रहस्य की रात भाग 11

रहस्य की रात भाग 11

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सावा के मन के किसी कोने में झरझरा के प्रति संदेह का अंकुर जाग गया था। रह-रह कर उसकी आँखों से जब चिंगारी फूटती तब उसका रूप सावा को विकृत सा लगता। उसने परीक्षा की ठानी। जब चारों साष्टांग मुद्रा में लेटे तब उसने अचानक सर उठा कर देख लिया और जो देखा उसने इसका खून जमा कर रख दिया।

सावा ने नजरें उठाई उसने पाया कि झरझरा एकदम निकट से खून जमा देने वाली नजरों से उसे ही देख रही थी। जैसे उसे पता हो कि ये जरूर आँखें खोल कर देखेगा। उसकी आँखें मानो एक्स-रे की तरह उसके दिमाग को पढ़ रहीं थी। सावा बुरी तरह हड़बड़ा गया और हकलाते हुए बोला, " मैं सीढ़ियों से उतरते समय फिसल गया था तो कमर में बहुत दर्द हो रहा है इस तरह लेटा नहीं जा रहा इसी लिए मुझे आँखें खोलनी पड़ी।" झरझरा ऐसे मुस्कराई जैसे बड़े बूढ़े छोटे बच्चों की बातों पर मुस्कराते है और बोली, कोई बात नहीं ! और एक फूल फूंक मारकर सावा की पीठ पर फेंक दिया। सावा का पीठ दर्द मानो जादू से छू मंतर हो गया। इस बीच सबकी प्रार्थना पूर्ण हो गई और वे उठ बैठे। सावा ने देखा कि झरझरा साफ-साफ दांत पीसती सी लग रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान बरकरार थी पर आँखें मानों जल सी रहीं थी। उसने कहा अब तुम लोग थोड़ी देर आराम करके कुछ खा पी लो फिर हम दुर्घर्ष खड्ग पूजा करेंगे। इतना कहकर वह एक कक्ष में चली गई और न जाने कहाँ से इनके आगे स्वादिष्ट भोजन की थालियाँ आ गई।  

भोजन करते समय सावा ने जानबूझकर फ्रेंच भाषा में धीरे-धीरे अपना अनुभव बताया और आँख मूँद कर झरझरा पर विश्वास न करने की चेतावनी भी दी। कालेज में चारों फ्रेंच पढ़ते थे और उन्हें विश्वास था कि यहां मौजूद और कोई यह भाषा नहीं जानता होगा। उन्हें फरसेनुमा तलवार और बाबा अघोर की चेतावनी भी डराने लगे। अचानक झरझरा अपने कक्ष से निकल आई। उसके चेहरे पर उलझन के भाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे थे, पर वह इस बारे में  कुछ नहीं बोली। चुपचाप जाकर पूजन की तैयारी में लग गई। ये लोग भी भोजन करके पूजन हेतु प्रस्तुत हुए पर तब तक उन्होंने अपनी कार्य योजना तैयार कर ली थी।  

कहानी आगे जारी है!! 

क्या हुआ आगे?

क्या ये बच कर निकल सके उस मायाजाल से?

पढ़िए भाग 12

 


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