रंग होली के

रंग होली के

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होली की सुबह थी। रंगों के त्योहार में मौसम भी रंगीन हो चला था।

हर तरफ त्योहार की धूम मची हुई थी। लेकिन शीतल के दिल में अजीब सा सूनापन पसरा हुआ था।

रसोई में पकवान बनाते हुए वो बचपन की यादों में खोयी थी।

कितना पसंद था उसे होली का त्योहार। सुबह होते ही दोस्तों के साथ टोली बनाकर निकल जाना और रंगों से सराबोर होकर लौटना, फिर रंग छुड़ाने की जद्दोजहद और शाम को नए कपड़े पहनकर एक बार फिर दोस्तों के साथ गुलाल उड़ाने में रम जाना।

उसने सोचा था शादी के बाद पति के संग भी होली का जमकर लुत्फ़ लेगी, लेकिन अमित को तो रंगों के नाम से ही चिढ़ है।

अब ना वो ज़िन्दगी रही, ना उत्साह, ना वो दोस्त।

रसोई में पकवान बनाते हुए ही बीत जाती है होली।

सहसा अमित की आवाज़ से शीतल की तन्द्रा भंग हुई "अरे कुछ बन गया हो तो बच्चों को खिला दो।"

उनके दोनों बच्चे कुहू और अंश अपनी-अपनी पिचकारी लिए मोहल्ले के बच्चों के साथ मिलकर सबको रंगने में व्यस्त थे।

अमित को खाने की प्लेट देते हुए शीतल बोली "तुम ही खिला देना उन्हें। उन दोनों के हाथ तो रंग से सने हुए हैं।"

अमित ने शीतल के चेहरे पर छायी हुई उदासी पढ़ ली और पूछा "क्या बात है? उदास लग रही हो?"

"कुछ नहीं बस यूँ ही" कहकर शीतल वापस अपने काम में लग गयी।

थोड़ी देर में सारा काम निपटाकर जब शीतल रसोई से निकली तो उसे अपने गालों पर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ।

उसने पीछे मुड़कर देखा तो अमित की गोद में चढ़े हुए कुहू और अंश अपने रंगीन हाथों से उसके गालों को रंगीन कर चुके थे।

"अरे ये क्या किया" बनावटी गुस्सा दिखाते हुए शीतल बोली।

"मम्मा को रंगीन-रंगीन कर दिया" ताली बजाते हुए दोनों बच्चों ने कहा।

शीतल की नज़र अमित के रंगों से सराबोर चेहरे पर गयी तो उसने हँसते हुए कहा "अरे ये तो चमत्कार हो गया। तुम्हारे चेहरे पर रंग?"

"हमने लगाया पापा को रंग। अभी और लगाएंगे" कहकर कुहू और अंश ने ढेर सारा रंग अमित पर डाल दिया।

अमित भी रंग लेकर उनके पीछे भागा और उन सबके पीछे शीतल।

सभी एक-दूसरे को रंगों से सराबोर कर रहे थे।

शीतल को रंग लगाते हुए अमित ने कहा "हमारे बच्चे ही हमारी ज़िन्दगी के असली रंग है। उनकी वजह से ही मैं तुम्हारी उदासी को समझ पाया।"

"और उस उदासी को दूर भी भगा दिया" अमित को रंगते हुए शीतल बोली।

"मम्मा-पापा सावधान" कहते हुए कुहू और अंश की पिचकारी फिर से अमित और शीतल की तरफ मुड़ चुकी थी।

सबकी हँसी ने मिलकर रंगों के त्योहार को कभी ना छूटने वाले खूबसूरत रंग भरी यादों से सजा दिया था।


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