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Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Drama Classics Inspirational

राष्ट्र प्रेम

राष्ट्र प्रेम

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आज सुबह से ही दादाजी मासूम अनय को कुछ परेशान से दिख रहे थे। जब उसने अपने दादाजी से इसका कारण पूछा तब उन्होंने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, कुछ नहीं बेटा बस मेरी एक पुरानी सन्दूक कहीं मिल नहीं रही है।

उनकी बात सुन अनय ने फिर जिज्ञासावश पूछा, उसमें आपकी कोई कीमती चीज रखी थी दादाजी।

और दादाजी के स्वीकृति में सर हिलाते ही अब अनय भी भिड़ गया उनकी सन्दूक को खोजने में।

और देखते ही देखते वो स्टोररूम से उनकी वो सन्दूक खोज लाया।

उसे पाकर दादाजी के चहरे की खुशी देख, अब अनय की उसे खोलकर देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।

फिर दादाजी ने उसमें से अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज निकाला। और फिर सारा परिवार एक जगह इकट्ठा हो, आज गणतंत्र दिवस पर बड़े आदर से उसे सलामी देने लगा।

सलामी देते मासूम अनय गर्व भरी निगाहों से कभी उस तिरंगे को, तो कभी सीमा पर शहीद हुए अपने वीर पिता की, दीवार पर लगी तस्वीर को देख रहा था।


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