रंग

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"मोक्षा...ओ मोक्षा, जल्दी से तैयार हो जा,

कुछ ही देर में लड़के वाले तुझे देखने आने वाले हैं।"

रजनी ने अपनी बेटी मोक्षा को आवाज़ देकर कहा।

मोक्षा ने सोचा कि मुझे साड़ी पहनने में समय लगेगा भाभी से साड़ी पहन लेती हूँ। वह साड़ी लेकर अपनी भाभी के कमरे की तरफ जा रही थी तो उसने सुना उसकी भाभी गौरी उसके भैया से कह रही थी "आज तो लड़के वालों को तुम्हारी बहन पसंद आ ही जाये। रोज़-रोज़ का तमाशा हो गया है, हर बार लड़के वालों की आवभगत में ही कितना रुपया लग जाता है। फिर वो तुम्हारी बहन को मना कर के चल देते हैं। मैं तो तंग आ गई रोज़-रोज़ के ड्रामे से। पता नहीं क्या खा कर मम्मी जी ने मोक्षा को पैदा किया था। 

तुम दोनों भाई बहनों में ज़मीन आसमान का फर्क है। कहाँ तुम एक राजकुमार से सुन्दर गोरे-चिट्टे। कहाँ वो काली स्याही जैसी। जो रात में तो नज़र ही नहीं आती, सिर्फ काली बिल्ली की तरह उसकी आँखें ही चमकती रहती हैं।

मोक्षा के भैया मनीष ने उसे डांटते हुए कहा "यह कैसे बोल रही हो, मोक्षा का रंग थोड़ा काला है पर कभी तुमने उसके नैन-नक्श और गुण नहीं देखे"| इस पर गौरी बोली "हाँ वो तुम्हारी बहन है, तो उसकी ही साइड लोगे। तुमने क्यों मुझ जैसी गौरी-चिट्टी और सुंदर लड़की से शादी की है। ले आते उसी के जैसी कोई। 

यह सब सुन मोक्षा से वहां एक मिनट नहीं खड़ा हुआ गया। उसने अपने कमरे में आकर जैसे-तैसे साड़ी पहनी और तैयार हो गयी। 

लड़के का नाम रमन था। रमन के घर वालों ने जैसे ही मोक्षा को देखा, उन्होंने वहां से उठना चाहा पर रमन को मोक्षा की सादगी बहुत अच्छी लग रही थी। उसने कहा "मैं एक बार लड़की से अकेले में बात करना चाहता हूँ। वह दोनों अलग कमरे में बात करने लगे। रमन को मोक्षा बहुत ही सुलझी हुई लगी। मोक्षा को भी रमन बहुत समझदार लग रहा था। उसने रमन से कहा "अगर आपको मैं पसंद नहीं हूँ, तो कोई संकोच नहीं करिये सीधे-सीधे मना कर दीजिये। पर रमन ने उसकी बात का जवाब देने के बजाय मोक्षा से पूछा "क्या तुम्हें मैं पसंद हूँ"? 

मोक्षा कि आँखों में यह सुन कर आंसू आगये क्यूंकि किसी ने आजतक उससे यह नहीं पूछा था। रमन ने कहा "रो क्यों रही हो? तुम मुझसे ज़्यादा पढ़ी-लिखी हो मुझसे ज़्यादा कमाती हो, तो तुम्हारी इच्छा जानना तो बहुत ज़रूरी है। मोक्षा ने कहा "आप इतने अच्छे हैं, मैं आपको कैसे मना कर सकती हूँ। कुछ दिन बाद दोनों का विवाह सम्पन हो गया। मोक्षा अपनी ससुराल में सब को खुश रखने की कोशिश करती थी। पर उसके ससुराल वाले उसे उसके रंग को लेकर ताने मारते रहते थे। शादी के चार महीने बाद मोक्षा गर्भवती हो गयी। तब भी सब उसके सामने यही कहते रहते बच्चा मोक्षा पर न चला जाए। 

रमन सबको बहुत समझाने कि कोशिश करता। पर जब किसी को कुछ समझ नहीं आया तो रमन ने कुछ दिन के लिए घर वालों से अलग रहने का फैसला कर लिया। मोक्षा ने घर इतने अच्छे से संभाल लिया था कि उसके जाते ही उसकी सास और नन्द को जब सारे काम खुद करने पड़ रहे थे तो उन्हें मोक्षा कि कमी का एहसास हुआ। रमन घर में पैसे भेज रहा था पर मोक्षा की तनख्वा से उनका घर बहुत अच्छे से चल रहा था। जब 2-3 जगह से उसकी नंद कि शादी की न हो गयी तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने मोक्षा कि भावनाओं को कितनी ठेस पहुंचाई है। उन्होंने रमन और मोक्षा से फ़ोन पर माफ़ी मांगी और घर आने को कहा। वह दोनों घर वापिस आ गए। 

कुछ दिन बाद मोक्षा ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया पर उसकी भाभी गौरी को डॉक्टर ने कह दिया था की वो कभी माँ नहीं बन सकती। जब मोक्षा को यह पता चला तो वह अपनी भाभी से मिलने गयी। उसने गौरी से कहा "भाभी भगवान् सबको सब कुछ नहीं देता। आपके मेरे बारे में क्या विचार हैं, मैं अच्छी तरह जानती हूँ। पर मैं अपने भैया को दुखी नहीं देखना चाहती इसलिए मैं अपने एक बेटे को आपको देती हूँ"| गौरी की आँखें नाम हो गयी। उसके पास बोलने को कुछ था ही नहीं। बस वह खुद को बहुत छोटा महसूस कर रही थी। वह मोक्षा के पैरों में गिर गयी।


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