Mahesh Dube

Action Thriller

2.9  

Mahesh Dube

Action Thriller

रहस्य की रात अंतिम किस्त

रहस्य की रात अंतिम किस्त

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यह वार खाली जाता देख अघोर भयानक क्रोध में आ गया उसने मायाजनित कई प्रहार किये, परन्तु अनुज देवी का खड्ग थामे सामने अडिग खड़ा रहा। आशी और सावा भी अगल-बगल खड़े होकर जय कपालिका माँ का जाप करते रहे। वासू का कहीं पता न था। 

अचानक वे यह देखकर आश्चर्य चकित रह गए कि अघोर के चेहरे पर पीड़ा के गहन भाव आ गए उसकी आँखें पीड़ा से चौड़ी हो गयीं और वह बिलबिलाने लगा। और फिर घुटनों के बल गिर कर छटपटाने लगा। अब उन्हें अघोर के पीछे वासू नजर आया। जिसने अघोर की पीठ के नीचे कमर पर कुछ पकड़ रखा था और दांत पर दांत जमाये जोर से भींच रहा था। बाकी तीनों ने जोश से हुर्रे का नारा लगाया और दौड़कर उनके पास पहुंचे। बाकी तीनों भी अघोर को पीटने लगे। दरअसल गर्भगृह से चलते समय चौलाई विकट नाथ ने उन चारों के कान में यह मंत्र फूँका था कि अघोर की कमर पर एक छोटी सी जन्मजात पूंछ है जो उसकी जादुई और शारीरिक शक्ति का केंद्र है। अगर किसी तरह तुम उसे पकड़ लो तो अघोर शक्ति हीन हो जाएगा फिर तुम उसके साथ चाहे जो कर सकते हो। तो जब अघोर वासू के तीनों साथियों पर प्रहार कर रहा था, तब वासू अन्धकार का लाभ उठाकर खिसक गया और झाड़ियों के पीछे से जाकर उसने अघोर की पूँछ पकड़ ली और बलपूर्वक उसे दबाने और मरोड़ने लगा और अघोर बलहीन होता गया। अंततः अघोर अचेत हो गया तब भी चारों उसे पीटते रहे और उसकी पूंछ मरोड़ते रहे। अंत में आसी ने देवी का खड्ग उठा कर अघोर का अंत करने की सोची तब तक चौलाई ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोले इस पापी के रक्त से अपने हाथ गंदे मत करो बच्चों! अब यह मृतप्राय ही है। देवी माँ ने इसके पापों की सजा दे दी। और चौलाई ने खड्ग लेकर अघोर की पूंछ काट दी। फिर बोले इसकी समस्त शक्तियों का अंत हुआ। अब यह आजीवन एक पालतू पशु की तरह सभी आज्ञाओं का पालन करेगा। 

फिर चौलाई आकाश की ओर देखकर बोले बच्चों! अब तुम चारों उत्तर दिशा की ओर शीघ्रता से प्रस्थान करो! भोर का तारा कभी भी डूब सकता है। 

आगे जाने पर एक नदी मिलेगी उसी में एक नाव है। उसमें बैठ जाना। कल्याण होगा। जल्दी जाओ। माँ कपालिका कृपा करें। 

चारों ने एक बार फिर प्रणाम करके चौलाई का आशीर्वाद लिया और शीघ्रता से चल पड़े। नियत स्थान पर उन्हें नाव दिखी जिसमें बैठते ही वह स्वयं इन्हें लाकर दूसरे तट पर छोड़ गई जहां से इन्हें अपना जाना पहचाना मार्ग मिल गया। ये सुबह सबेरे सकुशल घर पहुँच गए और रहस्यों से भरी वह रात ख़त्म हुई।।

                                 

                        समाप्त 

 

 


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