पति का बटुआ

पति का बटुआ

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आज के डिजिटल युग में पति के बटुए में क्रेडिट कार्ड डेबिट कार्ड, फैमिली फोटोग्राफ, आधार कार्ड और कुछ अन्य बिल्स के सिवा मुद्रा की कल्पना नहीं की जा सकती।

पहले जब क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड नहीं हुआ करते थे, तब नोट की गड्डियां मिलने की संभावना रहती थी, और कपड़े धुलाई के समय तो जेब खंगालने पर मानो खजाने पर ही हाथ पड़ जाता था, मगर अब..अब कोई भी जेब में विशेष मुद्रा रखता नहीं हैं इसलिए बटुए का कोई विशेष आकर्षण नहीं रह गया है। 

हमारे घर में एक उसूल था,मां का पर्स पिता नहीं छुएं ओर मां पिताजी का बटुआ।यह मां का बनाया उसूल था,जिसे पिताजी अक्सर तोड़ते रहते थे।मां का मानना था कि इससे घर की बरकत कम होती है।

एक बार पिताजी जल्दी में अपना बटुआ घर पर भूल गए।वह दरवाजे के पास वाली छोटी मेज पर रखा रह गया था। मां उसे उठाकर अलमारी में रखने लगीं।अचानक वह छूट कर उनके हाथ से नीचे गिर गया।उसमें से एक फोल्ड किया हुआ फुलस्केप कागज भी गिर गया। मां उसे वापिस रखने लगीं,फिर कुछ सोचकर उसे पढ़ने से खुद को रोक न सकीं।

वह उनका कन्फेशन था। वे जानबूझ कर बटुआ जिसमें काफी रुपए थे छोड़ कर हम लोगों से बहुत दूर एक नई दुनिया बसाने जा चुके थे।

नोटों से भरा बटुआ मां की खाली हो गई जिंदगी को भरने में असमर्थ था।


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