाई

सिफारिश वाली बाई

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इस भरी दुनिया में सब कुछ मिलना संभव है लेकिन एक भरोसेमंद ... ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ बाई मिलना बहुत ही मुश्किल है । आज नीलम देवी बहुत ही खुश थी । महीनों की मेहनत और माथापच्ची के बाद आज उन्हें अपनी मनपसंद कामवाली बाई जो मिल गई थी । जिस तरह रत्नों में नीलम रत्न अनमोल होता है उसी तरह नीलम देवी अपने घर की अनमोल रत्न थी । रूप सुंदरी .. तेजतर्रार व्यवहार .. अपने घर को बखूबी चलाने की समझ ... सब कुछ था उनमें तभी तो वह स्वयं को सर्वश्रेष्ठ मानती थी । अपने आप को वें माने भी क्यों ना उनके पति तरक्की की नई-नई सीढ़ियां चढ़ते जा रहे थे जिसका श्रेय वे अपनी पत्नी नीलम देवी को ही देते थे । दो बच्चे थे जो अपनी मां का ही गुणगान किया करते थे ।

सबकुछ स्वयं संभालने वाली नीलम देवी उम्र के उस पड़ाव पर पहुॅंच गई थी जहाॅं उनके शरीर को कुछ बीमारियों ने अपना घर बना लिया था । अब वें पहले की भांति घर का सारा काम नहीं कर पाती थी जल्दी थक कर बैठ जाती थी । एक निश्चित आयु के बाद इंसान का थकना स्वाभाविक ही है इस बात को नीलम देवी के पति सुधीर बाबू जानते थे । उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि आप ऐसा कीजिए कि घर में एक काम करने वाली बाई को रख लीजिए इससे आपको काम करने में सहायता मिल जाएगी । अत्यधिक थकान की वजह से अब आप हमेशा बीमार रहने लगी है । कामवाली बाई के आने से आप की बीमारी भी नियंत्रित रहेगी ।

किसी की बात नहीं सुनने वाली नीलम देवी ने आज पहली बार अपने पति की बात सुनी भी और उसे करने का मन भी बना लिया । हर किसी की जिंदगी में एक ऐसा समय जरूर आता है जब वह दूसरों की बात मानकर कुछ ऐसे कदम उठाता है जो उसके लिए हमेशा हितकर साबित होते हैं । नीलम देवी ने भी अपने पति की बात मानकर कामवाली बाई को घर में लाने का निश्चय किया । अब समस्या यह थी कि कामवाली बाई को ढ़ूंढा़ कैसे जाए वह भी अपने मनपसंद की कामवाली बाई को ?

घर में दूध देने वाले दूधवाले भैया को बोला गया .. सब्जी देने वाले भैया को भी कहा गया यहाॅं तक कि अखबार देने वाले भैया को भी नीलम देवी ने कामवाली बाई चाहिए वाली बात बता डाली । दूध वाले भैया ने भी २-४ काम करनेवाली बाई को नीलम देवी के घर पर भेजा था । सब्जीवाले भैया ने भी अपनी जान - पहचान का फायदा उठाते हुए कुछ कामवाली बाईयो को नीलम देवी के घर का पता देखकर उनके पास भेज दिया था । अखबार वाले भैया भी कहाॅं पीछे रहने वाले थे उन्होंने भी ऐसी कामवाली बाईयो को नीलम देवी के पास भेजा था जो पढ़ी - लिखी थी और अच्छे से अंग्रेजी के दो - चार शब्द बोल लेती थी ताकि यें सभी आसानी से नीलम देवी का इंप्रेस कर सके ।

एक दिन दोपहर के जरूरी काम निपटा कर नीलम देवी बाहर बरामदे में आकर बैठी ही थी कि उनके घर के मेन गेट पर दस्तक हुई । इधर महीने भर से यें‌ दस्तक लगभग रोज की होती थी और इनका कोई निश्चित समय भी नहीं था । कोई सुबह कोई दोपहर तो कोई शाम में नीलम देवी से मिलने आ ही रहा था । मेन गेट पर हुई दस्तक सुनकर नीलम देवी को यें समझते हुए ‌देर नहीं लगी कि इस वक्त भी कोई - न - कोई कामवाली ही आई है । मेन गेट खोलते ही नीलम देवी ने देखा कि एक दुबली - पतली औरत जिसकी उम्र यही कोई तीस से पैंतीस साल की रही होगी ने नीलम देवी को देखते ही अपने दोनों हाथ जोड़ लिए । नीलम देवी ने उसके नमस्ते का जवाब दिए बगैर ही एक भरपूर नजर उस दुबली - पतली औरत पर डाली । तीखे नैन - नक्श लेकिन सांवली सी सूरत .. साधारण - सा - कद और साथ ही मामूली - सी सूती की साड़ी लेकिन साफ-सुथरी साड़ी पहने वह औरत हाथ जोड़े उनके सामने खड़ी थी ।

' तुम किसकी सिफारिश पर आई हो ?' नीलम देवी ने उस औरत की तरफ देखते हुए उससे पूछा ।

' सिफारिश ... किसकी सिफारिश ... मैं किसी की सिफारिश पर नहीं आई हूॅं । मैं आप ही के मोहल्ले में प्रोफेसर साहब के यहाॅं काम करती हूॅं । आज जब मैं प्रोफेसर साहब के यहाॅं से काम करके लौट रही थी तभी मैंने मेरे पड़ोस में रहने वाली एक औरत और एक आदमी की बात - चीत सुनी । उन दोनों की बातें सुनकर ही अभी मैं आपके पास आई हूॅं । मेरी चार बेटियां और एक बेटा है । मेरे पति बीमार रहते हैं जिसके कारण वें कुछ कमा नहीं पाते । पति की बीमारी और बच्चों को अच्छी परवरिश देने के लिए ही मैंने अपने कदम बाहर निकाले है । मैं ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं हूॅं लेकिन आपके घर में जो भी काम होगा उसे मैं अच्छी तरह समझकर और आपके अनुसार करने की पूरी कोशिश करूंगी ।' उस औरत ने नीलम देवी की तरफ देखते हुए कहा ।

' आ जाओ ... अंदर आओ । यहाॅं कब तक खड़े रहकर बातचीत करेंगे ? चलो ! भीतर बैठकर बातचीत करते हैं ।'  नीलम देवी ने उस औरत से कहा ।

नीलम देवी और वों औरत दोनों ही घर के बरामदे में आ गए । बरामदें में सोफा और दो - चार कुर्सियां लगी हुई थी । नीलम देवी ने उस औरत की तरफ देखते हुए बैठो कहा और जाकर सोफे पर बैठ गई । उन्होंने देखा कि वह औरत अभी भी खड़ी थी ।

उन्होंने उस औरत से पूछा कि मैंने बैठो कहा था फिर भी तुम नहीं बैठी ?

' आप मुझसे बड़ी है इसलिए पहले आप बैठती उसके बाद ही तो मैं बैठती ।' यह कहते हुए वह औरत कुर्सी के पास ही रखें एक छोटे से स्टूल पर बैठ गई ।

नीलम देवी की पारखी नजर यह सब देख रही थी और इसीलिए तो उन्होंने कुर्सी के साथ वह छोटा - सा स्टूल भी बरामदे में रखा था और इसी के आधार पर ही तो वह उनके घर आने वाली सभी कामवाली बाईयों को परखती थी । घर की मालकिन के चेहरे पर मुस्कान आ गई । यह देखकर स्टूल पर बैठी उस औरत ने भी अपने होंठों को मुस्कुराने के अंदाज में फैला दिए ।

' तुम प्रोफेसर साहब के यहाॅं काम करती हो तो फिर मेरे घर पर कैसे काम कर पाओगी ?' मुस्कुराते हुए नीलम देवी ने कहा ।

' मैं कर लूंगी और आपको कुछ भी कहने का मौका नहीं दूंगी । अगर आपको यकीन ना हो तो मेरे काम के बारे में आप प्रोफेसर साहब से या उनकी पत्नी से पूछ लीजिए उसके बाद ही मुझे काम पर रखिए ।'

उस औरत ने नीलम देवी की तरफ आशा भरी नजरों से देखते हुए कहा ।

' अगर तुम कर लोगी तो फिर ठीक है चलो ! अब पैसे की बात कर लेते हैं ।' नीलम देवी ने उस औरत की तरफ मुस्कुराकर देखते हुए कहा ।

मोहल्ले के घरों में कौन काम करता है ? कैसे करता है ? और भी बहुत बातें जो मोहल्ले के घरों में होती रहती है इस बात की जानकारी पड़ोसियों को तो होती है नीलम देवी को भी थी । उन्हें तो सिर्फ उस औरत के तौर - तरीके और व्यवहार को ही देखना था बाकी तो वह कैसे काम करती है इसकी जानकारी उन्हें पहले से ही थी हालांकि उस कामवाली बाई का चेहरा उन्होंने आज से पहले कभी भी नहीं देखा था लेकिन उसके काम की तारीफ उनके कानों तक पहले ही पहुॅंच चुकी थी ।

नीलम देवी ने आज उनके घर आई कामवाली बाई से सिफारिश वाली बात इसलिए पूछी थी क्योंकि इससे पहले दूध वाले .. सब्जी वाले और अखबार वालों की सिफारिश पर बहुतों कामवाली बाई उनके घर पर आ चुकी थी और नीलम देवी के बैठो कहने पर तुरंत ही वह उनके बैठने से पहले ही कुर्सी पर आराम से बैठ जाती थी । सिफारिश वाली बाई के इसी व्यवहार के कारण नीलम देवी ने आज से पहले किसी भी कामवाली बाई को अपने घर पर काम करने के लिए नहीं रखा था । नीलम देवी की नजर में सबसे पहले किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व .. उसके आचरण .. हाव - भाव ... उसका व्यवहार और बड़ों के प्रति उसका समर्पण यें सारी चीजें मायने रखती थी । उनके दिल में आज आई कामवाली बाई के लिए जो जगह इतने कम समय में बन चुकी थी वह महीने भर से सिफारिश वाली बाईयो में से किसी के लिए नहीं बनी थी और यही वजह थी कि आज वह इतनी खुश थी ।



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