रिश्ता बराबरी का
रिश्ता बराबरी का
नेहा की शादी अंकित के साथ धूमधाम से हो गई थी। विदाई की तैयारियां चल रहीं थी। नेहा के मम्मी पापा,भाई बहन का उसके बिछुड़ने का गम था। सभी उसे स्नेह,आशीर्वाद,सलाह दे रहे थे। पापा ने नेहा को आशीष देते हुए कहा-"अब से यही तेरे मम्मी-पापा हैं। "यह कहकर पापा ने नेहा को कार में बैठा दिया।
नेहा के पापा अपनी समधि को शगुन देने लगे और जैसे ही पैर छूने के लिए छुके,अंकित के पापा ने अपनी समधि के हाथ पकड़ते हुए कहा-"अब हमारा रिश्ता बराबरी का है। समधी का मतलब ही होता है-"समान"। आप और हम बराबर के हुए, छोटे-बड़े नहीं।