रचना
रचना
रचना तुमने सबके लिए किया, आज तुम अकेली हो गई, नहीं
मैं अकेली नहींं मेरे साथ इतने सारे बच्चे हैं।
लोग हमेशा कहते हैं अपनी औलाद होने चाहिए मगर मुझे इस बात का कभी एहसास ही नहींं हुआ जब मुझे बच्चा नहींं होता था तो लोग ताने मारते थे न जाने मैंने कितनी मनते मांगी। दिन-रात रट लगा रखी थी ईश्वर, मुझे अपना बच्चा दे दो,
ईश्वर ने तुम्हारी सुन ली ना, शादी के 15 साल बाद तुम्हें एक बच्चा हुआ, हां
रचना तुम सिर्फ अपने लिए नहींं तुमने तो कई लोगों के लिए काम किया है।
कितने बच्चों को तुमने सहारा दिया, कितनों को शिक्षित किया कितने बेघर लोगों मदद की, कितनी गरीबों का इलाज कराया, तुम्हें देखकर कभी-कभी मुझे हैरानी होती थी कहां से मिलती है। तुम्हें इतनी शक्ति मैं खुद नहींं जानती शायद लोगों का आशीर्वाद था
पति के कहने पर मैंने बेटे को तो विदेश भेज दिया मगर आज भी लगता है काश वो देश में रहकर देश के लिए कुछ करता पैसे भेजता था मैंने तो मना कर दिया कर दिया मेरे पास ईश्वर का दिया सब कुछ है न जाने कैसी बरकत है आज तक मुझे किसी से मदद देने की जरूरत ही नहींं पड़ी जब पति से तो दिन-रात पैसे कमाने की हाय हाय करते, उन्होंने मुझे सब कुछ सिखा दिया मैं उनकी बिजनेस में मदद करती थी।
बहुत बड़े स्तर पर हम काम करते थे शायद इसलिए स्वास्थ्य का ध्यान ना दे सके और बहुत कम उम्र में मुझे अकेला छोड़ कर चले गए उनके बिना मैंने पुरे काम को संभाला एक मुकाम तक पहुंचा दिया आज हजारों लोगों संस्था में काम करते हैं।
तुम बेटे के पास विदेश क्यों नहींं चले जाती, नहींं, यह बच्चे मुझे अपनी मां की तरह प्यार करते हैं। मैं छोड़ कर नहींं जा सकती मेरा खुद का लगाओ इन बच्चों से बहुत है ।
क्योंकि मैं भी एक अनाथ थी और मेरे मां-बाप ने मुझे शिक्षित किया एक मुकाम तक पहुंचाया पति का मां-बाप को गए कई साल हो गए मगर उनके साथ बिताया गया समय उनके दिए गए संस्कार आज मुझे हर पल सबके लिए काम करने के लिए प्रेरणा देते हैं अगर मैं विदेश जा जाऊंगी तो शायद अपनी बेटे के लिए ज्यादा कर पाऊंगी मगर अपने देश में अपनों के बीच में ज्यादा कुछ कर सकती हूं बच्चों के लिए विदेशों में इतनी जरूरत ही नहींं जितनी हमारे देश में नहींं बच्चों को शिक्षित करके योग्य बनाना चाहती हूं ताकि यह भी देश के लिए कुछ कर सकें तभी मेरा जीवन मुझे सार्थक लगेगा
तुम्हारा जीवन तो वैसे ही सार्थक है तुमने इतने बच्चों को पाला है नहींं नहींं पालने वाला तो ईश्वर में तो सिर्फ एक माध्यम हूं
मुझे लगता है कि शायद तुम से सीखने और तुम्हारे साथ रहने की मुझे ज्यादा जरूरत है ज्यादातर लोग सिर्फ अपने परिवारों तक सीमित हो जाते हैं मेरा बेटा, मेरी बेटी, मेरा बहू करते रहते वह तुम्हें देखकर लगता है जीवन अपने लिए नहींं दूसरों के लिए होना चाहिए तुमने एक नहींं हजारों को पाला है
हैप्पी बर्थडे रचना कितने सालों बाद हम मिलेहै नहींं तुम हर साल में जन्म दिन में आती हो
फोन की घंटी बजती है रचना दौड़ती है जानती हूं बेटे का फोन होगा आज मेरा जन्मदिन है ना
मां तुम्हारे लिए गिफ्ट है।
क्या गिफ्ट है बताओ।
डोरबेल बजती है।
और रचना दौड़ कर जाती है, सामने बेटा खड़ा रहता है।
रचना बहुत खुश होती हैं और रंजीता की बहुत साल बाद मुलाकात होती है।
कैसे हैं आंटी।
तुम अचानक इंडिया कैसे आ गए मैं जानता हूं आप तो चाहती थी और मैं भी चाहता था कि मैं आपके साथ रहूंगा आप नहींं आए तो मैं ही आ गया और दोनों खूब हंसते हैं।
मां मैं भी आपकी तरह बनना चाहता हूं, देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ।
रचना बहुत खुश होती है।
कुछ दिनों बाद एक कोचिंग सेंटर खोलता है सेम न केवल शहर बल्कि आसपास के गांव के बच्चे को आने की सुविधा मिलती है और वे निशुल्क वहां शिक्षा प्राप्त करते हैं इस तरह रचनऔर सेम ने मिलकर कई लोगों के जीवन को बदला और आज उन सबके गुरु दक्षिणा का दिन था और एक संकल्प लिया गया कि हम भी बस कुछ लोगों की जिम्मेदारी किसी के जीवन को बनने का संकल्प लेंगे अच्छी शिक्षा अच्छा स्वास्थ्य उन्हें देंगे।
रचना कहती मां मेरी अक्सर कहती थी अगर तुम्हारी वजह से किसी का भी जीवन सुधर गया या उसके जीवन में खुशियां आए तो तुम्हारा जीवन सार्थक है।
खुश नहींं मेरी गुरु दक्षिणा होगी या आप भी किसी के जीवन को सुधारो आज की फेयरवेल पार्टी तभी सार्थक होगी ।
रंजीता कहती है ईश्वर ने जीवन तुम्हें दूसरों के रचना के लिए दिया होगा तुमने अपने नाम को सार्थक कर दिया रचना और दोनों सहेलियां खूब हंसती है।
और सब बच्चों के साथ एक सेल्फी लेती है।
