घर
घर
एक ही गांवों के थे हम दोनों।एक गांव क्या घर अगर बगल में था।उनके घर के छोंक हमारे घर तक खुशबू फैलाता था।साथ खेले कूदे बड़े हुए।जब से वो चौदहा साल की हो गई, घर में रहना शुरू हो गया ये कहकर बेटियां अब बड़ी हो गई।अब शादी करा देना चाहिए। हमारे समय में लडके भी जल्दी शादी करते थे। लड़की चौदहा की तो लड़के अठराह , उन्नीस साल के।बचपन से मेरी मां गुज़र गई थी। हम छोटे छोटे थे तो पापा ने दूसरी शादी नहीं की। लेकिन इतना ढंग का खाना पीना नहीं होता था। आज जो मेरी बिवी बनी हुई है वो बहुत नकचढी थी। फिर भी मेरे सारी बात मानती थी। मेरे लिए मछली भाजी लाकर देती थी।जिस दिन मछली उस दिन मेरा थोड़ा खाना होगा नहीं तो नहीं।आजतक वो बात मेरी नकचढी याद रखी है।चार बच्चों की मां फिर भी मन कर रहा है फिर से शादी कर लूं।
सुहागरात के लिए कहीं वादियों में चला जाऊं।धेत ?क्या सब बुढ़ापे में सोच रहा हूं। बहुओं को बोलेगी एक , दो खंड सूखा मछली भाजी पहले पापा को दे आओ। हमारे बीच पहले कौन भगवान के पास जाएगा पता नहीं फिर भी मन चाहता है, एक साथ चले जाएं तो कितना अच्छा होगा।दस ग्यारह साल के मैं, उसको पांच साल शायद, हम लोग सब शाम चार बजे बरगद के नीचे खेलने के लिए इकट्ठे होते थे। कभी कभी लड़का, लड़की अलग अलग, कभी सब एक साथ कोई भी खेल खेलते थे। उसकी एक सहेली थी।कभी भी उसको मेरी नकचढी झूठ मूठ मेरे पत्नी बनने नहीं देती थी ना किसी का पत्नी खुद बनती थी।
पता नहीं वो बात मुझे उस समय न जाने क्यों अच्छा भी लगता था। इतना भी उम्र नहीं हुआ था समझदारी वाला। फिर भी अच्छा लगता था।एक दिन गुस्से में जाके अपनी मां की सिंन्दुर उठा लाई।जिद पकड़ी तुम मेरे मां के सिंन्दुर से मेरे मांग भर दो और कोई नहीं कहेगा तुम्हें किसी के पति बनने के लिए, ना मुझे कोई कहेगा किसी के पत्नी बनने के लिए। लड़कियों शायद उम्र से पहले थोड़ा समझदार बन जाते हैं।ये भी मान लूं
शायद हम दोनों के शादी उपर वाले ने तय कर के भेजा था। इसलिए जब से हम दोनों में समझदारी आई हमारे अन्दर परस्पर के लिए स्नेह था जो बाद में प्यार में बदल गया।वो बहुत सुंदर, सुशील थी।सबको एक झटके में अपना बना लेती थी। बहुत समझदार भी थी।पापा ने आओ देखा ना ताव चट मंगनी पट ब्याह कर दिया।आज भी बहुत सुंदर लग रही है। उसके माथे की सिंन्दुर बहुत भाता है मुझे। मेरे खातिर हर समय लाल चुड़ी पहनती है। भगवान सात जन्म क्या हर जन्म मेरे नकचढी को बचपन से एक ही गांवों भेजना। दोनों बचपन के खेल कूद से श्मसान जाने तक साथ रहेंगे। कभी कभी सोचता हूं दोनों एक दूजे के बगैर जी पाएंगे ?

