Monika Khanna

Comedy

5.0  

Monika Khanna

Comedy

पति का प्यार ब्रेड पकोड़ा यार

पति का प्यार ब्रेड पकोड़ा यार

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सितंबर की उमस भरी गर्मी में अचानक से आए हुए बादल झमाझम बरस गए और मौसम को बहुत सुहाना कर गए। मन मयूर खुशी के मारे नाच उठा। चलो इस उमस भरी गर्मी से कुछ तो राहत मिली। सोचा चलो छत पर चलते हैं और मौसम के नजारे लेते हैं। दौड़ती भागती छत पर आ गई। देखा तो पतिदेव हाथ में चरखी और पतंग लेकर पतंगबाजी में लगे हुए हैं। मन ही मन प्रफुल्लित होते हुए सोचा चलो पति संग कुछ रोमांटिक बातें करते हैं

मुझे देखते हुए बोले वो, "अहो भाग्य हमारे जो आप आज छत पर पधारे "

मैं बोली, "यह मौसम का जादू है मितवा ना अब दिल पर काबू है मितवा"

"तो मितवा जी क्या आप गरमा गरम चाय बना देंगी और चाय के संग बढ़िया से ब्रेड के पकोड़े भी मिल जाए तो अहहा मजा आ आ जाए " पतिदेव लाड़ से चटकारे लेते हुए बोले।

यह लो, हो गया सारे मूड का कबाड़ा आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आई

अपनी चटोरी जुबान को प्यार की चाशनी में डुबोकर जो उन्होंने बोला की कसम से दिल से न हंसते बना न रोया।

मैंने बोला, "पतिदेव कुछ तो मौसम का लुफ्त उठाने दो !

पतिदेव बोले, "अरे यार मौसम का लुफ्त हम भी उठाएंगे ना तुम पकोड़े तो लेकर आओ साथ में मिल बैठकर खाएंगे ना,,

मरती क्या ना करती उल्टे पांव गई किचन में वापस।

मौसम तो धरा रह गया किनारे,हो गई अपनी ही आफत। 

मन मयूर मन मसोस कर मन ही मन झुंझलाया 

पतिदेव का चाशनी में डूबा प्यार, चटोरी जुबान का पैंतरा कहलाया

 सोचने लगी की शादी के कुछ साल बीतने के बाद पति का सारा प्यार यह ब्रेड पकौड़ै और चाय पर ही क्यों आकर टिक जाता है। और इसी सोच सोच में चाय और पकौड़े हो गए तैयार, जिनका लुफ्त उठाने हम भी हो गए तैयार। आखिरकार पहुंच ही गए हम छत पर चाय, ब्रेड पकोड़ा, पति का चाशनी में लिपटा प्यार और खूबसूरत से मौसम का खुमार का मजा लेने।


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