Mahesh Dube

Comedy

2.5  

Mahesh Dube

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प्रतिभाशाली बच्चे

प्रतिभाशाली बच्चे

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           आजकल देश में प्रतिभा का तूफ़ान आया हुआ है। देश के बच्चे कमाल पर कमाल कर रहे हैं। मैं देख देख कर चकित होता रहता हूँ।  कोई गाने में तानसेन को लज्जित कर दे ऐसी तान लेता है तो कोई नाचने में बिरजू महाराज का कान काट ले ऐसी प्रतिभा का स्वामी है। कोई बच्चा पूरी गीता रटे हुए है तो किसी बच्चे को कुरआन कंठस्थ है। इन बच्चों की प्रतिभा देखकर मैं अपने बचपन पर लज्जित और कुंठित हूँ और बचपन पर क्यों ? मैं तो आज भी अकेले दम पर रेलवे का एक टिकट नहीं खरीद सकता। बहुत बार फिल्म देखने की इच्छा होने पर भी केवल इस लिए नहीं देख पाता कि मॉल में जाकर वहाँ फिल्म देखने का साहस और योग्यता मैं अपने आप में नहीं पाता। मेरे बच्चे भी मुझ जैसे ही हैं। वे किसी विशेष योग्यता में प्रवीण नहीं हो पाए। घिसट घिसट कर किसी तरह डिग्री धारी ज़रूर हो गए हैं। मैं तो वह भी नहीं कर पाया। ले देकर मैं जीवन में एक अदद पत्नी पाने में अवश्य सफल हुआ परंतु उसमें भी मेरी योग्यता के बदले मेरे भाग्य का प्रबल हाथ है ऐसा मेरी वजनदार पत्नी का अटल विश्वास है। अगर मेरे माता पिता उतावले न होते और बचपन में ही मेरा कान पकड़ कर मुझे विवाह मंडप में न बैठा दिया होता तो मैं भी कई दूसरे कुंवारों की तरह देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने का स्वप्न देख सकता था। 

         किंतु बात प्रतिभाशाली बच्चों की चल रही थी। कल टीवी में देखा कि एक चार साल की बच्ची को हमारी उत्तरप्रदेश सरकार ने सीधे नौवीं कक्षा में प्रवेश दिया है। उसकी कुशाग्र बुद्धि की कड़ी परीक्षा के बाद यह शानदार फैसला लिया गया। उसकी अंगूठा छाप माता और प्राइमरी पास पिता गर्व से फूले टीवी चैनलों को साक्षात्कार दे रहे थे जिसमें उनके साथ नींद से बोझिल और बुरी तरह थकी हुई बच्ची भी शामिल थी। लगभग हर चैनल बारी बारी से इस खबर का दोहन करता हुआ अपनी रेटिंग बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ था। हमारी मीडिया के लिए गड्ढे में गिरे प्रिंस और शिखर पर जा बैठे बच्चे में कोई फर्क नहीं! दोनों उसके लिए मात्र टी आर पी बढ़ाने के साधन हैं। आज के पालक भी अपने सारे संसाधन झोंक कर अपने बच्चों को सुपर मैन बनाना चाहते हैं। किसी तरह बच्चा प्रसिद्द हो जाए बस! जो हम न पा सके वह सुख बच्चे के माध्यम से ले लें। बच्चे का बचपन जाए चूल्हे में! हम तो अपने बच्चे को प्रसिद्द करने के लिए उसे किसी गढ्ढे में भी धकेल सकते हैं। बस वह देश का प्रिंस बन जाए। हमारा ध्येय पूरा हो जाएगा। 


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