Ekta Rishabh

Inspirational

4.3  

Ekta Rishabh

Inspirational

परवरिश !!

परवरिश !!

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घर के कामों से तनु निपटी ही थी की फ़ोन की घंटी बजने लगी । देखा तो नंबर तनु के बेटे अनुज के स्कूल से था ।

" हेलो , मिसेस माहेश्वरी आप तुंरत स्कूल आये अनुज के बारे में प्रिंसिपल मैम को कुछ बात करनी है " ।

"क्या बात है मैम अनुज ठीक तो है, तनु ने घबराहट से पूछा" ।

"आप जल्दी आएं अनुज ठीक है" ।

जल्दी से तैयार हो तनु ने ऑटो लिया अमित भी शहर से बाहर थे । जाने क्या बात होगी? अनुज तो बहुत होशियार बच्चा है आज तक पी टी एम् में भी किसी टीचर ने कोई शिकायत नहीं की अनुज की फिर आज सीधा प्रिंसिपल ने मिलने बुला लिया । जाने कितने विचार तनु के दिल में आ जा रहे थे । घर से स्कूल तक का बीस मिनट का रास्ता घंटो लम्बा लगा रहा था आज तनु को ।

प्रिंसिपल के कमरे के बाहर पिउन को अपना नाम और अनुज का नाम बताया तो उसने इंतजार करने को कह अंदर प्रिंसिपल के कमरे में चला गया ।

"आप अंदर जाइये मैडम " । पिउन के कहने पे ईश्वर का नाम ले तनु अंदर चली गई ।

"हेलो मैम, मैं मिसेस तनु माहेश्वरी, अनुज माहेश्वरी की माँ " ।

"बैठिये मिसेस माहेश्वरी " प्रिंसिपल साहिबा ने अपना चश्मा साफ करते हुए एक खाली कुर्सी पे बैठने का इशारा किया ।

"आपने इस वक़्त बुलाया क्या बात है मैम " अपनी जिज्ञासा जाहिर कर तनु ने पूछा ।

तभी एक महिला भी अंदर आ गई । "इनसे मिले मिसेस माहेश्वरी ये है मिसेस शुक्ला " अब तक तनु की घबराहट और जिज्ञासा चरम पे थी । किसी तरह मुस्कुरा कर मिसेस शुक्ला को हेलो किया ।

"बताइये ना मैम अनुज की क्या शिकायत है"?

"कोई शिकायत नहीं है मिसेस माहेश्वरी " ।


"बात ऐसी है की मेरी बेटी अंतरा इस स्कूल में क्लास छठी कक्षा में पढ़ती है कल उसे स्कूल में ही फर्स्ट पीरियड आ गया था । जैसा की आपको पता है बुधवार को स्कूल की यूनिफार्म सफ़ेद होती है । बच्ची उन धब्बो को देख बेहद डर गई और स्कूल के पीछे वाले मैदान में छिप गई । लंच टाइम में जाने कैसे आपके बेटे अनुज की नज़र वहाँ खड़े कुछ लड़कों पे गई जो अंतरा को देख उसका मज़ाक बना रहे थे और डरी सहमी अंतरा रोये जा रही थी । अनुज ने जब अंतरा के कपड़ो और उसका रोना देखा तो सब समझ गया । अनुज ने ना सिर्फ उन लड़कों को डांटा की एक परेशान लड़की की मदद करने की बजाय तुम सब उसका मज़ाक बना रहे हो शर्म आनी चाहिये । लड़के तो डांट खा भाग गए और रोती अंतरा को बहला कर अपना स्वेटर उसे बाँधने को दे दिया और स्कूल की नर्स मैम के पास पहुंचा दिया । स्कूल से फ़ोन आने पे मैं अंतरा को ले कर घर आ गई । शांत होने पे अंतरा ने मुझे सब कुछ बताया इतनी ठण्ड में बिना स्वेटर के अनुज रहा लेकिन उसने अंतरा की मदद की " ।

तनु दंग हो सारी बातें सुन रही थी और सोच रही थी कल ही मैंने कितना डांटा था अनुज को जब उसे इतनी ठण्ड में बिना स्वेटर के देखा था ।हँसते हुए सारी डांट खा गया मेरा बच्चा । ठण्ड के कारण जुकाम भी लग गया था अनुज को लेकिन उफ़ भी मुँह से नहीं निकाला था ।

"मुझे आपसे मिल कर आपको शुक्रिया कहना था मिसेस माहेश्वरी । अगर सभी लड़कों की माँ आप जैसी हो और अगर सभी लड़कों की परवरिश अनुज जैसी हो तो शायद दुनियां से लड़कियों के खिलाफ होने वाले दुराचार ख़त्म हो जाये " ।

"मिसेस शुल्का की बातों से पूरी तरह सहमत हूँ मिसेस माहेश्वरी । अनुज दंसवी कक्षा का स्टूडेंट है बच्चों को साइंस में पीरियड्स के बारे में पढ़ना तो होता है लेकिन जैसी संवेदनशीलता अनुज ने दिखाई वो सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं मिलती उसके लिये आप जैसी माँ की जरुरत होती है जो अपने बच्चों को लड़कियों की इज़्ज़त करना सिखाती है " ।

"अनुज ने हमेशा इस स्कूल का मान पढ़ाई और स्पोर्ट्स में तो बढ़ाया ही है लेकिन उसके संस्कार और उसकी परवरिश ने आज उसपे गर्व करने का एक और मौका दे दिया है हमें मिसेस माहेश्वरी " । प्रिंसिपल साहिबा ने कहा ।

प्रिंसिपल साहिबा और मिसेस शुक्ला की बातें सुन तनु का सिर फ़क्र से ऊँचा हो उठा था और ऑंखें ख़ुशी से गीले हो गए ।

"एक माँ ख़ास कर एक बेटे की माँ की जिम्मेदारी दुगनी होती है उसे सिर्फ अपनी संतान को पालना ही नहीं होता बल्कि संस्कारों के खाद से खींचना भी होता है तभी तो समय आने पे वो गर्व से कह सकती है की हाँ ये मेरी परवरिश है जैसे आज तनु को गर्व हो रहा था अपने अनुज पे अपनी परवरिश पे "। 


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