Vandana Bhatnagar

Comedy Drama

5.0  

Vandana Bhatnagar

Comedy Drama

राज़ की बात कह दूँ तो

राज़ की बात कह दूँ तो

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डोरबैल सुनकर वृंदा दरवाज़ा खोलने गई तो सामने अपनी तीनों सहेलियों को देख कर उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा। वृंदा उन्हें देखकर बोली- अगर आज भगवान से कुछ और भी माँगा होता तो शायद वह भी मिल जाता।

हाँ हाँ बना ले बात अब हमें देख कर, मृणाली बोली।

अरे अब अंदर आने को भी कहेगी या यहीं खड़ा रखेगी, ऐसा कहकर वीथिका ने वृंदा की कमर पर धौल जमाया।

तुम्हें कब से इजाज़त की ज़रूरत पड़ गई, तुम तो डाका ही डाल देती हो, ऐसा कहकर आर्या ने कहकहा लगाया।

फिर सब अंदर आकर सोफे पर धम्म से बैठ गए।

वृंदा बोली- शादी के बाद कितना बदल गए हैं हम सब। पहले कहाँ धमा चौकड़ी मचाते घूमते रहते थे, कहाँ अब अपनी घर गृहस्थी में ही रम गए हैं।

मृणाली बोली- सबसे ज्यादा तो मैं बर्थडे पार्टी मिस करती हूँ, क्या हुड़दंग मचाते थे हम, घर से दूर हॉस्टल में।

वीथिका बोली- अब तो अपने हबी के साथ बर्थडे मनाती होगी, उसका भी अपना ही आनंद है।

यह सुनते ही मृणाली बोली- बस तूने तो दु:खती रग पर हाथ रख दिया।

क्यों भाई ऐसा क्या हुआ. सभी समवेत स्वर में बोले।

मृणाली बोली- शादी के बाद मेरा जब अपने मियां जी के साथ पहला बर्थडे पड़ा तो मैं सुबह से ही इस इंतज़ार में थी कि वह मुझे प्यार से बर्थडे विश करेंगे और खूबसूरत सा गिफ्ट भी देंगे पर उन्हें जनाब को तो मेरा बर्थडे याद ही नहीं था। सारा मूड ऑफ हो गया था। रात को जब ऑफिस से आए तो बस मैं तो बेमौसम बारिश की तरह बरस पड़ी।

मेरी बात सुनकर वह बोले- अगर तुम सुबह ही बता देतीं तो कुछ प्लान कर लेते।

मृणाली की बात सुनकर सब हँसने लगे।

वीथिका बोली- तेरी शादी को तो अभी साल भर ही हुआ है पर मेरी शादी को तो छः साल हो गए हैं और अब तक मेरे पतिदेव को मेरा बर्थडे याद नहीं हुआ है। जब रिश्तेदारों के फोन आने लगते हैं तब महाशय को पता चलता है और फिर सॉरी सॉरी करके मेरे आगे पीछे घूमते रहते हैं और एक की जगह अनेक गिफ्ट की पेशकश करते हैं। मुझे तो मन ही मन उनकी हालत देखकर हँसी आती रहती है पर सामने से मुँह गुब्बारा सा फुला लेती हूँ।

आर्या बोली- यार बर्थडे तो बहुत से लोग भूल जाते हैं पर तुमने ऐसे इंसान के बारे में भी सुना है जो अपनी मैरिज एनिवर्सरी भी भूल गया हो।

क्या ? आर्या की बात सुनकर सब ऐसे चिल्लाए जैसे कोई अनहोनी हो गई हो।

हाँ मेरे मिस्टर सबसे अलबेले हैं और कहते हैं अपने शहीद होने की तारीख कौन याद रखता है भला पर मैं भी उनका खाना पीना और बोलचाल बंद कर देती हूँ तब जाकर उन्हें माजरा समझ में आता है।

वीथिका बोली- लगता है वृंदा को ही बेस्ट पति मिला है जो सब याद रखता है और अच्छे से ख्याल भी रखता है तभी इतनी खिली खिली नज़र आ रही है। वृंदा बोली मैं तो एक महीने पहले से ही अपने बर्थडे एवं एनिवर्सरी के लिए शोर मचाने लगती हूँ। मैं तो अपने लिए गिफ्ट भी खुद ही खरीद लेती हूँ और पार्टी भी खुद ही ऑर्गेनाइज करती हूँ। खुद ही सबसे पहले अपने को विश करती हूँ। मैं किसी से अपेक्षा नहीं रखती कि कोई मुझे खुश रखे बल्कि अपने को खुश करने के तरीके खुद ही ढूंढती हूँ। वृंदा बोली- यह हम औरतों की कमज़ोरी है कि हम चाहते हैं कि दूसरा व्यक्ति हमें खुश रखे और यहीं से मन दु:खी और परेशान होने की नींव पड़ती है। अगर हम खुद को खुश नहीं रख पा रहे हैं तो हमसे ज्यादा दूसरा हमें क्या समझेगा। इसलिए बस अपने को खुश रखना सीखिए फिर देखिए दुनिया कितनी हसीन लगती है। वृंदा की बात सुनकर आर्या बोली भाई वाह क्या प्रवचन दिया और फिर सब ठहाके लगाने लगे।


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