प्यार भरे लम्हें
प्यार भरे लम्हें
"कामनी अनिल आया है। जरा चाय, वाय कुछ पिला दो"! ऋतिक ने अपनी बीवी कामनी को आवाज दी।
कामनी बिना कुछ बोले चाय टेबल पर रख कर चली गई।
अनिल को कुछ अटपटा सा लगा क्योंकि अकसर जब भी वो आता था। कामनी भाभी मुस्कराते हुए। कैसे हो भैया? घर पर सब कैसे हैं? जरूर पूछती थी।
पर आज तो उन्होंने उसकी तरफ देखा भी नहीं। न ही उसकी नमस्ते का जबाव दिया। ऊपर से उसका दोस्त ऋतिक भी उदास सा लग रहा था।
तो अनिल ने पूछ ही लिया "क्या बात है ऋतिक सब ठीक है न। अगर कुछ बताने लायक हो तो तू मुझे बता सकता है।"
हो सकता है कि मैं तेरी कोई मदद कर सकूँ।
अनिल कि बात सुन ऋतिक मुस्करा कर बोला...... "अभी तो तेरी शादी नहीं हुई तू मेरी मदद क्या कर सकता है। फिर भी तेरे अनुभव के लिये बताता हूँ 'कि मेरी बीवी मुझ पर शक कर रही है, कि मेरा कहीं और अफेयर चल रहा है। "
अनिल एक दम आश्चर्य से बोला..... "पर ऐसा क्यूं लगा भाभी को। कुछ वजह तो होगी?? "
ऋतिक एकदम परेशान सा होकर बोला ...... " अरे यार कोई वजह नहीं है। उस दिन जब तुमने मुझे बुलाया था। जब तुम दीदी के घर जा रहे थे करवाचौथ
का शगुन लेकर। तो मैंने तुम्हें स्टेशन छोड़ा और वहाँ से सीधा घर आ गया।
पर पता नहीं कहाँ से मेरे ऊपर और कपड़ो में चमकीली किरकिरी लग गई। मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया था इसपर। पर तुम्हारी भाभी ने आते ही देख लिया। और पूछने लगी .. ...
"बड़ा चमक रहे हो ! ये कहाँ से लगा ली?? "
जब मैंने इस बारे में अनभिज्ञता दिखाई तो। तो इसी बात पर हमारी कहासुनी हो गई। तभी से कामनी मुझसे गुस्सा है।
अब कल करवाचौथ है। ये मेरे लिये व्रत रखेगी और मुझसे बात भी नहीं करेगी। समझ नहीं आ रहा कैसे अपनी बीवी की नाराजगी दूर करूँ?? "
ऋतिक की बात सुनकर अनिल हँसने लगा। और हँसते हुए चिल्लाया....."भाभी...भाभी...इधर आइये जरा। "
अनिल की आवाज सुन कामनी जल्दी से आई। और आते ही बोली.... "हां क्या हुआ भैया?? आप इतनी जोर से क्यूं चिल्लाये सब ठीक है न ?
अनिल हँसते हुए बोला.... " सब ठीक है भाभी जी। पर आप ये बताइये इस लंगूर की शक्ल देखकर आपको लगता है, कोई इसकी तरफ देखेगा?? वो तो आप थी, जो इसे पसन्द कर लिया वरना इसे तो कोई देखता भी नहीं था।"
अनिल की बात सुन कामनी रुआंसी होकर बोली.... "आप को पता नहीं भैया, ये मुझसे छुप कर किसी से मिलने जाते है। उस दिन इनके कपड़ों पर और पूरे बदन पर चमकीली किरकिरी लगी थी। जो लेडीस की चूड़ियों पर लगी होती है। "
ये बोलते - बोलते कामनी की रुलाई छूट गई।
उसको रोता देख ऋतिक उसे चुप कराते हुए फिर से एक बार समझाने की कोशिश करने लगा।
अनिल ऋतिक और कामनी की हालत देख कर खिलखिला कर हँसने लगा ।
उसको यूँ हँसते देख ऋतिक ने उसे गुस्से में घूरते हुए देखा और बोला.... "मेरी जान आफत में पड़ी है। और तुझे हंसना आ रहा है। "
अनिल अपनी हंसी को जबरदस्ती रोकने की कोशिश करते हुए बोला.... "सॉरी यार तुम लोगों की हालत देख मुझे हंसी आ गई। पर भाभी जी ऐसा कुछ नहीं जैसा आप सोच रही हैं।
उस दिन जब माँ बैग में दीदी के शगुन का समान रख रही थी तो चूड़ी की डिब्बी माँ के हाथ से वहीं सोफे पर छूट गई। जिससे उनकी चमकीली वहीं झड़ गई। और जब ऋतिक मेरे घर आया तो उसी जगह आ कर बैठ गया। तो वो चमकीली इसको लग गई। और जल्दी की वजह से मैंने भी इसपर ध्यान नहीं दिया।
आज जब इसने बताया कि आप उस दिन से इसपर शक कर रही है तो मुझे याद आ गया।
और दीदी की चमकीली चूड़ियों ने आप दोनों के चेहरे की चमक उड़ा दी ये सोच कर मुझे हंसी आ रही है। "
सच्चाई पता चलते ही कामनी के चेहरे पर एक मुस्कराहट तैर गई। और ऋतिक की तरफ देखते हुए बोली... "सॉरी मैंने आप पर शक किया। पर मैं क्या करती ये सोच कर ही मेरी जान निकली जा रही थी कि तुम्हारी जिन्दगी में कोई और भी है। "
कामनी को मुस्कराता देख ऋतिक हाथ जोड़ते हुए बोला... " शुक्र है भगवान का कि तुमने मुझसे बात की। अबसे मैं किसी के भी घर जाऊंगा तो दोनों हाथों से पहले सोफा झाड़ लूंगा फिर बैठूँगा ताकि तुम मुझसे कभी बोलना बन्द न करो।"
अब दोनों पति पत्नी के बीच चमकीली चूड़ियों का राज खुल गया था। तो अनिल भी उन्हें करवाचौथ की बधाई दे मुस्कराता हुआ वहाँ से निकल गया।
और ऋतिक और कामनी एक दूसरे को सॉरी बोल प्यार भरे लम्हों में खो गये।

