Anita Sharma

Drama Romance Classics

4.5  

Anita Sharma

Drama Romance Classics

प्यार का मिलन

प्यार का मिलन

6 mins
326


"हैलो अवंती कैसी हो ? अभी भी कविताएं लिखती हो कि सब भूल गई।,,

"मैं ठीक हूं पर आप कौन मैं आपको पहचानी नहीं"

अवंती ने आवाज पहचानने की कोशिश करते हुऐ कहा तो वहां से हंसने की आवाज के साथ एक नाम गूंजा...

"हा हा हा अरे मैं हूं अवंती राहुल यार तुम तो मुझे भूल गईं एक मैं हूं जो तुम्हे और तुम्हारी कविताओं को हमेशा याद करता हूं।,,

राहुल नाम सुनते ही अवंती खुश होते हुऐ बोली.....

"अरे वाह राहुल इतने दिनों बाद कैसे हो?सुनैना कैसी है?मेरा नंबर कहां से मिला।,,

"अरे बस-बस पहचानते ही इतने सवाल बस तुम्हारी याद आई तो खोज ही लिया नंबर।सुनो न कोई एक कविता सुना दो न।,,

राहुल ने बड़े ही प्यार से मनुहार की तो अवंती तो जैसे फोन पर ही शर्मा गई फिर कुछ याद कर सुनाते हुऐ बोली.....

बड़े दिनों बाद मौसम कुछ बदला है,

दोस्त की आवाज सुनकर कॉलेज का जमाना याद आया है।,,

"वाह वाह!!वाह वाह!! अब तो रोज याद कीजिए वो जमाना क्योंकि मैं अब रोज ही आपको फोन करने वाला हूं और तुमसे रोज एक कविता सुनूंगा तो रोज एक लिखकर रखना समझी।,,

राहुल ने बड़े ही अधिकार से अवंती से कहा तो वो कुछ बोल ही नहीं पाई।राहुल ने वहां से फोन काट दिया था।अवंती कुछ देर तक यूं ही अपने फोन को देखती रही जैसे गुजरे सारे पल फोन में ही चलने लगे थे......

"अवंती तुम एक कागज पर कुछ अच्छा सा लिख दो न जिसे पढ़कर सुनैना मेरे प्यार को तुरंत एक्सेप्ट कर ले,,

उस वक्त राहुल की ये बात सुनकर अवंती को यूं लगा था जैसे किसी ने उसके कानों में पिघला शीशा डाल दिया हो।जो बात वो राहुल से खुद कहना चाहती थी राहुल वही बात उसकी सबसे अच्छी सहेली सुनैना से कहना चाहता था। ऐसा लगा अवंती को अभी राहुल के गले लग कह दे कि वो उससे प्यार करती है पर नहीं कह पाई थी वो बस उसके कहे अनुसार एक कविता लिखकर पकड़ा दी थी राहुल को।और चली आई थी अपने दिल के टुकड़े अपने अंदर समेटे।

फिर उसकी लिखी कविता राहुल का सुनैना को सुनाना और उसका मान जाना सब उसे फोन पर ही पता चला था।उसने तो कॉलेज जाना ही छोड़ दिया था। बस लास्ट में पेपर देकर शांति से निकल आई थी उस शहर से बिना किसी को कुछ भी बताये।कभी डी डी एल जी बड़े मनसे देखती थी तब ये नहीं पता था कि उसकी जिंदगी भी उसी की नायिका की तरह हो जायेगी।

कॉलेज खत्मकर अवंती ने नौकरी के लिऐ ट्राई किया पर कहीं बात नहीं बनी।बनती भी कैसे मन तो लेखन में लगा था तो फिर वहीं मन रमा लिया।आज वो कई गीतों की कई उपन्यासों की लेखिका थी।मम्मी पापा ने उसकी शादी भी करवानी चाही थी पर एक तो अवंती के मन को कोई भाता नहीं था दुसरा एक लेखिका से कोई शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि सभी को लगता कि लड़की लेखिका है तो अपने में ही खोई रहेगी किसी और पर क्या ध्यान देगी।बस इसीलिए वो अभी तक अकेली ही थी।माता पिता के रोज रोज परेशान होने की वजह से वो चली आई थी उनके पास से भी अब वो और उसकी लेखनी अक्सर तन्हाई से बातें करती थी जिसमें निकलती थी उसकी तड़फ जो सभी को बहुत पसंद आती थी।

आज जब राहुल का फोन आया तो एकबार फिर से उसकी दिल की धड़कने बड़ गई थी उसे लग रहा था कि वो दोबारा उसे फोन करे और वो सारी कविताएँ सुना दे जो उसने उसे याद करते हुऐ न जाने कितनी रातों में जाग कर रोते हुऐ लिखी थी।पर वो नहीं कर सकती थी ऐसा क्योंकि वो जानती थी कि राहुल उसे नहीं सुनैना से प्यार करता था।

अभी वो अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में सोच ही रही थी कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई।उसने दरवाजा खोला तो सामने सुनैना खड़ी थी।जिसे देखकर अवंती चौकते हुऐ बोली ....."सुनैना तुम तुम्हे मेरा पता किसने बताया ?अभी राहुल का फोन आया अभी तुम..? ये चल क्या रहा है ये तुम लोग सरप्राईज देकर मारोगे क्या आज मुझे?

सुनैना अंदर आते हुए बोली..."कैसी दोस्त हो यार तुम हम पूरे पांच साल बाद मिल रहे है और तुम खुश होने की वजह सवाल पर सवाल किये जा रही हो। एक तो तुम कॉलेज के बाद गायब हो गई ।तुम्हारे घर पर पता किया तो पता चला तुम्हारे पापा का ट्रांसफर हो गया तुमने कोई कॉन्टेक्ट नंबर भी नहीं छोड़ा ।वो तो उस दिन मैं अपनी मां के कहने पर मंदिर गई थी वही आंटी जी ( अवंती की मां) मिल गईं उनसे तेरा फोन नंबर और एड्रेस लिया तब आज तुझसे मिलने आई हूं।,,

"तो तूने ही राहुल को मेरा नंबर बताया होगा वो भी आया है क्या तुम्हारे साथ?,, अवंती ने अपने दिल के हाथों मजबूर हो सारे सवाल एक साथ कर दिए फिर खुद ही झेपते हुऐ बोली .. मेरा मतलब है कि तुम दोनों तो साथ ही रहते हो न साथ ही आए होगे,,?

"जी नहीं मैडम हम साथ नहीं रहते,कभी भी नहीं रहे,,

सुनैना बोली तो जैसे अवंती को झटका लगा और आश्चर्य से आंखे फाड़ते हुऐ पूंछा.." मतलब"

"मतलब हम कभी साथ रहे ही नहीं कॉलेज में एक दूसरे के साथ कुछ वक्त बिताया तो पता चला हम दोनों के विचार ही नहीं मिलते थे,उसे हर जगह हर चीज में जिन्दगी दिखती थी,और मुझे जिन्दगी में भी किसी बिमारी को समझने का मौका दिखता था। इसलिये मैं राहुल को छोड़कर डॉक्टर बन गई और राहुल बच्चो को नई दिशा नई सोच देने वाला टीचर।

यार हम दोनों एक दूसरे के लिऐ बने ही नहीं थे ।

वो तो मेरे साथ रहते हुऐ भी तुम्हे याद करता था हर बात में तुम्हारी लिखी कोई लाइन पढ़कर। मुझे तो लगा कि अब तक तुम दोनों ने शादी कर ली होगी क्योंकि दोनों बिल्कुल एक जैसे जो हो।पर उसदिन आन्टी से पता चला की तुमने अभी तक शादी ही नहीं की ये सुनते ही मुझे सारा माजरा समझ आ गया कि अभी तक राहुल से तुम मिली ही नहीं हो ? सच्चा प्यार करती थी न उससे बस मेरे लिऐ छोड़ दिया था न उसे,, सुनैना ने अवंती को छेड़ते हुऐ कहा तो अवंती हंसने की जगह रोते हुऐ बोली....

जब तुम दोनों ने शादी नहीं की तो राहुल इतने दिनों तक मुझसे मिला क्यों नहीं क्या किसी और से शादी करली उसने..?

तभी पीछे से आवाज आई ..."कैसी बातें करती हो अवंती जब मैं तुम्हारे प्यार की वजह से सुनैना संग न रह सका तो किसी और के संग कैसे रह सकता था। पर अब रहना चाहता हूं तुम्हारे संग क्या तुम मुझसे शादी करोगी?

अवंती ने पीछे मुड़कर देखा राहुल घुटनों पर बैठ उससे शादी के लिऐ पूंछ रहा था।तभी अवंती की मां जो राहुल के संग ही आईं थी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुऐ बोला....

" हां बोल दो बेटा राहुल पूरे पांच साल तुम्हे खोजने के बाद तुम तक पहुंचा है। जिन्दगी ने तुम्हे तुम्हारे प्यार से दोबारा मिलाया है तो अब इतना मत सोचो बिटिया ।,,

अपनी मां की बात मान अवंती ने राहुल का हाथ थाम लिया और आंखें बंद कर बोली....

नहीं सोचा था कभी बंद आंखों के ख्वाब

एक दिन खुली आंखों से दिख जायेंगें,

जिसे बिठा रखा था मन मंदिर में वो

यूं सामने आ मेरी बांह थामेंगें।

वाह-वाह करते हुऐ सुनैना और उसकी मां वहां से दूसरे कमरे में चले गए। और राहुल ने अवंती को अपने आगोश में भर लिया आज वर्षों बाद दो प्रेमियों का मिलन हुआ था वो भी हमेशा के लिऐ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama