कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Inspirational

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance Inspirational

प्यार परिवार का

प्यार परिवार का

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वंदना और अवि एक दूसरे को बहुत पसंद करते-करते एक दूसरे पर दिल हार बैठते थे पर वंदना यूं ही आम लड़की नहीं थी उसे अपने नैतिक मूल्यों पर अटल रहने वाली लड़की थी और यही मिलती जुलती खूबियां उसने अवि में देखीं थीं जिससे उसकी दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदल गई फिर भी वह अवि को हर तरह से परखना चाहती थी इसलिए एक दिन जब वो दोनों गार्डेन में घूम रहे थे तो वंदना ने अवि से पूछा प्यार और परिवार में से किसी एक को चुनना हो तो आप क्या करेंगे?


अवि ने कहा जीवन में परिवार और प्यार दोनों आवश्यक हैं, लेकिन यह आवश्यक है की हम परिवार को समझे और परिवार हमारे प्यार को।

प्यार और परिवार में से किसी एक को चुनने के पहले आइये समझते हैं प्यार और परिवार के बीच के नाज़ुक डोर को जिनमें इस प्रश्न के जवाब के लिए किसी एक को तोड़कर किसी एक के साथ जाना हैं।


परिवार मनुष्य के जीवन का बुनियादी पहलू है। व्यक्ति का निर्माण और विकास परिवार में ही होता है । परिवार मनुष्य को मनोवैज्ञानिक सुरक्षा प्रदान करते हुए व्यक्तित्व का विकास करता है । प्रेम, स्नेह, सहानुभूति , परानुभुति आदर सम्मान जैसी भावनाएं, धार्मिक क्रियाकलाप व नैतिकता सिखाता है। इसके अलावा बच्चों में संस्कार परिवार से ही आते हैं । महान विचारक प्लेटो ने कहा हैं कि परिवार मनुष्य की प्रथम पाठशाला है ।


प्यार एक गहरा और खुशनुमा एहसास है। जब किसी से प्यार होने लगता है तो रिश्ते के प्रारम्भिक दौर में अक्सर सिर्फ और सिर्फ़ सकारात्मक पहलू ही दिखतें हैं, और देखते ही देखते सातवें आसमान में महसूस करते हैं। वक़्त बीतने के साथ-साथ प्यार की 'शुरुआत' वाला एहसास पहले से गहरा और मजबूत होने लगता हैं। तात्पर्य हैं कि प्यार अलग अलग चरणों में विकसित होता है। पहले शारीरिक आकर्षण का दीवानापन, फिर स्वप्न लोक, फिर मजबूत लगाव और उसके बाद दौर आता है गहरे प्यार का जो अक्सर उम्र भर तक रहता है।


मेरी पहली पाठशाला जिसने मुझे दुनिया में लाने के साथ साथ इतने सारे गुणों से विभूषित कर इस लायक बनाया की हम प्यार के उस ख़ुशनुमा एहसास को महसूस कर सकें व प्यार के अलग अलग चरणों को पार कर सकें। उस परिवार को छोड़कर प्यार को चुनना भला कहाँ की बुद्धिमानी होगी।


इस प्रकार, मैं परिवार और प्यार में परिवार को चुनूँगा।


परिवार चुनने का आशय यह बिल्कुल नहीं हैं की मुझे प्यार की क़द्र नहीं है प्यार की क़द्र बिल्कुल हैं लेकिन पहले मिले प्यार की पहले (अर्थात परिवार का प्यार) उसके बाद इस प्यार और मेरी लगन के बल भरसक प्रयास कर परिवार की रजामंदी बनाने का प्रयास करूँगा अगर बन पायी तो हम साथ साथ अन्यथा ….


यह केवल मेरे लिए नहीं अगर मेरे प्यार का परिवार भी नहीं माना मेरे और ….. के रिश्ते को तो भी मैं उसे सलाह दूँगा कि आप अपने परिवार के साथ जाओ और मुझे भूल जाओ एक सुखद सपना समझकर…. आपका परिवार और परिवार का प्यार आपको मदद करेगा मुझे भूलने में।

यह सुनकर वंदना बहुत प्रभावित हो जाती है और अवि से शादी करके हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाते हैं और उनमें प्रेम निरंतर बढ़ता रहता है 


यह देख कर उनके पड़ोसी राकेश और रमा जो आपस में खूब झगड़ते रहते हैं उनको ईर्ष्या होती है

 एक दिन, झगड़ालू परिवार की पत्नी रमा ने शांत पड़ोसी परिवार से ईर्ष्या महसूस करते हुए अपने पति राकेश से कहा, “अपने पड़ोसी के वहाँ जाओ और देखो की इतने अच्छे तरीके से रहने के लिए वो क्या करते हैं।”


पति वहाँ गया, और छुप के चुपचाप देखने लगा।

उसने देखा कि एक औरत (वंदना) फर्श पर पोंछा लगा रही हैं। अचानक किचन से कुछ आवाज आने पर वो किचन में चली गई।

तभी उसका पति अवि एक रूम कि तरफ भागा। उसका ध्यान नहीं रहने के कारण फर्श पर रखी बाल्टी से ठोकर लगाने के कारण बाल्टी का सारा पानी फर्श पर फैल गया।

उसकी पत्नी वंदना किचन से वापिस आयी और अपने पति अवि से बोली, “आई एम सॉरी, डार्लिंग। यह मेरी गलती थी कि मैंने रास्ते से बाल्टी को नहीं हटाया।”


पति अवि ने जवाब दिया, ” नहीं डार्लिंग, आई एम सॉरी। क्योकि मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया।”

झगड़ालू परिवार का पति राकेश जो छुपा हुआ था वापस घर लौट आया। तो उसकी पत्नी रमा ने पड़ोसी की खुशहाली का राज पूछा।


पति राकेश ने जवाब दिया, “उनमें और हम में बस यही अंतर हैं कि हम हमेशा खुद सही होने कि कोशिश करते हैं… एक दूर को गलती के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। जबकि वो हर चीज़ के लिए खुद जिम्मेदार बनते हैं और अपनी गलती मानने के लिए तैयार रहते हैं।”


 दोस्तों एक खुशहाल और शांतिपूर्ण रिलेशन के लिए जरूरी हैं कि हम अपने अहंकार(Ego) को साइड में रखे और अपने स्वयं के हिस्से के लिए व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखे।


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