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Amita Dash

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Amita Dash

Abstract Tragedy Inspirational

पूनर्जन्म और मैं

पूनर्जन्म और मैं

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मेरी आदत ऐसा मैं कभी भूल नहीं करती हूं। एक बार कहीं भूल हो गया तो माफी मांगने में थकती नहीं हूं। बेचारा माफी देने वाला गुस्से में आकर माफ कर देगा। मुझे तो कई जन्मों का ऋण चुकानी थी इसलिए मैं बार बार जन्म लेता था। मेरे बेटे से मुझे माफी जो मांगनी थी।हम प्रति जन्म में मां, बेटा होकर पैदा होते थे। मैं उसे खुश नहीं रख पाती थी।वो बीच में छोड़कर चला जाता था। मैं उसके याद में घुट घुट कर ये याचना लेकर मरती थी कि अगले जन्म में मेरे बेटे को मेरे ही बेटे कर के भेजना भगवान जो में उसे माफी मांग सकूं। इसलिए हर जन्म हम मां, बेटे होकर पैदा होते हैं। मेरे पाप भारी पड़ जाता है।वो मुझे छौड़कर चला जाता है।जो मैं बार बार इस धरती पर आती हूं।

मेरे मन में कई जन्मों से घर करगया है मैं मेरे बच्चे के ऊपर बहुत जुल्म किया था। प्रायश्चित करने का अवसर दिया नहीं बिछड गया। उसी जन्म से मैं उसके साथ हर जन्म मां के रुप में आती हूं।मेरा गुनाह इतना बड़ा माफ़ किए बैगर फिर गुस्से में वो चला जाता है। कभी पैसे के लिए, कभी मेरे चरित्र के ऊपर सन्देह करके कुछ अनवन, कुछ दुर्घटना घटित हुई है।हर जन्म में वो बाप, बेटे मेरे पति और बच्चे रहे हैं। अनवरत झगड़ा घर को तोड के रखा है। दोनों बाप, बेटा मेरे से अलग हो गए हैं। अधूरा ‌आत्म ग्लानि लेकर पैदा होती हूं। समझाती हूं। फिर गड़बड़।फिर सत्यानाश। मैं उसे कहती थी भूतनी बनकर यहीं घर के पास‌ पेड़ में रहुंगी। तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी जब तक सुधर नहीं जाएगा। लेकिन इस बार भी पश्चाताप आग में जलाने के लिए छोड़ दिया।वो दुर्घटना में चल बसा।चार साल बाद उसके पुण्य तिथि को मैं कहीं श्राद्ध के लिए गई थी। पंडित तो मनाकर दिए थे वो शादीशुदा नहीं था।बाल बच्चे भी नहीं थे।

उसके लिए कुछ नहीं श्राद्ध कर्म होगा।मन की शांति के लिए, भगवान को पूछने के लिए कब मेरा पाप धूलेगा, मैं मेरे बेटे को मिल पाऊंगी इधर,उधर मन्दिर चली जाती थी।कब आएगा मुझे लेने के लिए ये पूछने के लिए मन्दिर, देवालय घूमती थी। इतना भी क्या पाप किया था हर जन्म में बाप बेटे, मेरे पति और बेटा बनके आते तो थे,बेटा बीच में छोड़कर चला जाता था।बाप घृणा करता था। प्रारब्ध शेष होने से पहले किस्मत और कुछ अगले जन्म के लिए इकट्ठा कर देता था। मैं सोच रही थी और नहीं सहा जाएगा। कहीं पवित्र धाम देखकर आत्म हत्या कर लूं। ऐसे जीने से अच्छा आत्महत्या कर के भूतनी बनजाऊं।इतने जन्म बित गया है ‌हम दोनों शान्ति से गुजार नहीं पाए । कहते हैं पापा, मम्मी की पाप बच्चे भोगते हैं। मैं उसे समझाने के लिए अभिलाषा रखती हूं, इसलिए उसको मेरे साथ जन्म लेना पड़ता है। नहीं मुझे कुछ नहीं कहना।वो और किसी मां के पास जाए जिंदगी जीएं। ऐसे सोचते सोचते आंख लग गई पता नहीं चला कब सुबह हो गई।

मैं नहा धोके जब मन्दिर के पास गई हु-ब-हू ‌मेरे बेटे के सूरत जैसा एक लड़का मुझे आकर मम्मी कहकर लिपट गया।उनके मम्मी-पापा भोग ला रहे थे।जब आकर उसे लेना चाहे वो रोया।जाने के लिए जैसे मनाकर दिया। मैं बोली कोई बात नहीं आप लोग पूजा खत्म करके आओ। मैं यहीं बैठी हूं।उसे ले जाना उसकी मम्मी राजी नहीं हुई। धीरे से अपने पति को कहा आजकल किसको भरोसा? कोई अनजान के पास कैसे ‌छोडे। मैं झट से बोलने वाली थी अजनबी नहीं। मेरा चार साल पहले दुर्घटना में जिस बेटे का मौत हो गया था वो आज तुम्हारा बेटा होके पैदा हुआ है।मैं कुछ बोल ही नहीं पाई। ये संयोग मात्र है। मैं ऐसे ही रात भर नहीं सोई थी जिस दिन वो मातृत्व का सुख ‌दिया‌ था मुझे।मेरा बेटा आज हमेशा के लिएऔर किसका हो गया।मुझे हर जन्म याद रहता था क्योंकि मैं मरते समय भगवान को, मेरे बेटे को मेरा बेटा बनाके भेजने के लिए गुहार लगाती थी।सब कहते हैं मरते समय जो मांगोगे भगवान पूरी करते हैं। लेकिन अब नहीं।सब खत्म हो गया। वो अच्छी मम्मी के साथ चली गई। जाते समय बार बार पीछे पलटकर देखता था। मैं हूं कौन उसके।


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