Swati Roy

Drama

5.0  

Swati Roy

Drama

रिश्तों की तोड़ मरोड़

रिश्तों की तोड़ मरोड़

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575


सविता आंटी और नवीन अंकल का बड़ा ही प्यारा और सुखी परिवार था। अंकल का अपना बिजनेस था और आंटी घर और बाहर के काम संभाल लेती थी। उनके दो प्यारे प्यारे बेटे थे अमर और अमन। कुल मिलाकर सब मिलजुल कर हंसी खुशी रहते थे। बस अंकल और आंटी को एक ही अफसोस था कि काश एक बेटी होती तो परिवार पूरा हो जाता।

सविता आंटी और नवीन अंकल काफी सुलझे स्वभाव के इंसान थे और अपने दोनों बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दी थी। उन्हें ना सिर्फ अपनो से बड़ों का सम्मान करना सिखाया था बल्कि लड़कियों का सम्मान करना भी बखूबी सिखाया था। दोनों भाई घर बाहर के हर काम में अपनी माँ और पापा की मदद करते थे। दोनों के स्वभाव के कारण सब दोनों को बहुत प्यार करते थे। 

अमर और अमन दोनों में एक साल का ही फर्क था। दोनों ही पढ़ाई पूरी कर के अच्छी नौकरी में लग गए थे। अब आंटी ने अमर के लिए लड़की देखना शुरू कर दिया था और एक दिन रीति को देखकर उनको लगा कि उनकी खोज पूरी हो गई है। अमर और रीति ने भी एक दूसरे को पसंद कर लिया था। अमन को भी रीति भाभी के रूप में अच्छी लगी। रीति भी इकलौती संतान थी, उसके माँ पापा भी अमर को दामाद के रूप में पाकर बहुत खुश थे।

दो महीने के बाद शादी का दिन तय हुआ था और जल्द ही शादी का दिन भी आ गया। रीति दुल्हन के लिबास में बहुत सुंदर लग रही थी, तो अमर भी सहरे में जच रहा था। देखते देखते विवाह संपन्न हुआ और रीति विदा हो अपने ससुराल आ पहुंची। सविता आंटी को रीति के रुप में जैसे बेटी मिल गई थी। बेटी के सारे अरमान वो रीति से पूरे कर रही थी। अमन को जहां भाभी के रूप में छोटी बहन मिली थी वहीं रीति ने भी अमन को अपना बड़ा भाई ही समझ लिया था। 

रीति सारे दिन सविता आंटी के साथ घर के काम में मदद करती, शाम को अपने भाई तुल्य देवर और ससुर जी के साथ चाय नाश्ते पर गप्पे लगाती और रात को अमर के साथ भविष्य के सपने बुनती| ऐसे ही हंसते खेलते रीति और अमर की शादी को दो साल हो चुके थे, पर कहते हैं ना खुशियां भी लक्ष्मी की तरह कहीं एक जगह ज्यादा दिन नहीं टिकती है। वैसे ही शायद सविता आंटी के परिवार के ऊपर भी दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था, जब अचानक एक दिन ऑफिस से लौटते वक्त अमर की मोटसाइकिल एक ट्रक से टकरा गई और उसने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। 

सविता आंटी और नवीन अंकल की आंखो का पानी जैसे सूखने का नाम ही नहीं ले रहा था, वहीं रीति थी जो कि पत्थर हो गई थी। ना रोई, ना चिल्लाई, बस टकटकी लगाए अमर की तस्वीर को देखती रहती। अमन अपने गम को भुला कर कभी मां और पापा को हिम्मत बंधाता तो कभी रीति को हसाने की कोशिश करता। धीरे धीरे परिवार ने एक दूसरे को संभाल लिया था। अब बस चिंता थी तो रीति को लेकर, जो सबके सामने खुद को खुश दिखाने की नाकाम कोशिश करती।  

अमन रीति को भरसक खुश रखने की कोशिश करता रहता, धीरे धीरे रीति काफी संभल चुकी थी। अमन को रीति की परवाह करते देख आंटी ने एक दिन अंकल और रीति के परिवार वालों से सलाह कर के फैसला लिया के इन दोनों की शादी कर दी जाए ताकि दोनों को एक सहारा मिल जाएगा। ये सुनते ही अमन और रीति दोनों ही बौखला गए। जहां रीति ने चुप्पी साध ली थी, वहीं अमन ने इस शादी से साफ इंकार कर दिया था। आंटी और अंकल ने उसको समझाते हुए कहा कि रीति को वो इस घर में बहू बना कर लाए थे तो उनकी भी जिम्मेदारी है कि उसकी खुशियों का ख्याल रखे। हमारी बेटी समान बहू भी घर में रह जाएगी और हम भी समाज में हँसी का पात्र बनने से बच जाएंगे। अमन ने कहा आपसे किसने कहा कि मुझसे शादी कर के रीति खुश रहेगी ? 

अमन ने आगे बोला मां आप ही ने कहा था ना रीति आपकी बहू नहीं बेटी है। मैंने हमेशा उसको अपनी छोटी बहन समझा है और ऐसी परिस्थिति में एक भाई जो करता है मैंने भी अपनी बहन के लिए वही किया है। अगर उसकी खुशी की परवाह है तो रीति से बात करें और वो क्या चाहती है ये समझने की कोशिश करें, ना कि अपनी जरूरतों की वजह और समाज के डर से रिश्तों की तोड़ मरोड़ करें।

रीति ने सारी बातें सुन ली थी, वो धीरे से कमरे में आई और सविता आंटी से लिपट कर रोने लगी। उसने कहा मैं आपको माँ और अमन को अपना बड़ा भाई मानती हूं। आपको अगर समाज की चिंता है तो मैं इस घर से चली जाती हूं, लेकिन अमन से शादी नहीं कर पाऊंगी। इतना कहकर रीति अपने कमरे में चली गई। 

अमन ने अपनी माँ से बोला "माँ, हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि रीति भी खुश रहे और हम समाज को एक मिसाल दे सकें। क्यों ना हम एक अच्छा लड़का देख कर उसकी शादी कर अपने घर से बेटी की तरह विदा करें। ये सुन सविता आंटी और नवीन अंकल बहुत खुश हुए और अपनी परवरिश पर नाज़ भी हुआ। अमन ने रीति को भी शादी के लिए तैयार कर लिया था और अपने ही दोस्त के बड़े भाई के साथ रीति की शादी तय करवा दी। 

रीति की शादी हो चुकी थी। अंकल और आंटी ने एक सास ससुर के नाते नहीं बल्कि एक माँ पापा की हैसियत से उसका कन्यादान किया और अमन ने एक बड़ा भाई बनकर अपने आंसुओ को छुपाकर उसको विदा किया। रीति अब हर त्यौहार पर आंटी और अंकल से मिलने आती और अमन को हर रक्षाबंधन पर राखी बांधती।


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