Gulabchand Patel

Drama Classics

2.0  

Gulabchand Patel

Drama Classics

प्यारी बिजली

प्यारी बिजली

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 गोविंद नायक गाँव-गाँव में जाकर रामलीला और प्रादेशिक कहानी पर आधारित नाटक यानि कि भवाई करके अपना गुजारा कर रहे थेI उन्हें एक लड़का था, बचपन से ही उसे अपने साथ काम में लगा दिया थाI लड़के का नाम बलदेव था, वो सातवीं कक्षा तक पढ़ा थाI

 करीब पचास साल पहले की बात है, उनकी पत्नी बीमार रहती थी, लेकिन उसे देखने का समय गोविंद नहीं निकाल पाता थाI क्या करे, घर चलाने के लिए काम तो करना थाI धीरे-धीरे बलदेव बड़ा हो गया था, उसने भी नाटक में अपना योगदान देना शुरू कर दिया थाI गोविंद भाई अपने नाटक में स्त्रियों को स्थान नहीं देते थे, वैसे भी उस समय के दौरान महिलाएँ नाटक में काम करने के लिए राजी नहीं थींI इसलिए अपने भाई के लड़के को स्त्री का रूप देकर अभिनय कराया जाता था, लेकिन उसकी उम्र बढ़ती जा रही थी, उन्हें तलाश थी किसी स्त्री का रोल देने के लिए एक युवा लड़के कीI बहुत खोज की लेकिन कोई मिला नहीं, गोविंद चिंता में आ गया थाI बलदेव ने अपने पिताजी को उदास देखकर मन में निश्चय किया कि स्त्री का रूप धारण करके वो नाटक में अभिनय करेगाI उसके पिता ने बलदेव की बात सुनी तो उसे मना कर दिया, लेकिन बलदेव माना नहींI वो नाटक में लड़की के वेश में आकर अभिनय करने लगा, लोग उसे देखकर खुश हो गए, तालियाँ बजने लगीI विदूषक ने जब कहा कि, "मेरी प्यारी बिजली को क्यूँ देर हुई, अभी तक वो नहीं आई हैI" बलदेव का नाम लड़की के वेश में बिजली रखा गया था, आधे से ऊपर नाटक का भाग ख़त्म होने के बाद गाना शुरू हुआ, उसमें बिजली को ही लड़की की आवाज में गाना गाते हुए अभिनय करना था, उसे गाते हुए देखकर सभी लोग बहुत खुश हो गए, गाना काटने के लिए पैसे मिलते थे, पैसे वाले लोग पैसे देकर गाना कटवा कर नया गाना शुरू करवाते थे, इससे बहुत पैसे मिलते थेI

 एक लड़का बिजली की अदा पर मोहित हो गया था, जिस गाँव में बिजली नाटक के लिए जाती थी वहाँ वो लड़का संजय पहुँच जाता थाI उसने बिजली को बताया कि वो उससे बहुत प्यार करता है, बिजली ने कुछ नहीं कहाI एक बार फिर वो संजय बिजली से मिला और बताया कि, "मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँI" बिजली ने बहुत रोका लेकिन संजय जिद पर आ गया, उसने बिजली को साफ साफ कह दिया कि शादी तुमसे ही होगीI बिजली सोच में पड़ गई, उसने रात में संजय को अपने मेकअप रूम में बुलाया और कहा कि, "देख, मैं बिजली नहीं बलदेव हूँI" संजय होश खो बैठा, बिजली यानि कि बलदेव को लड़के के वेश में देखा तब उसने बिजली का पीछा छोड़ दियाI



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