पूर्णम्म
पूर्णम्म
पूर्णम्म नामक एक लडकी गाव की एक निम्न वर्ग किसान की बेटी थी। वो बहुत सुंदर और बुद्धिसाली थी। हर रोज पढ़ने केलिए सरकारी स्कूल जाती थी,और शाम के वक्त अपनी माँ,बाप को सहायता भी करती थी। बचपन से ही वो बगुत श्रम से ही जीवन बिताती है।
वो बहुत सुंदर होने के कारण इस गाँव के जमींदार दूसरी शादी करने केलिए पूर्णम्मा के पिता सोमू स् पूछता है कि अगर आप अपने बेटी को मुझसे शादी करदिया है तो तुम्हारे कर्ज पूरी तरह से माफी करदूँगाऔर तुमको पैसा भी दूणगा बता दियी।
घर जाकर सोमू अपनी पत्नू से कहा था की पूर्णम्मा की शादी तय करने की समय आगई है। जमिंदार के हारे मेंं बतादिया। पहले माँ इनकार किया बाद में बेटी की भविष्य सोचकर हाँ बोलू। पूर्णम्मा सोलह उम्र का है तो जमिंदार चालीस वर्ष का है शादी धूम धाम से होगया।
पूर्णम्मा ससुराल आईथी जब देखहै तो बीस वर्ष का लडका उससे माँ कहकर आया था। दोनों एक माँ और बेटा की तरह नही रहकर दोस्तों क् जैसे हू रहा था। ये सब देखकर जमिमदार गुस्सा होकर बेटे को बाहर निकला। बाद में पूर्णम्मा अपने पति से हात किया और समझाया की हम दोनों दोस्त के जैसे रहने से आप क्यों चिंतित है, मैं आपका पत्नी हूँ और आपके बेटे मेरा बेटा ही है। आप अपने बेटे को बुलाइए तब ही अपना घर स्वर्ग बनेगा। अंत में परिवार में सभी लोगों सुखी जीवन बिताया।
