गुॅंजन कमल

Children Stories Inspirational

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गुॅंजन कमल

Children Stories Inspirational

पहली किरण

पहली किरण

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सुमन जब रसोई से आई तो उसने देखा उसकी बेटी श्यामली बेचैनी से अपने कमरे में इधर-उधर कर रही हैं । एक माॅं अपने बच्चे के हाव - भाव को देख कर ही समझ जाती है की उसके बच्चे के मन में क्या चल रहा है ? सुमन अपनी बेटी से आमली का चेहरा देखते ही समझ गई कि उसकी बेटी परेशान है और उसी परेशानी में वह अपने कमरे में कभी इधर घूम रही है ... कभी उधर जा रही है ... कभी कुर्सी पर बैठ रही है तो कभी पलंग पर सो जा रही है ।

"क्या हुआ लाडो ? तुम्हारा मन बेचैन क्यों है क्या सोच रही हो मुझे भी तो बताओ ?" सुमन ने अपनी बेटी के पास बैठकर उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए उससे पूछा।

"मम्मा ! मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है ? मैं क्यों पैदा हुई हूॅं ? मेरे इस धरती पर आने का उद्देश्य क्या है ?" श्यामली ने अपनी माॅं सुमन की तरफ देखते हुए कहा ।

"ऐसी क्या बात है जो तुम यह बातें सोचने लगी ? तुम्हारे दिमाग में यह बातें क्यों आने लगी ?"  सुमन ने अपनी बेटी श्यामली की तरह देखते हुए उससे पूछा ।

"मैं बारहवीं के इम्तिहान के बाद क्या करूंगी मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है ? आप लोग भी मेरे लिए चिंतित रहते हैं । मैंने देखा है ! मैं बारहवीं के बाद क्या पढ़ूंगी इसकी चिंता आपको और पापा दोनों को है तभी तो आप लोग मुझे कभी कहते हो कि एमबीबीएस कर लो .. कभी कहते हो कि कोई कोर्स कर लो ... कभी कहते हो नर्सिंग का कोर्स कर लो ... मैं इतनी कंफ्यूज हो गई हूॅं कि मुझे क्या करना है यह मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है । बारहवीं के बाद मेरा क्या होगा मम्मा ?"

"लाडो ! बारहवीं के बाद की बातें बारहवीं  के बाद ही करेंगे । अभी तुम अपने बारहवीं के इम्तिहान की तैयारी में जी जान से जुट जाओ और बाकी कुछ भी मत सोचो । अभी कुछ देर सो जाओ और दिमाग को एकदम शांत छोड़ दो और सब कुछ समय पर छोड़ दो । समय इस समस्या का समाधान लेकर अवश्य आएगा ऐसा मेरा विश्वास है ।" सुमन ने अपनी बेटी की बेचैनी को समझने के बाद उसे समझाते हुए कहा ‌।

सुमन ने अपनी बेटी के सिर पर हाथ फेरा और उससे कहा कि "ऑंखें बंद करो और सो जाओ।" उसकी बेटी श्यामली ने भी ऑंखें बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगी । सुमन को जब लगा कि उसकी बेटी सो गई है तब वह धीरे से उठी और अपने कमरे में आ गई । सुमन सोचने लगी के कहीं हम अपनी बेटी पर ज्यादा दबाव तो नहीं डाल रहे ? कहीं उस पर पढ़ाई का अतिरिक्त बोझ तो नहीं पड़ रहा ? कहीं हम उस पर उसकी मर्जी के खिलाफ कोर्स करने के लिए दवाब तो नहीं डाल रहे हैं ? यही सब बातें शायद उसने ज्यादा सोच ली और इस तरह बेचैन है आज वो । मैंने उसे समझा तो दिया है लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह इस बात को इतनी जल्दी भूल पाएंगी । बचपन से ही बहुत संवेदनशील लड़की है और अपने भविष्य के प्रति जागरूक भी ।

इस घटना को हुए पंद्रह दिन भी नहीं बीते होंगे कि एक ऐसी घटना घटी जिसने श्यामली को उसके जीवन की वों पहली किरण दें दी जो उसका दिल चाहता था । हुआ यें था कि सुमन एक दिन अपने सारे काम निपटा कर फोन देख रही थी । काम से उससे कम ही फुर्सत मिलती थी इसलिए उसने अपने फोन पर ही कुछ न्यूज़ चैनल्स के ऐप डाउनलोड कर लिए थे जिसके कारण उसके मोबाइल पर लगभग सभी समाचार का नोटिफिकेशन दिख जाता था । उस दिन अचानक से सुमन की नजर एक ऐसे समाचार पर पड़ी जिसे पढ़कर उसके चेहरे पर खुशी आ गई क्योंकि यह समाचार उसकी बेटी से संबंधित था ।

सुमन की बेटी श्यामली चाहती थी की एयर फोर्स ऑफिसर बने और कहीं ना कहीं उसके पिता का भी यही स्वप्न है । उसके पिता की दिली ख्वाहिश है की सुमन को एक दिन वह खुद सेल्यूट करें । सुमन के पिता खुद एक फौजी है और वह भी चाहते हैं कि उनकी बेटी एयर फोर्स ऑफिसर बने और एक दिन वह अपनी वर्दी में अपनी बेटी को सैल्यूट करें । क्योंकि श्यामली के पास यह समस्या थी की एयर फोर्स ऑफिसर बनने के लिए उसे स्नातक करना जरूरी था इसलिए वह कंफ्यूज हो रही थी कि अगले तीन साल स्नातक के लिए क्या पढ़े क्या ना पढ़े कैसे तैयारी करें ?

सुमन ने उस मैसेज कर लिंक तुरंत ही अपनी बेटी श्यामली के मोबाइल में फॉरवर्ड कर दिया । कुछ ही देर में उसके व्हाट्सएप पर रिप्लाई आया । "सच्ची मम्मा क्या यह न्यूज़ सही है ?"

" हाॅं मेरी लाडो जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है तो यह होगा ही । हालांकि पहले एनडीए की परीक्षा लड़कियां स्नातक से पहले नहीं दे सकती थी । लड़के इस परीक्षा को बारहवीं के बाद दे सकते थे लेकिन लड़कियों को इस परीक्षा को देने के लिए स्नातक होना जरूरी था लेकिन पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया की लड़कियां भी अब बारहवीं के बाद एनडीए का एग्जाम दे सकती हैं ।" यह न्यूज़ पढ़कर श्यामली और सुमन दोनों खुश थे । जब उसके पिता अपनी ड्यूटी करके वापस आए तो दोनों ने उसके पिता को भी यह न्यूज़ सुनाई । उसके पिता भी चाह रहे थे और समझ रहे थे कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है तो सरकार को भी इस बात को माननी ही पड़ेगी और हुआ भी यही सुप्रीम कोर्ट के कहने के १० से १५ दिन के बाद ही सरकार ने भी यह ऐलान कर दिया अब एनडीए में बारहवीं के बाद लड़कों की तरह लड़कियां भी इस परीक्षा को दे सकते हैं ।

सुमन की बेटी श्यामली को अपने जीवन की पहली किरण मिल चुकी थी । उसने जल्दी से एनडीए का फॉर्म भरा और उसकी तैयारी में लग गई साथ ही उसने बारहवीं के इम्तिहान की भी तैयारी करनी शुरू कर दी । अब श्यामली को उस की पहली किरण तो मिल चुकी है उसी किरण के सहारे वह अपने जीवन के उद्देश्य को पूरा करने की जी - तोड़ मेहनत कर रही है । उसे और उसके पूरे परिवार को उम्मीद है कि उसके जीवन की पहली किरण ही उसके जीवन में उस सुनहरे पल को लाएगी जब वह एयर फोर्स ऑफिसर बन कर अपने पिता के सामने खड़ी होगी और उसके पिता उसे सैल्यूट करेंगे ।

                     


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