"रिश्तों की डोरी"
"रिश्तों की डोरी"
गाँव के जुम्मन चाचा और पंडित रामेंश्वर की गहरी दोस्ती की मिसाल जगज़ाहिर थी। दोनों के घर की बीच की दीवार एक थी। चाचा के बच्चे इस्माइल व फ़ातिमा तथा पंडित जी के बच्चे आकाश व वंदना साथ खेलते-खाते बड़े हुए। मेंलजोल इतना कि त्योहार भी साझा मनाए जाते। ईद, बक़रीद, मोहर्रम आदि जुम्मन चाचा के घर तो राखी, दसहरा, दीवाली पंडित जी के घर दोनों परिवार साथ में मनाते। राखी में पंडित जी के घर दो थालियां सजती, एक वंदना तो दूसरी फ़ातिमा की और आकाश व इस्माइल खुशी-खुशी दोनों बहनों से राखी बंधवा उन्हें उपहार व सारा जीवन उनकी रक्षा करने का वचन देते।
समय पंख लगा उड़ने लगा। बहनों की शादियां हो गयी। वे शहर, अपने ससुराल चली गई। आकाश और इस्माइल में एक दिन किसी बात को लेकर कहा-सुनी इतनी बढ़ गई कि दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। गाँव वालों ने बीच-बचाव कर दोनों को अलग किया। इस्माइल ने अपने माँ-पिता व बहन से पंडित जी के घर से संबंध तुड़वा लिये। बरसों की दोस्ती के पल भर में टूटने के सदमें को न बर्दाश्त करने से जुम्मन चाचा इस दुनिया को छोड़ गए। इस्माइल काम की तलाश में माँ सलमा को गाँव में अकेला छोड़ शहर चला गया। आकाश ने गाँव में ही नौकरी कर ली। सलमा अकेले जैसे-तैसे ज़िन्दगी गुज़ारने लगी। एक दिन ज़रूरत का सामान लेने बाजार में वह सड़क हादसे का शिकार हो गई। उसी रास्ते से गुजरते भीड़ देख आकाश भी रुक गया, सलमा चाची को खून से लथ-पथ देख उससे रहा न गया तुरंत उन्हें उपचार हेतु दवाख़ाने ले गया। डॉक्टरों ने प्रथमोपचार पश्चात सलमा को शहर के बड़े दवाखाने में ले जाने की सलाह दी। सारी व्यवस्था तुरंत कर फ़ातिमा को फोन से सूचित कर आकाश चाची को ले शहर की ओर रवाना हो गया। दवाखाने में चाची का उपचार शुरू हो गया। फ़ातिमा दौड़ी-दौड़ी दवाखाना पहुँची। डॉक्टर आकाश से कह रहे थे अब सलमा चाची ख़तरे से बाहर है। अगर थोड़ा भी विलम्ब उन्हें यहां लाने में किया जाता तो अनहोनी हो सकती थी। फ़ातिमा आकाश के गले लग रोने लगी तभी उसकी नज़र डॉक्टर की कलाई पर पड़ी जिसमें बंधी राखी अपना तेज दिखा रही थी। फ़ातिमा को याद आया आज तो राखी का त्योहार है और आकाश की कलाई सूनी है। दस साल से उसने इस कलाई पर राखी नहीं बांधी। तुरंत बटुए से रुमाल निकाला, आकाश को अपनी आंसू का टीका लगा, उसने वह रुमाल आकाश की कलाई पर बांध दिया। आकाश ने भी उसे गले से लगा सर पर हाथ रख दिया।
