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Kanchan Hitesh jain

Drama

4  

Kanchan Hitesh jain

Drama

पत्नी होने का कर्ज चुकाया

पत्नी होने का कर्ज चुकाया

4 mins
470

ट्रिंग ट्रिंग..।

जैसे ही डोर बेल बजी रिया ने दरवाजा खोला।

रवि छोड आये मम्मी और दीदी को स्टेशन।

हाँ छोड़ आया, रवि अंश कहा हैं ? उसे तो तुम अपने साथ ले गए थे ना।

हा, डियर अंदर तो आने दो फिर बात करते हैं।

रवि अंश कहाँ है ?

रिया को अंदर ले आते हुये.. "अरे, तुम तो ऐसे बर्ताव कर रही हो जैसे मैं उसे कही भूल आया हूँ।"

रवि पहेलियाँ मत बुझाओ। मेरा मन बहुत घबरा रहा है।

अरे यार, अभी तो हमें चांस मिला है, अलोनटाइम स्पेंड करने का और तुम अंश अंश किये जा रही हो।मम्मी और कुसुम उसे अपने साथ ले गए है।

रवि तुम्हारा दिमाग तो सही है, रिया फूटफूटकर रोने लगी ।वो आठ महिने का छोटा बच्चा हैं।एक पल भी नहीं रह पाता वो मेरे बिना।दस दिन तक कैसे रहेगा ।

रिया तुम ओवर रियेक्ट कर रही हो, माँ है वो मेरी भला बुरा समझती है अपने पोते का

रिया बीच में ही बात काटते हुए ...

"मैं जानती हूँ लेकिन वो उसे माँ का दूध तो नहीं पिला सकती ना।"

रिया ये क्या रट लगा रखी हैं, माँ का दूध, माँ का दूध...

"मै तो कितने अरमान लेकर घर आया था ।सोचा हम कही घुमने जायेंगे साथ समय बितायेगे। तुम ही तो हमेशा शिकायत करती थी कि आजकल मैं तुम्हें समय नही देता और आज जब मौका मिला तो..."

रिया जोर जोर से रोने लगी उसे ऐसा लग रहा था मानो किसिने उसके जिस्म से उसकी जान को अलग कर दिया हो ।

वह चिल्लाने लगी गिड़गिड़ाने लगी..

"मैं कुछ नहीं जानती रवि तुम मेरे बच्चे को मेरे पास ले आओ वरना मैं रो रोकर अपनी जान दे दूंगी।"

रिया पागलपन छोड़ो...

रवि मैं उसकी माँँ हूँ, क्या मेरा इतना भी हक नहीं बनता था कि मेरे बच्चे को ले जाने से पहले एक बार मुझसे पूछ तो लेते।और तुमने जरा भी नहीं सोचा ऐसे कैसे ले जाने दिया। 

इसका मतलब तुम सब जानते थे बोला रवि, बोलते क्यों नहीं ?

रिया ऐसा कुछ नहीं है तुम गलत समझ रही हो ।स्टेशन से जब हम वापस लौट रहे थे तो मम्मी की आँखें नम थी।जब उन्होंने अंश को अपने साथ ले जाने की इच्छा जताई ।तो मैं उन्हें कैसे मना करता तुम ही बताओ।

दस दिन की ही तो बात है रिया बस करो अब..

रवि तुम नहीं समझोगे एक माँ के दिल पर क्या गुजरती हैं। जब कोई उससें उसके दूध पीते बच्चे को उससे.अलग कर दे ।तुम्हें अपनी माँ के आँसू दिखाई दिये पर पलभर के लिए भी मेरा ख्याल नहीं आया।

रिया रोये जा रही थी वह एक बार अपने बच्चे को छाती से लगाकर जी भर के प्यार करना चाहती थीं।एक बार जी भर के उसे देखना चाहती थी।

 मैं समझ गई ये सब मम्मीजी की सोची समझी चाल थी ।इसिलिए आजकल उसके खाने पीने से लेकर हर चीज का ख्याल रखती थी।यहाँ तक कि उन्होंने तो अंश के कपडे भी अपने रुम मे शिफ्ट कर लिए थे। मैं भी अचरज मे पड गई कि अचानक दादी का अपने पोते पर इतना लाड देखकर लेकिन मैं नहीं जानती थी कि वो मेरे खिलाफ साजिश रच रही हैं।

बस करो रिया ममता के मोह में अंधी होकर तुम कुछ भी बोले जा रही हो..

इतने में फोन की घंटी बजी। रिया रो रही थी तो रवि ने फोन उठाया सामने से आवाज आई ...भैया भाभी को दो मुझे उनसें बात करनी हैं रवि ने फोन को स्पीकर पर डाल दिया ।हेलो भाभी... हाँ दिदी अंश कैसा है? कैसा है अंश? आप और मम्मी जी ऐसे कैसे... कम से कम मुझे बता तो देते ।

क्या बात हैं भाभी आपका आठ महीने का बच्चा आपसे अलग हुआ तो आपको इतना दुख हो रहा है। मेरी माँ से आपने उनका 25 साल का बेटा छिना कभी सोचा उनके दिल पर क्या गुजरती होगी।दिदी आप जो समझ रही हैं वैसा कुछ नहीं है ।मैंने किसी से कुछ नहीं छिना और आपके भाई कोई दूध पीते बच्चे नही हैं जो मेरी बातों में आ जायें। बाकी आप खुद समझदार हो इतना कहकर रिया ने फोन काट दिया।।

रवि के तो जैसे पैरों तले जमीन खिसक गई उसनें सपने मे भी नही सोचा था कि उसकी माँ और बहन रिया से बदला लेने के लिए एक छोटे से बच्चे का सहारा लेगे।जिसे वह दादी और भुआ का प्यार समझ रहा था वह तो रिया के प्रति उनकी नफरत थी।

रिया के आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जो गलती उसने की ही नहीं उसकी सजा उसे मिल रही थी। आज एक पत्नी होने का कर्ज उसे अपने बच्चे से अलग होकर चुकाना पड़ा।


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