Anil Makariya

Tragedy

4.5  

Anil Makariya

Tragedy

रिश्तों की बर्फ

रिश्तों की बर्फ

3 mins
393



"ए कहवा...ए कहवा!"

सुबह-सुबह गुलमर्ग की वादियों में गूंजती यह आवाज यकीनन उसके कश्मीरी कहवा की तरह ही जायकेदार है जिसे रोज यह बारह-तेरह साल का कश्मीरी बच्चा हमारे पड़ाव पर बेचने चला आता है।

कड़कड़ाती ठंड में बारह-बारह घण्टे की बारी से पहरा देते फौजियों के पास जाकर पूछना "ए... कहवा ?" यूँ लगता है मानो मोहनी अवतार पास आकर पूछे "अमृत पीना है?"

लेकिन इस गुलाबी लड़के ने उसदिन के बाद मुझसे कभी कहवा के लिए नही पूछा जब मेरी नई-नई पोस्टिंग इस गांव में हुई थी और मैंने इसके "ए... कहवा" कहने पर झिड़क दिया था और गुस्से से कहा था "कॉफी है तो लाओ हम साउथ इंडियन कहवा नही पीते।"

मेरे शब्द उसे कितने समझ आये होंगे यह मुझे नही पता मगर तब से उसने मुझसे कहवा के लिए कभी नही पूछा मगर हाँ! मुझे देखकर उसके गुलाबी चेहरे पर एक मुस्कराहट जरूर आ जाती है।

टूटी-फूटी हिंदी में कभी उसने मेरे साथी फौजियों को बताया था कि उसके अम्मी-अब्बा सीमापार से हुई फायरिंग में मारे गए थे। वह इस पहाड़ी के नीचे बने छोटे से लकड़ी के घर में रहता है और कहवा बेचकर अपनी रोजी चलाता है।

"ए ...इधर आ!" मेरे बुलाते ही वह गुलाबी मुस्कान लिए पास आकर खड़ा हो गया और मुझे टुकुर-टुकुर निहारने लगा।

"कॉफ़ी क्यों नही लाता?" मैंने किंचित नर्म स्वर में पूछा।

एक पल के लिए उसकी आँखों में उदासी और नमी एक साथ झलकी और फिर अगले ही पल उदासी को शब्द मिल गए।

"मेरा घर नीचे...आना!" बोलकर वह दूसरे फौजी की ओर कहवा देने बढ़ गया।

मुझे लगा जैसे मेरे सख्त फौजी लहजे ने शायद उसे आहत किया होगा।

मैं बिना कुछ बोले उसके पीछे हो लिया उसने मुझे पीछे मुड़कर देखा लेकिन वह कुछ न बोला।

सफेद बर्फ पर समोवर हाथ में थामे कूदता-फांदता वह लड़का पहाड़ी उतरते ही लकड़ी के केबिन नुमा घर में घुस गया।

मैं अधखुले दरवाजे के बाहर खड़ा कुछ सोच ही रहा था कि अचानक दरवाजा पूरा खुल गया और उसने अंदर आने का इशारा किया ।

खस्ताहाल एक कमरे के घर में जमीन पर पड़े छोटे से स्टूल को मेरी ओर सरका दिया और खुद एक कोने में रखे हुए पुराने ट्रंक की ओर मुड़ गया।

मैं यंत्रवत स्टूल पर बैठ गया और उसके क्रियाकलाप को उत्सुकता से देखता रहा।

पुराने ट्रंक को खोलकर उसने स्टील का छोटा डिब्बा बरामद किया और स्टोव पर दूध गर्म करने लगा।

कुछ ही देर में उसने एक प्याले में भाप उड़ाती हुई कॉफी मेरे सामने पेश कर दी।

मेरी नजरें उस प्याले में से ऊपर की ओर उठती भाप का पीछा करती हुई उसके गुलाबी मासूम चेहरे की ओर उठ गई ।

उसकी आँखें नम थी और होंठ लरजते हुए कुछ बुदबुदा रहे थे।

 मैंने वह बुदबुदाहट सुनी।

"मेरा अब्बा साउथ इंडियन...वह कहवा नही पीता...कॉफी पीता था।"



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy