पति का बटुआ
पति का बटुआ
सुमन का पति अपनी चीजों को लेकर बहुत ही सजग रहते था।
उसके अनुसार सभी चीजें अपनी जगह पर होनी चाहिये, कुछ भी इधरउधर नहीं होना चाहिये। सुमन की शादी को कुछ ही समय हुआ था राजेश हमेशा अपनी चीजों को लेकर के सुमन से झगड़ा करता रहता । "सुमन तुम मेरे सामानों को हाथ मत लगाया करो"।
सुमन भी गुस्से में सब कुछ वही छोड़ देती। मगर एक बात पर हमेशा ध्यान देती कि राजेश सुमन को अपने पर्स को हाथ भी नहीं लगाने देता था।
सुमन ने किसी ने किसी बहाने से राजेश के पर्स को हाथ लगाने की कोशिश की पर हर बार नाकाम हो जाती ।एक दिन बोली "अरे कुछ पैसे तो निकालने दिया करो "।मगर राजेश गुस्से में बोला " पैसे चाहिए तो मुझसे बोलो पर्स को हाथ मत लगाओ "।
एक दिन राजेश नहाने गया हुआ था सुमन ने चुपके से राजेश का पर्स खोला तो उसने देखा पर्स में एक औरत जिसकी गोदी में छोटा बच्चा था उसकी तस्वीर रखी हुई थी ,सुमन ने जल्दबाजी में वह तस्वीर देखी और झटपट वापस उसी स्थान पर रख दिया जहां पर वह पहले से था।
राजेश नहा कर निकला और नाश्ता करके दफ्तर चला गया ।
दफ्तर में एक पार्टी थी जिसमें सभी को कुछ ना कुछ करके दिखाना था ,राजेश ने बोला देखो भाई मुझे नाचना गाना नहीं आता कुछ और काम पूछ लो या करा लो।
राजेश से पूछा गया कि आपके पर्स में किसकी तस्वीर रखी है पहले तो राजेश ने बताना उचित नहीं समझा फिर बोला मेरे पास में मेरी मां की तस्वीर है, मेरी मां जो मुझे बचपन में ही छोड़कर भगवान के पास चली गई थी ।
यह तस्वीर उनकी पहली और आखरी निशानी है और इस तस्वीर को मैं किसी को भी हाथ नहीं लगाने देता ।
उसे इनाम में एक कप मिला क्योंकि ऐसा बहुत कम होता है कि किसी ने अपने पर्स में अपनी मां की तस्वीर रखी हो ।
राजेश आज घर आते हुए बड़ा ही खुश था।
उसने सुमन को सारा वाक्य कह सुनाया सुमन थोड़ी सी घबराई हुई थी और बोली "राजेश मुझे माफ कर दीजिए मैंने आज जिज्ञासा वंश आपका पर्स देखा था ।"
" मुझे माफ कर दीजिए मैंने आप पर शक किया " पर्स में तस्वीर मैंने भी देखी लेकिन मुझे नहीं पता था यह माता जी की तस्वीर है।
राजेश बोला "अरे पगली इसमें कोई खजाना थोड़ी ना है जो है वह तुम्हारे लिए है " बस यह तस्वीर मेरे लिए किसी अनमोल रतन से कम नहीं है। यह मेरी मां की निशानी है जिसे मैं हर हाल में संभाल कर रखना चाहता हूं। बस तुम इसे हाथ मत लगाना बाकी सब तुम्हारा है।