पति के बटुए की मोहताज नहीं

पति के बटुए की मोहताज नहीं

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निधि ओर विक्रांत की नई नई शादी हुई थी, विक्रांत एक बिजनेस मैन है पैसों की कमी नहीं संयुक्त परिवार था निधि खुश थी, सास-ससुर छोटी बहन जैसी ननंद ओर विक्रांत जैसे पति को पाकर।

सासु जी थोड़े बड़बोले थे पर निधि ने सोचा प्यार से सबको जीत लूँगी, शादी के बाद निधि पहली बार मायके पगफेरों की रस्म के लिए जा रही थी मायके में मम्मी-पापा भैया-भाभी ओर छोटा भतीजा सिंकु था, तो निधि ने सोचा पहली बार घर जा रही हूँ तो भाभी ओर सिंकु के लिए कुछ गिफ्ट्स लेती जाऊँगी अच्छा लगेगा, तो उसने विक्रांत से पूछा विक्रांत ने खुशी-खुशी हाँ बोल दिया ओर कहा शाम को तैयार रहना हम मौल जाएँगे जो चाहो खरीद लेना। 

निधि को अच्छा लगा शाम पाँच बजते ही तैयार हो गई तो सासु माँ ने तुनक कर पूछा अरे वाह महारानी बन-ठनकर कहाँ चली कुछ बताती भी। 

निधि ने बताया की मम्मा सोच रही हूँ पहली बार घर जा रही हूँ तो भाभी ओर सिंकु के लिए कुछ गिफ्ट्स लेती जाऊँ अच्छा लगगे विक्रांत अभी आते है तो बस मौल जाकर कुछ खरीद कर अभी आते है।

सासु माँ की भँवें तन गई अरे वाह बहू आते ही अपने मायके का घर भरने लगी हमारे यहाँ एसा कोई रिवाज़ नहीं पति के बटुए का खयाल रखना चाहिए पैसे आसमान से नहीं गिरते मेरा बेटा रात दिन मेहनत करता है फालतू के खर्चे करने के लिए नहीं कमाता।

निधि की आँखों में आँसू आ गए कौन सा मैं लाखों खर्च करने वाली हूँ हज़ार दो हज़ार क्या अपने मायके वालों के लिए नहीं खर्च सकती, "इतना भी हक नहीं मेरा" ओर रोते-रोते कपड़े बदल लिए इतने में विक्रांत आ गया ओर निधि को देखकर बोला ये क्या तुम अभी तक तैयार नहीं हुई मैंने बोला था हम शाम को मौल जाएँगे चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ। 

निधि की आँखें वापस भर आई ना मुझे कहीं नहीं जाना कुछ नहीं लेना रहने दीजिए, विक्रांत को कुछ समझ में नहीं आया बोला क्या हुआ सुबह तो बहुत उत्साहित थी अब क्यूँ नहीं जाना, निधि ने सासु माँ की कही बात बताई ओर विक्रांत से कहा मैं मायके से आने के बाद जाॅब करना चाहती हूँ एम बी ए तक पापा ने पढ़ाया किसलिए है, ओर अपने खर्चे के लिए मैं किसीकी मोहताज बने रहना नहीं चाहती। 

विक्रांत समझ गया माँ ने अपने स्वभाव के चलते निधि को दो बातें सुनाई होगी तो बोला ओके बाबा तुम जरूर जाॅब करना मैं भी नहीं चाहता मेरी पढ़ी लिखी बीवी घर काम में अपना टेलेंट वेस्ट करें और माँ को मैं समझा दूँगा तुम उसकी फ़िक्र मत करो फ़िलहाल तैयार हो जाओ हम चलते है। 

विक्रांत बहुत समझदार ओर सुलझा हुआ लड़का था माँ को प्यार से समझा दिया ओर बीवी का भी मान रख लिया, 

पर निधि ने ठान लिया की कुछ भी हो जाए पर मायके से आते ही जाॅब करेगी पति के बटुए पर निर्भर नहीं रहना।

मायके से आते ही निधि ने अपनी रेज़्यूम बहुत सारी कंपनियों में भेज दी ओर एक ही महीने में एक मल्टीनेशनल कंपनी में उसकी जाॅब लग गई अब निधि शान से अपने खर्चे अपने आप उठाती है पति के बटुए पर बोझ नहीं है।

(सासू माँ के उपर भी कुछ ना कुछ खर्च करती रहती है तो अब सासू माँ भी खुश है)


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