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Saroj Verma

Tragedy

4  

Saroj Verma

Tragedy

रौशनी का शहर...

रौशनी का शहर...

4 mins
200

मुम्बई शहर,जिसे कभी ना रूकने वाला शहर कहा जाता है,जहाँ की रौशनी पल भर के लिए भी बंद नहीं होती,रात का समय और समुद्र का किनारा__

 आज रूद्राक्ष बहुत ही खुश था,आज स्निग्धा ने उससे शादी के लिए हां जो कर दी थीं, कितने सालों से वो इसी पल का इंतज़ार कर रहा था, आखिर आज ही वो खुशी का दिन है, इसलिए इस पल को अकेले ही खुद के साथ सेलिब्रेट करना चाहता था, इसलिए ऑफिस से लौटते हुए एक बीयर की बोतल ख़रीदीं और समुद्र के किनारे आ पहुंचा।

 उसने साइड में अपना ऑफिस बैग रखा और बैठ गया जूते उतार कर, समुद्र से उठता ठंडी हवा का झोंका उसको तरोताजा कर जाता,चांद की रोशनी और तारों की जगमगाहट उस पल को और भी खूबसूरत बना रहा था, रूद्राक्ष बस उस पल को अपने भीतर समेट लेना चाहता था, तभी उसने अपनी बीयर की बोतल ख़रीदीं और बस खोलने ही वाला था कि एक अधेड़ उम्र की महिला ने पास आकर कहा___

अगर आपको ऑब्जेक्शन ना हो तो, मैं यहां बैठ सकती हूं।

हां... हां...क्यो नही!! रूद्राक्ष ने उस महिला से कहा।

उस महिला ने कुछ लोंग सी स्लीपलेस लाल रंग की मिडी पहन रखीं थीं,स्टेप्स कटिंग में कटे उसके बाल हवा में इधर-उधर बिखरे रहे थे,कानों में छोटे इयरिंग्स और गले में पतली चेन पहन रखी थीं, धनुषाकार काले पेंसिल से रंगी भौंहें और होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी।

 उस महिला ने भी अपने हाईहील्स उतार कर साइड में रख दी दिए, अपने ऑफिस बैग से एक बीयर की बोतल निकालकर ढ़क्कन खोला और एक घूंट पीकर रूद्राक्ष से बोली__

 आप भी लेंगे..!!

रूद्राक्ष बोला__ मेरे पास है।

उस महिला ने कहा, आपको भी कोई ग़म है क्या?

अरे.. नहीं!! मैं तो खुशी से पी रहा हूं, रूद्राक्ष हंसते हुए बोला।

ओह... सो सॉरी!! मैं शैली आहूजा,उस महिला ने कहा।

मैं रूद्राक्ष नवलानी, रूद्राक्ष ने उस महिला से कहा।

अच्छी बात है, कोई तो खुशी में पी रहा है,एक मैं हूं जो ग़म ही नहीं मिटते, शैली बोली।

क्या? मैं आपके ग़म की वजह जान सकता हूं,अगर आपको कोई परेशानी ना हो तो, रूद्राक्ष ने शैली से कहा।

 और क्या हो सकता है?ब्रेकअप!! आज एक और ब्रेकअप हो गया, जबसे पैदा हुई हो,यही देख रही हूं, शैली बोली।

ऐसा क्या हुआ है आपके साथ,जरा खुलकर बताइए, रूद्राक्ष बोला।

 मैं जिसे चाहती थी,आज उसने किसी और से शादी के लिए हां कर दी है, शैली बोली।

उसने आपके साथ बेवफाई की, रूद्राक्ष ने शैली से पूछा।

हां,आज सातवीं बार मेरा ब्रेकअप हुआ है, शैली बोली।

वो, कैसे ? अगर आप मुझसे अपना दर्द बांटेगी तो हो सकें, आपको कुछ राहत मिल जाए, रूद्राक्ष ने शैली से कहा।

सब बताती हूं, सबसे पहले अपने माता-पिता से ब्रेकअप हुआ क्योंकि मैं कम उम्र में शादी नहीं करना चाहती थी,अपना कैरियर बनाना चाहता थीं,घर छोड़ दिया मैंने, ये था मेरा पहला ब्रेकअप, फिर मुझे किसी से प्यार हुआ,वो मुझसे शादी तो करना चाहता था लेकिन मेरा बाहर काम करना उसे पसंद नहीं था,तब मैंने उसे छोड़ दिया,ये था मेरा दूसरा ब्रेकअप, फिर जिस कम्पनी में काम करती थी, उसके मालिक से भी मेरे रिलेशन हो गए लेकिन वो पहले से शादीशुदा था, उसने मुझे धोखा दिया,इस वजह से मुझे तीसरी बार ब्रेकअप करना पड़ा, फिर किसी ने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया, मैंने हां कर दी और शादी हो गई, कुछ सालों तक सब ठीक ठीक-ठाक चलता रहा, हमारे दो बच्चे भी हुए लेकिन उनका उनकी सेक्रेटरी से अफेयर हो गया,मेरे ब्रेकअप का ये था चौथा कारण, कुछ दिनों बाद बच्चे बड़े हो गए फिर उन्हें मेरे साथ रहने में दिक्कत होने लगी,ये था मेरा पांचवां ब्रेकअप, फिर एक बार मुझे अपने से छोटे व्यक्ति से प्यार हुआ लेकिन उसने मुझे सिर्फ पैसों के लिए इस्तेमाल किया, लेकिन मैं ने उसे दिल से चाहा ,समाज और ऑफिस ने भी मुझे बहिष्कृत कर दिया,ये था मेरा छठवां ब्रेकअप और आज उस लड़के को पसंद की लड़की मिल गई, उसने उससे शादी के लिए हां कर दी,इस तरह आज मेरा सातवां ब्रेकअप हो गया, कभी कभी हमारी महत्वाकांक्षा हमारा सुख चैन, रिश्ते दार, घर परिवार, बच्चे सब छीन लेती हैं,जिस मन की शांति के लिए हम महत्त्वाकांक्षी बनते हैं वो शांति ही हमें नहीं मिलती,रह जाता है तो सिर्फ़ अकेलापन और सबसे ब्रेकअप,शैली ने दुखी होकर एक घूंट बीयर का अपने मुंह में भरा और अपने आंसू पोंछे।

उस रात बस रूद्राक्ष समुद्र के किनारे बैठे बैठे शैली की बातें सुनता रहा और मन में सोचता रहा कि ऐसी बातें मेट्रो सिटीज में होतीं हैं, जिन्हें रौशनी का शहर कहा जाता है।


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