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Saroj Verma

Tragedy

3  

Saroj Verma

Tragedy

रिश्तों का भ्रम....

रिश्तों का भ्रम....

4 mins
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लैंडलाइन के फोन की घंटी बजी....

  चैताली ने फोन उठाया, उधर से चैताली की सास रमादेवी का फोन था, चैताली ने फ़ौरन फोन में चरण स्पर्श बोला___

 रमादेवी बोली__

हां.. हां.. ठीक है.. ठीक है.. मुझे पता है कि तू मेरी कितनी इज्जत करती है, जल्दी से गौतम को फोन दे, कुछ जरूरी बात करनी है।।

   लेकिन मम्मी जी, वो तो बाथरूम में हैं, जो जरूरी बात है, आप मुझसे कह सकतीं हैं, चैताली बोली।।

  तुझसे क्या कहूं? तू कमाती है क्या? कुछ पैसों की जरूरत थीं इसलिए गौतम से ही बात करनी पड़ेगी, गौतम बाथरूम से आ जाए तो कह देना कि फोन कर लें।।

  और रमादेवी ने इतना कहकर फोन काट दिया,

चैताली भी अपने दुखी मन से रसोई का काम करने लगी, ये उसके लिए नई बात नहीं थी, बीस सालों से उसे ऐसी झिड़कियां सुनने की आदत पड़ गई थी, आए दिन यही होता, उसके दोनों छोटे देवरों की पढ़ाई में गौतम ने पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन दोनों भाइयों ने पढ़ाई का पैसा लड़कियों, दारू सिगरेट पर उड़ाया, गौतम अपनी मेहनत से रेलवे इंजीनियर हो गया था, अब सास अपने दोनों छोटे बेटों के लिए जब देखो तब पैसे मांगती रहती है, दोनों शादीशुदा भी है और दोनों के बच्चे भी हैं, दोनों कुछ करने का नहीं सोचते क्योंकि बड़े भाई के यहां से पैसा जो मिल रहा है।।

   रमादेवी हमेशा गौतम से यही कहती रहती है कि हमने तुम्हें पढ़ाया है तो तुम्हारा फर्ज बनता है कि तुम अपने दोनों भाइयों का खर्चा उठाओ, यहां तक दोनों भाइयों के बच्चों की फीस भी गौतम ही भरता है।।

   जब कभी गौतम अकेले घर जाता है तो दोनों बहुएं उसको खाने के लिए भी नहीं पूछतीं इसलिए अब चैताली गौतम को अकेले घर नहीं जाने देती और जब भी चैताली घर जाती है तो वो ही पूरे समय रसोई और घर के अन्य काम सम्भालती है क्योंकि रमादेवी दोनों बहुओं से डरती है इसलिए वो उनसे कुछ नहीं कहती, क्योंकि वो रमादेवी की अच्छे से खैर खबर लेती रहतीं हैं और एक चैताली है जिसने बीस सालों में ना कभी पति के सामने जबान खोली और ना सास के सामने, जब उस घर में ब्याह कर आई थी तो दोनों देवर बहुत छोटे थे, चैताली ने ही दोनों देवरों और एक ननद को सम्भाला, उनके सारी चीजों का वहीं ख्याल रखती थी, सुबह से शाम तक पूरे घर का ख्याल रखती, यहां तक कि उनके घर में कोई भी नौकर नहीं था लेकिन चैताली कभी उफ़ तक ना करती, पांच साल तक गौतम ने उसे रमादेवी के पास ही रखा अपने साथ लेकर नहीं गया।।

    और पांच सालों में रमादेवी ने ऐसा कोई भी ग़लत आरोप ना छोड़ा जो चैताली पर ना लगाया हो और चैताली सब बर्दाश्त करती रही, यहां तक कि दहेज के लिए भी उसके मां बाप को भी खरी खोटी सुनाने के लिए भी नहीं छोड़ा, वह तो गौतम ने अपनी मां को समझाया कि तुम्हें पैसे चाहिए तो मैं दूंगा, दहेज क्यों मांगती हो मां, इतना घटियापन अच्छा नहीं लगता।।

  तब जाकर रमादेवी को अक्ल आई लेकिन उसने चैताली को कभी परेशान करना नहीं छोड़ा, यहां तक कि वो गौतम के भी कान भरती थी लेकिन गौतम सब समझता था कि चैताली सही है, मेरी मां ही गलत है।।

   लेकिन इस बार तो रमादेवी ने हद ही कर दी थीं, उसकी बेटी अंजलि किसी रिश्तेदार की शादी में मायके आई थी, रात को तैयार होकर सब गए लेकिन अंजलि को क्या मालूम था कि ऐसा होगा क्योंकि ये तो उसका मायका था इसलिए सारे गहने ऐसे ही उतार रख दिए और सोने चली गई उसे क्या मालूम था कि दोनों भाई गहने चुराकर ले जाकर जुएं में हार जाएंगे, पूरे दस लाख के गहने थे, ससुराल वालों से क्या कहेगी, पति से क्या कहेंगी यही सोचकर परेशान हो रही थी।।

  रमादेवी बोली चिंता मत कर गौतम है ना, गौतम से पैसे लेकर तेरे लिए नए गहने खरीद लेते हैं और उसी के लिए रमादेवी ने गौतम को फोन किया था।।

    गौतम के बाथरूम से बाहर आने पर चैताली ने कहा कि मां को फोन कर लो।।

   गौतम ने फोन किया और सारी बात पता चली, गौतम ने रमादेवी से कहा, शाम तक फोन करूंगा।।

   चैताली को सारी बात पता चली तो वो बोली, सरकारी नौकरी है हमारे खुद के दो बच्चे हैं और इतने लोगों का खर्च,कहां से आएगा पैसा?

   गौतम बोला, शाम तक कुछ करता हूं, तुम चिंता मत करो।।

   शाम को फिर रमादेवी का फोन आया कि हुआ पैसों का इंतजाम।।

   गौतम बोला__

 मां! अब मेरे पास कोई पैसा नहीं है किसी की अय्याशियों के लिए, मुझसे आप लोग सिर्फ पैसों के लिए ही रिश्ता रख रहे हो, पिछले साल हम दोनों पति-पत्नी को डेंगू हो गया था दोनों हास्पिटल में भर्ती थे लेकिन तुम में से कोई नहीं आया, यहां दोनों बच्चों को पड़ोसियों ने सम्भाला।‌

   और पिछले छ: महीने से मैं अल्सर से पीड़ित हूं लेकिन तुम में से किसी को कोई चिंता नहीं है, अब मुझे पता चला, तुम लोग सिर्फ रिश्ते मतलब के लिए रख रहे थे लेकिन अब और मैं इन झूठे रिश्तों का भ्रम नहीं रखना चाहता और इतना कहकर गौतम ने फोन रख दिया।।



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