पति का बटुआ
पति का बटुआ
सुनो न उठो, ज़रा अपने बटुआ से पैसे दीजिये। उफ़्फ़ ओ ! संजना तू सुबह -सुबह सोने नहीं देती, रोज ही तुझे मेरे बटुवे से ही पैसे खर्च कराना, हँसा बोला, पॉकेट से ले लो।
एक बात पूछूं, सच बता तुम मुझसे रोज सुबह पैसे क्यों मांगती है ?
संजना मुस्कुरायी, रोज़ पैसे मांग अपने कर्तव्यों का निर्वाह औ तुम कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हो, क्यूंकि तुमको अहसास संजना है और मुझे पति के ज़िम्मेदारियों का तुम्हारे बटुवे से रोज पैसे देख अंदाज़ा हो जाता ज़िन्दगी की गाड़ी कब पटरी पे है और कब हमे सम्भलना है ?
संजीव बहुत प्यार से देखता है, बोला- अपने पति के बटुए का ख्याल रखने के लिए शुक्रिया…!
