Mukta Sahay

Drama

5.0  

Mukta Sahay

Drama

रिश्ते - नए पूराने

रिश्ते - नए पूराने

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कई दिनों बाद आज जब मैंने अपना फ़ेसबुक अकाउंट खोला था और उसमें डॉक्टर अमृता खन्ना का फ़्रेंड रिक्वेस्ट देख कर मैं अचंभित रह गई थी। अमृता खन्ना मेरे पापा के दोस्त अरोरा अंकल की बेटी है। हम लोगों के घर आसपास ही थे किंतु आना जाना कुछ कम था ।


हमेशा से ही अरोरा अंकल-आंटी का रहन सहन बहुत ही ऊँचा रहा है, गाड़ी, कपड़े, जूते, खाना-पीना सब कुछ अच्छे ब्राण्ड के रहे हैं, यहाँ तक की बोलना-चलना भी खासे अन्दाज़ में रहा है। वहीं हम लोग साधारण रहन सहन और चालू बाज़ार के समान का प्रयोग करने वाले लोग।


अमृता की शादी का रिश्ता उसके कनाडा वाली बुआ ने लाया था। लड़के का कनाडा में कपड़ों का बड़ा कारोबार था और परिवार यही भारत में बसा था। बड़ी आलीशान कोठी थी अमृता के ससुराल वालों की जिसे देख आँखे खुली ही रह जाती थी।


अरोरा अंकल ने अमृता की शादी बहुत ही धूमधाम से की थी। बम्बई से फ़िल्मी कलाकार बुलाए गए थे शादी में कार्यक्रम के लिए। कपड़े, गहने, खाना, सजावट सब बेमिसाल थे। सालों तक इस शादी की मिसाल दी जाती रही थी।


जब शादी हुई तब अमृता डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही थी और अरोरा आंटी का कहना था की बाक़ी की पढ़ाई करनी होगी तो कनाडा में करेगी या फिर ना भी करे तो क्या, इतना सम्पन्न परिवार है।


ऐसी अमृता का फ़्रेंड रिक्वेस्ट मुझ जैसी मामूली घरेलू लड़की को आना मेरे लिए ख़ास था। मैंने भी झट से ऐक्सेप्ट कर लिया।मेसेंजर के ज़रिए ख़ूब बातें हुई, एक दूसरे से जुड़ी जानकारी का आदान प्रदान हुआ। ख़ुश और सम्पन्न लग रही थी। मैं भी सोंच रही थी की कितनी अच्छी ज़िंदगी मिली है इसे।


फिर बात करने की ललक हुई तो हम दोनो ने अपने फ़ोन नम्बर एक दूसरे को दिए। हम दोनो ने बातें की। बहुत अच्छा लगा। अब सप्ताह में एक बार बात हो ही जाती थी।


लगभग छः महीने निकल गए थे हमें मिले जब एक बड़ी ही चौंकाने वाली जानकारी से मेरा सामना हुआ। अमृता ने मुझे बताया कि उसके पति की एक और पत्नी है जो विदेशी है। जब अमृता की शादी हुई वह उसके पहले से इस विदेशी महिला से विवाहित था और दो बच्चे भी थे।


जब वह शादी के बाद कनाडा आइ तो उसे पता चला और वह बहुत नाराज़ भी हुई। भारत में अपने माता-पिता से भी बताया लेकिन वह ये बोल कर किनारे हो गए की इस बात को ज़्यादा ना उछालो, अभी तुम्हारी छोटी बहन की शादी भी करनी है। अब वहीं सामंजस्य बनाओ हम कुछ नहीं कर सकते।


मैं बहुत ही ग़ुस्से में थी अमृता के माता-पिता के प्रति। फिर अमृता ने मुझसे आग्रह किया की क्या मैं उसकी कुछ मदद कर सकती हूँ भारत आने में। मेरे पति उच्च न्यायालय में वक़ील है सो मैंने उनसे बात की और अमृता की बात भी अपने पति से करवाई।


कनाडा में मेरे पति के पहचान के कुछ लोग थे उन्होंने उनसे मदद ली।कुछ क़ानूनी करवाई भी की गई और अमृता को वापस भारत लाना सम्भव हुआ।


भारत आने के बाद वह माता-पिता से मिलना चाही पर उन्होंने मना कर दिया। वह मेरे ही साथ रही। बहुत प्रयासों के बाद वह फिर से छूटी पढ़ाई शुरू कर अपना इंटर्नशिप पूरा करी और एम॰डी॰ किया। इसके बाद वह बच्चों की डॉक्टर बन समाज की सेवा में लग गई।


अब वह मेरे साथ नहीं रहती। अपने किराए के घर में रहती है पर हम हर दिन आपस में बातें करते हैं। वह बता रही थी की उसके माता-पिता उसे अपने पास बुला रहे है क्योंकि छोटी बहन की शादी के बाद वे अकेले रह गए है पर इसने उन्हें ये कह कर मना कर दिया की यहाँ का काम उसे बहुत पसंद आ रहा है और उसे छोड़ना नहीं चाहती है। अब वह अपनी पूराना ज़िंदगी और पूराने रिश्तों के बीच नहीं जाना चाहती है। उसने जो नए रिश्ते और परिवार बनाया है ज़रूरतमंद छोटे बच्चों के साथ उसमें वह बहुत हाई ख़ुश है।


अमृता ये आज भी सोंचती है कि समाज में बेटियों के बारे में कितनी ही अच्छी अच्छी बातें होती हैं पर कई बार यथार्थ में पढ़े लिखे आधुनिक माता-पिता की बेटियों की ज़िंदगी बहुत ही कठिन रहती है। वे भी वैसी ही प्रताड़ना झेलती है जैसी उसने झेली है। साथ ये भी सच है की चलती का नाम ही ज़िंदगी है ।


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