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Sumit Mandhana

Fantasy

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Sumit Mandhana

Fantasy

" रामायण इन महाभारत "

" रामायण इन महाभारत "

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जब द्रोपदी का चीर हरण हो रहा होता है तो वह केशव को मदद के लिए पुकारती है। लेकिन केशव से पहले प्रभु श्री राम द्रोपदी की पुकार सुनकर वहां आ जाते हैं।  

वे आकर दुर्योधन से कहते हैं, हे श्रेष्ठ गदाधारी दुर्योधन, तुम्हारे जैसे वीर को ऐसा कार्य शोभा नहीं देता । मैं दशरथ नंदन राम तुमसे यही प्रार्थना करता हूं कि तुम इतना घिनौना नीच अपराध मत करो । दुशासन मैं तुम्हें आदेश देता हूं, द्रौपदी को छोड़ दो। अन्यथा तुम्हें इस बात के लिए मैं दंडित करूंगा।लेकिन वो उनकी बात को अनसुनी कर देता है। इस बात से क्रोधित हो कर भगवान श्री राम अपना बाण निकालते हैं । उसे अभिमंत्रित करके दुशासन पर पर चलाते हैं और एक ही बाण में दुशासन की मृत्यु हो जाती है।   

यह देखकर दुर्योधन भगवान राम पर क्रोधित हो जाता है और क्रोध में वह अपनी गदा प्रभु श्रीराम पर फेंक देता है। तभी हनुमान जी उड़ते हुए आते हैं और गदा को जोर से लात मारते हैं । गदा जाकर सीधी शकुनी मामा को लगती है और लंगड़े शकुनी मामा का दूसरा पैर भी खराब हो जाता है ।   

इस बार कर्ण अपनी शक्ति का प्रयोग करता है और भगवान राम पर बाण चलाता है । तब श्री कृष्णा अपने सुदर्शन चक्र से उसके बाण को काट देते हैं ।फिर हनुमान जी एक हाथ में दुर्योधन को और दूसरे हाथ में कर्ण को पकड़कर हवा में उड़ने लग जाते हैं और दोनों को समंदर में फेंक देते हैं । दोनों हमेशा के लिए उसमें डूब जाते हैं ।   

द्रोपदी केशव से कहती है ," हे वासुदेव जब मैंने तुम्हें पुकारा तब तुम नहीं आए । लेकिन अब कैसे आ गए? तब केशव कहते मै ही आया हू बस रूप अलग है। कभी राम, कभी कृश्ना, कभी परशुराम सभी मैं ही हू ।

     सच्चे हृदय से जो भी मुझे बुलाता है, मैं उसी समय अपने भक्तों की सहायता करने के लिए या तो स्वयं आ जाता हूं या किसी को भी भेज देता हूं। मेरे अनंत रूप है । अनेक नाम है 

अंत में हनुमान जी कहते हैं , "माते ! मैं उस समय यहीं पर उपस्थित था। प्रभु श्री राम के आने से पहले ही मैं चाहता तो इन सभी को मार सकता था । लेकिन इसमें मेरे प्रभु का यश घट जाता । इसलिए मैं दूर शांत खड़ा था। "  

यह सुनकर द्रोपदी प्रभु श्री राम , कृष्ण और हनुमान तीनों से क्षमा मांगती है और पांचो पांडव के साथ पुष्पक विमान में बैठकर शबरी मैया के दर्शन करने अयोध्या चली जाते हैं। 

     तभी जोर से चिल्लाने की आवाज आई अरे सुबह के 10:00 बज गए उठ कितना सोएगा । लॉक डाउन चल रहा है तो क्या पूरा दिन सोता रहेगा ?? मम्मी ने मुझे जोर से हिलाकर जगाया , तो पता चला मैं सपना देख रहा था!।  धत्त तेरे की!! तभी मैं सोचू ये सब क्या हो रहा है?

     अब क्या करें दोस्तों लॉकडाउन में दिनभर रामायण  और महाभारत ही देखते रहते है  तो रात को सपने भी यही आते हैं । चलो अच्छा  है यह एक सपना था, फिर तो कोई बात नहीं । वरना मैं तो सोच कर परेशान हो गया था कि यह क्या हो रहा है। 



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