राजकुमार की कन्या की बेटी
राजकुमार की कन्या की बेटी
एक बार की बात है, एक राजा शिकार करने के लिए वन में गए, एक हिरण को देख कर उन्होंने अपने घोड़े को उसके पीछे दौड़ाया | हिरण की पीछा करते हुए उस कन्या ने राजा को आम मुसाफिर समझ कर एक खाट लाकर डाल दी और बैठने के लिए कहा तथा जल का एक ग्लास लाकर राजा के हाथ में थमा दिया राजा ने देखा की पानी में तिनके पड़ें हुए हैं, जिनको देख कर राजा को बहुत क्रोध आया और उसी आवेश में आकर उस कन्या से कहेने लगे की ” तुम्हारे पिता कहाँ हैं ? कन्या ने उत्तर दिया ” मिटटी को मिटटी में मिलाने गए हैं.उनके बाकी के साथी उनसे पीछे ही रहे गए |राजा को लड़की पर और ज्यादा क्रोध आया, परंतु प्यास लगी थी, जल पीना था, इसीलिए राजा ने क्रोध को दबा कर कहने लगे की और साफ जल लाओ, वह कन्या जल लाने के लिए फिरसे झोपडी के अंदर गयी,इतने में ही उस लड़की का पिता भी वहां आ गया, उसने तुरंत राजा को पहेचान लिया और उसने प्रणाम किया राजा को और कहने लगा की “हुजुर आप एक गरीब की झोपड़ी में कैसे पधारे ? राजा कहेने लगा की में शिकार के लिए वन में आया था, अपने साथियों से बिछड़ कर दूर आ गया हूँ, मुझे बहुत जोर की प्यास लगी थी, यहाँ तुम्हारी कन्या से मैंने जल माँगा, तब तुम्हारी कन्या जल में तिनके डाल कर ले आई, जब मैंने तुम्हारे बारे में पूछा तो उसने कहा की “मिटटी को मिटटी में मिलाने गए हैं”.