रहस्य की रात भाग 12

रहस्य की रात भाग 12

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फिर जब पूरी पूजन खत्म हुई और वे चारों साष्टांग की मुद्रा में लेटे, तो झरझरा ने इन्हें शांत रहकर देवी के पूजन की ताकीद की और नयन न खोलने को चेताया फिर एक दिशा को चली गई। कुछ क्षणों में ही उसके कदमों की आहट निकट आई तो चारों एक साथ चिल्लाते हुए कूद कर खड़े हो गए और उन्होंने जो देखा उसने उनके होश उड़ा दिए। झरझरा पूर्ण नग्नावस्था में तलवार ताने हुए इनपर वार करने को आमादा थी। उसके बाल पूरे शरीर पर लहरा रहे थे। उसने अपने सर पर रोली और गुलाल डाल रखा था और वह एक भयानक चुड़ैल लग रही थी। उनके इस तरह उठ खड़े होने से झरझरा बौखला गई और दांत किटकिटाते हुए उनपर टूट पड़ी। उसके सामने आशी था जो कालेज में जूडो का चैंपियन रह चुका था। उसने झरझरा का वार बचाया और झुक कर, उसे एक जबरदस्त धक्का दिया। एक जोरदार चीख के साथ झरझरा गिर पड़ी और इसी के साथ एक अविश्वसनीय घटना घटी। उसका स्वरूप परिवर्तित हो गया। एक सुंदरी के स्थान पर एक महा कुरूप स्त्री पड़ी थी। जिसकी काली चमड़ी सिकुड़ गई थी। बड़ी-बड़ी आँखें मानो आग उगल रही थीं और लाल अंगारों जैसे बाल हवा में मानो उड़ रहे थे। उसका यह रूप देखकर ये चारों भयभीत हो गये, पर जान का सवाल था। चारों जो मिला वही लेकर झरझरा पर टूट पड़े और अंत में उसके हाथ से तलवार छूट गई तो वही उठाकर अनुज ने झरझरा की गर्दन धड़ से अलग कर दी। वह सर कई बार उड़-उड़ कर गर्भगृह की छत से टकराया और विलाप करता हुआ हवन कुण्ड में गिर पड़ा। स्फटिक मणि का विचार भी उनके मन में दूर-दूर तक नहीं आया। वो तो बस किसी तरह अब वहां से भाग जाना चाहते थे। परंतु जैसे ही चारों बाहर निकले पशु मानव दांत किटकिटाता हुआ इनके सम्मुख कूद पड़ा। अनुज के हाथों में अभी तलवार विद्यमान थी। उसने अनायास ही हाथ घुमाया तो उस घृणित पशु का बड़ा सा सर कट कर भूमि पर जा गिरा और ऐसा होते ही वह पिघलने लगा।  

ये चारों विस्फारित नेत्रों से देखते रह गए और वह घृणित पशु देखते ही देखते एक दिव्य पुरुष के रूप में बदल गया। एक बड़ी सी सफ़ेद दाढ़ी वाले महापुरुष! जिनकी ओर देखते ही अनिर्वचनीय शान्ति का अनुभव होता था। वह संत सदृश्य महापुरुष इनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए और धीर गंभीर स्वर में बोले, "बहुत बहुत धन्यवाद बच्चों! तुम लोगों ने मुझे इस नारकीय योनि से छुटकारा दिला दिया। मैं करोड़ों बार धन्यवाद देकर भी तुम्हारे उपकार को नहीं चुका सकता।"

सावा और वासू ने हकलाते हुए पूछा आप कौन है?

महापुरुष बोले, " मेरा नाम चौलाई विकट नाथ है।" इतना सुनते ही चारों के मुख आश्चर्य से खुले रह गए। 

कहानी अभी जारी है!!

ये क्या रहस्य था?

चौलाई जीवित कैसे निकल आया?

पढ़िए भाग 13 

 


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